कोटा. दिवाली के त्योहार को शॉपिंग के लिहाज से सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. इस त्योहार के सीजन में जमकर खरीदारी होती है. आजकल ऑनलाइन खरीदारी का चलन भी तेजी से बढ़ने लगा है. किराने के सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद तक ऑनलाइन मिल रहे हैं.
ऑनलाइन मिल रहे प्रोडक्ट कि साल दर साल सेल बढ़ रही है. कई बार ऑनलाइन खरीदा हुआ प्रोडक्ट खराब निकलता है. या फिर गलत प्रोडक्ट आ जाता है. बाजार से खरीदे गए माल को दुकान पर जाकर वापस किया जा सकता है, लेकिन ऑनलाइन खरीद में लोग गलत प्रोडक्ट या खराब माल आने पर ठगा सा महसूस करते हैं. ऑनलाइन बाजार का कोई चेहरा नहीं होता, ऐसे में पता नहीं चलता कि प्रोडक्ट कौन सी जगह से डिलीवर किया गया है.
राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य रामफूल गुर्जर का कहना है कि पहले तो उपभोक्ता कानूनों में ऑनलाइन खरीदे जाने वाले प्रोडक्ट की शिकायत तक नहीं की जा सकती थी. लेकिन 2019 में सरकार ने उपभोक्ता कानून में बदलाव किया है. जिसके बाद यह बदलाव जुलाई 2020 से लागू भी हो गया है. इसके तहत अब उपभोक्ता आयोग ऑनलाइन खरीदे जाने वाले प्रोडक्ट की सुनवाई भी कर सकता है. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक इसके अलावा भी चार अन्य जगह शिकायत की जा सकती है, जिनमें पुलिस, दीवानी, कमर्शियल व लोक अदालत शामिल हैं.
ब्रांडेड या अधिग्रहित जगह से ही खरीदें, स्कीम के चक्कर में न आएं
कोटा के एडवोकेट विवेक नंदवाना ने बताया कि ऑनलाइन खरीदे जाने वाले प्रोडक्ट में कई बार फ्रॉड हो रहा है. ऐसे में उपभोक्ता यह ध्यान रखें कि वह अधिकांश प्रोडक्ट ब्रांडेड या अधिकृत वेबसाइट के जरिए ही खरीदें. ताकि उसे बदला ने में या किसी तरह की प्रॉब्लम आने में समस्या नहीं हो. कई बार स्कीम या फायदे के चक्कर में ऐसी वेबसाइट या फिर ऑनलाइन विक्रेता से सामान खरीद लिया जाता है, जो कि अधिग्रहित की जगह डुप्लीकेट माल भेज देती है, जिसके अधिकृत विक्रेता ही नहीं होता है. जिसके चलते उसे बदलने में भी समस्या आ जाती है और कई बार खराब प्रोडक्ट आने पर उपभोक्ता को ही वह खराब प्रोडक्ट झेलना पड़ता है.
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मेल के जरिए या टोल फ्री नंबर पर जरूर दर्ज कराएं शिकायत
खराब प्रोडक्ट आ जाने के बाद तुरंत ही मेल या टोल फ्री पर शिकायत दर्ज करवाई जाए. इसके साथ ही शिकायत का नंबर भी रख लिया जाए और इनमें को भी संभाल कर रखा जाए. ताकि इनका उपयोग बाद में उपभोक्ता संरक्षण आयोग के पास शिकायत करने में उपयोग लिया जा सकता है. उपभोक्ता आयोग में परिवाद देते समय कंजूमर को अपना एक शपथ पत्र देना है. इसके साथ ही बैंक का स्टेटमेंट जिसके जरिए उसका भुगतान किया गया है. जो आइटम खरीदा गया है, उसका इनवॉइस और कंपनी को की गई ऑनलाइन शिकायत का नंबर का सबूत दिया जा सकता है. साथ ही उपभोक्ता को यह भी सिद्ध करना होता है कि उसके साथ क्या फ्रॉड हुआ है.
