कोटा. स्कोलियोसिस यानी पीठ कूबड़ जैसी स्थिति है. जिसमें पीठ का ऊपरी हिस्सा बाहर निकलकर मुड़ जाता है. रीढ़ अपनी वास्तविक एस आकार से सी-आकार में बदल जाती है. वैसे तो यह बुढ़ापे में होता है. लेकिन खराब जीवनशैली से अब युवाओं में भी देखी जा रही है. खासकर 9 से 18 साल के बच्चों में ज्यादा देखने में मिलता है.
कोटा के एमबीएस अस्पताल में स्कोलियोसिस का मामला सामने आया. जहां पर एक बच्ची को स्कोलियोसिस की शिकायत थी. चिकित्सकों ने उसका उपचार और जटिल ऑपरेशन कर उसको कूबड़ से निजात दिलाई. चिकित्सक गौरव मेहता ने अपनी टीम के साथ इस जटिल ऑपरेशन को करके साबित कर दिया कि सरकारी अस्पतालों में महंगे इलाज को किस तरह सस्ते दामों पर कर के रोगी को उपचार मुहैया कराया जा सकता है.
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चिकित्सकों ने बताया की स्कोलियोसिस पीड़ित 15 वर्षीय किशोरी को उनके माता-पिता लेकर आए थे. किशोरी की रीड की हड्डी मुड़ी हुई थी. उन्हें समझाया किस का ऑपरेशन कराने के बाद इसमें संभावना है कि सीधी हो जाए और अपना जीवन से सामान्य जी सके. ऑपरेशन के लिए परिवार राजी हुआ उसके बाद ऑपरेशन कर सफल उपचार कराया गया.
कूबड़ की वजह से फेफड़े पर जोर पड़ता है सांस लेने में तकलीफ होती है. कई और विकार शरीर में उत्पन्न हो सकते हैं. समय पर उपचार कराना बेहद जरूरी है. चिकित्सकों ने बताया कि इस तरह के रोगों से बचने के लिए बच्चों को सही तरह से बैठने उठने के तरीके अपनाने चाहिए. साथ ही योगा और व्यायाम भी करना चाहिए ताकि रीड की हड्डी में लचक रहे.