कोटा. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली में किसान आंदोलन को चलते 50 दिन से भी ज्यादा का समय हो गया है. कोटा में भी किसान 34 दिन से कलेक्ट्रेट के बाहर धरने पर बैठे हैं. नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए चल रहे धरने को समर्थन देने के लिए कॉमेडियन सुरेश अलबेला और अन्य कई कवि कोटा पहुंचे. उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से किसानों की पीड़ा को व्यक्त किया. अलबेला ने किसानों के लिए तैयार की गई एक कविता भी पढ़ी. इस दौरान उन्होंने कहा कि जवान और किसान के साथ पूरे देश को खड़ा होना चाहिए.
सुरेश अलबेला ने कहा कि किसानों के समर्थन में तो सब को बोलना चाहिए. किसी भी पार्टी ने किसानों का दर्द नहीं समझा. बीते 70 सालों से देश में होता आया है, पिछले 10 सालों से वह हो रहा है. अभी यह कानून और लाए हैं, जिसमें एमएसपी रेट भी किसानों को नहीं दी मिलेगी. किसान हमें अन्न उगा कर देता है, जो हमारे लिए खेत में खड़ा रहता है. किसान और जवान के लिए पूरे हिंदुस्तान को 24 घंटे खड़ा रहना चाहिए. सुरेश अलबेला ने किसानों के लिए लिखी कविता सुनाकर सबकी वाहवाही भी लूटी.
अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा ने कहा कि कृषि कानूनों पर सरकार का अड़ियल रवैया है. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए यह कानून डेथ वारंट से कम नहीं है, इसमें कोई संशोधन नहीं चाहिए. सभी कानूनों को रद्द कर दिया जाए, यहीं मांग है.