सील चेक करें, वीडियो बनाकर ही खोलें पैकेट
एडवोकेट विवेक नंदवाना ने बताया कि किसी भी प्रोडक्ट को रिसीव करते समय उसके पैकिंग को पूरी तरह से चेक कर लें. प्रोडक्ट की सील टूटी या सील नहीं है तो डिलीवरी के दौरान ही नोट लगा दें. ताकि बाद में किसी तरह की कोई समस्या नहीं आए. इसके साथ ही अगर प्रोडक्ट में अंदर कोई गड़बड़ी होती है, महंगा प्रोडक्ट है, तो उसे खोलते समय उसका पूरा वीडियो बनाएं और इस वीडियो रिकॉर्डिंग को संभाल कर रखें. यह जरूर ध्यान रखा जाए कि इस प्रोडक्ट को खोलते समय एक अन्य व्यक्ति को जरूर साथ में रखा जाए.
यहां कर सकते हैं ऑनलाइन खरीदे प्रोडक्ट की शिकायत
राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के सदस्य रामफूल गुर्जर का कहना है कि 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में ऑनलाइन खरीद के प्रोडक्ट के संबंध में किसी तरह की शिकायत नहीं की जा सकती थी. लेकिन भारत सरकार के नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स, डिजिटल व ऑनलाइन परचेजिंग को भी शामिल कर लिया गया है. इसके तहत निर्माता और विक्रेता दोनों की जवाबदेही तय की गई है.
साथ ही इस अधिनियम के तहत उपभोक्ता को यह भी छूट दी गई है कि वह अपने साथ हुए गए फ्रॉड का कहीं भी परिवाद दे सकता है. पहले के उपभोक्ता कानून में रिव्यू का अधिकार नहीं था, यह भी अब उपभोक्ता को मिल गया है. पहले के आयोग से फैसले में कोई त्रुटि रह जाती है तो अब उसे इस रिव्यू के जरिए ठीक करवाया जा सकता है. उपभोक्ता को अधिक मजबूत बनाने के लिए आयोग की तरफ से लगाई गई पेनल्टी को भी 25 से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है.
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5 जगह की जा सकती है शिकायत
पुलिस स्टेशन- खराब या गड़बड़ी वाले प्रोडक्ट आने पर नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी फौजदारी मुकदमा किया जा सकता है. यह विक्रेता या फिर बेचने वाली एजेंसी के निदेशक के खिलाफ हो सकता है.
उपभोक्ता आयोग- ग्राहक अपनी शिकायत को लेकर उपभोक्ता आयोग में भी जा सकता है. जिला आयोग एक करोड़ रुपए तक की सुनवाई करता है. इसके बाद राज्य आयोग 1 से 10 करोड़ और राष्ट्रीय आयोग 10 करोड़ से अधिक की सुनवाई करता है.
दीवानी मुकदमा- कमर्शियल उपयोग के लिए अगर कोई सामग्री खरीदी गई है, जिसे आगे बेचना था और वह खराब निकलती है, तो इसको लेकर दीवानी मुकदमा किया जा सकता है. यह 5 लाख तक का दीवानी मुकदमा हो सकता है.
वाणिज्य न्यायालय- कमर्शियल उपयोग के लिए पांच लाख से ज्यादा की सामग्री अगर खरीदी गई है और वह खराब निकली है, यानी किसी होटल के लिए एयर कंडीशन खरीदे और वह खराब निकलते हैं और इनकी लागत 5 लाख रुपए से ज्यादा की है, तो कमर्शियल कोर्ट में यह वाद दायर किया जा सकता है.
लोक अदालत- उपभोक्ता के साथ ऑनलाइन खरीद के बाद हुई गड़बड़ी के मामले में वह लोक अदालत में भी अपनी बात ले जा सकता है. लोक अदालत में ऑनलाइन प्रोडक्ट की किसी भी तरह की शिकायत की जा सकती है.