कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय ने 9 साल पुराने रिश्वत के मामले में एक लिपिक को सजा सुनाई है. लिपिक ने नकल जारी करने की एवज में महज 200 की रिश्वत ली थी. जिस पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उसे ट्रैप कर लिया था. इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए दो साल का कठोर कारावास और 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही मामले में कोर्ट ने दो स्वतंत्र गवाह को भी मिथ्या साक्ष्य देने पर नोटिस जारी किए गए.
सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि 18 दिसंबर 2012 को सरदार सिंह ने एसीबी बारां में एक परिवाद दिया था. जिसके बाद एसीबी ने कार्रवाई करते हुए बारां तहसील में कार्यरत कनिष्ठ लिपिक भूपेंद्र सिंह राजपूत को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था. बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों ने सिविल ड्रेस में सत्यापन करवाने को लेकर कनिष्ठ लिपिक से बातचीत की. जिस पर कनिष्ठ लिपिक ने 200 रुपये मांगे और 150 रुपये में सहमति बनी. कनिष्ठ लिपिक ने बाहर चाय की थड़ी पर ही पैसे ले लिए. इसके बाद एसीबी ने कनिष्ठ लिपिक को गिरफ्तार कर लिया.
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इस मामले में 9 साल तक ACB कोर्ट में सुनवाई चली, जिसके बाद बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया. और दोषी कनिष्ठ लिपिक को 2 साल की सजा सुनाई साथ ही 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. इसके साथ ही स्वतंत्र गवाह चेतन प्रकाश और सत्यनारायण को भी झूठे साक्ष्य देने पर धारा 344 के तहत नोटिस जारी किए गए है.