कोटा. कोटा शहर में कोचिंग संस्थान की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत कोचिंग एरिया में काम करने वाले हर व्यक्ति को सिंगल डोज वैक्सीन लेना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग और मास्किंग के निर्देश दिये गये हैं. संस्थानों में लगे हुए सीपीओ मास्क नहीं पहनने वाले बच्चों और व्यापारियों पर नजर रखेंगे.
राज्य सरकार ने 1 सितंबर से शिक्षण संस्थान खोलने की अनुमति दे दी है. कोटा में करीब दो लाख बच्चे कोचिंग संस्थाओं में पढ़ने आते हैं. इनमें से कई बच्चे 1 सितंबर से कोचिंग आना शुरू करने वाले हैं. इन बच्चों की कोविड सुरक्षा के लिए कोटा कोचिंग संस्थान एसोसिएशन ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके तहत कोचिंग संस्थान, परिसर, हॉस्टल्स और मैस आदि के लिए गाइडलाइन जारी की गई है. गाइडलाइन के मुताबिक कोचिंग एरिया में काम करने वाले हर आदमी के लिए वैक्सीन की सिंगल डोज जरूरी है.
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि हॉस्टल एरिया में सिंगल डोज वैक्सीन का फार्मूला लागू कर दिया है. जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है उन्हें काम पर नहीं रखा जाएगा. सभी हॉस्टल संचालकों को ये निर्देश दिए गए हैं. यही नियम हॉस्टल एरिया में व्यापार करने वाले हर व्यापारी पर भी लागू किया गया है. बच्चों के स्वास्थ्य की लगातार मॉनीटरिंग भी की जाएगी.
कोटा में पहले से ही 20,000 से ज्यादा स्टूडेंट मौजूद हैं. ऐसे में जिन स्टूडेंट को टीका नहीं लगा है, ऐसे 18 साल से ज्यादा उम्र के स्टूडेंट्स को वैक्सीन लगवाने की जिम्मेदारी हॉस्टल संचालकों की होगी. संचालक वैक्सीन के लिए अलॉट सेंटर पर इन बच्चों को भेजते हैं. साथ ही उनके आने जाने की व्यवस्था भी की जाती है. यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि हॉस्टल के एक रूम में एक ही स्टूडेंट रहकर पढाई करे. मैस भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ संचालित की जा रही है. कोटा में करीब 3200 से ज्यादा हॉस्टल हैं. ऐसे में यहां पर एक लाख से ज्यादा सिंगल रूम हैं. इसके अलावा 700 से ज्यादा मैस कोटा में संचालित हो रहे हैं.
हॉस्टल में आइसोलेशन, टचलैस एंट्री, फेस रीडिंग से अटेंडेंस
इससे पहले जनवरी में भी कोचिंग संस्थानों को खोल दिया गया था. इसके बाद हॉस्टल संचालकों ने व्यवस्थाओं में बदलाव किया था. एक फ्लोर को आइसोलेशन बना दिया था. अभी भी यह व्यवस्था जारी है. अधिकांश हॉस्टल में सबसे ऊपर का फ्लोर आइसोलेशन के रूप में ही रिजर्व रखा हुआ है, ताकि किसी भी बच्चे को कोविड-19 का खतरा बने, तो उसका वहां रखकर उपचार करवाया जा सके. कई हॉस्टल में बायोमेट्रिक थम्ब इंप्रेशन मशीन हटाकर फेस रीडिंग बायोमेट्रिक मशीनें लगा दी गई हैं. ताकि स्टूडेंट्स को कहीं भी टच करना नहीं पड़े. इसके अलावा सैनिटाइजेशन के लिए भी अलग-अलग तरह के उपकरण यहां पर स्थापित किए गए हैं.
कोटा के कोचिंग संस्थाओं में लॉकडाउन के बाद ही ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है. इन ऑनलाइन कोर्सेज में करीब 1 लाख बच्चे देश भर से पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश बच्चों के ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों कोर्सेज के एडमिशन हैं. ऐसे में जब अब क्लासेज शुरू होगी, तो यह बच्चे वापस कोटा की ओर रुख करेंगे और 1 सितंबर से यहां पर ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो जाएगी. माना जा रहा है कि 1 सितंबर के आसपास 50,000 से ज्यादा बच्चे कोटा पहुंचेंगे. जो यहां के कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत हैं. कोचिंग संस्थानों ने भी इन बच्चों को अपने बैच की जानकारी भेजना शुरू कर दिया है. सैनिटाइजेशन सिस्टम कोविड-19 की पहली लहर के बाद ही लगा दिया था. जिसके जरिए जैसे ही बच्चे क्लास से बाहर निकलेंगे, पांच मिनट के लिए लाइट बंद होगी और पूरा क्लासरूम सैनिटाइज हो जाएगा. इसके बाद जब दूसरा बैच आएगा, तो उन बच्चों को किसी भी तरह का कोई वायरस का खतरा इस क्लास रूम में नहीं होगा.
नए बैच आधी क्षमता वाले
निजी कोचिंग संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट नितेश शर्मा बताते हैं कि राज्य सरकार ने आधी क्षमता से क्लासेज लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उनके संस्थान ने तो आधी से भी कम क्षमता पर ही क्लास संचालित होंगी. पहले 100 से ज्यादा बच्चे एक क्लास में बैठाए जाते थे. अभी करीब 50 बच्चे ही क्लास रूम में मौजूद रहेंगे. इसके अलावा बच्चों की एंट्री से लेकर पूरे कैंपस में यह भी ध्यान रखा जाता है कि कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं टूटे, टचलैस एंट्री और एग्जिट रहेगा. स्टूडेंट्स को फैकल्टी से भी बात करनी है तो बीच में प्लास्टिक कवर लगाया हुआ है. जिसके जरिए ही वे अपने डाउट क्लियर कर सकेंगे.