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कोटा: मौत के बाद युवक की रिपोर्ट आई कोरोना पॉजिटिव, अस्पताल ने पहले ही सौंप दी परिजनों को बॉडी

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Published : Apr 25, 2020, 8:35 PM IST

कोटा जिले के एमबीएस अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के मामले में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. मरने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने की रिपोर्ट मरीज पॉजिटिव पाई गई है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन पहले ही युवक के परिजनों को शव सौंप चुका था. इस घटना के बाद से एमबीएस अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है. 50 से ज्यादा स्टॉफ के लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया है.

corona positive, कोरोना पॉजिटिव
मौत के बाद युवक रिपोर्ट आई कोरोना पॉजिटिव.

कोटा. कोटा के एमबीएस अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के मामले में लापरवाही सामने आई है. मरने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने की रिपोर्ट एक मरीज की आई है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने पहले ही उसके परिजनों को शव सौंप दिया था. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार मकबरा इलाके का 32 वर्षीय व्यक्ति क्रॉनिक किडनी की बीमारी से ग्रसित था. उसे कोरोना वायरस संक्रमण का संदिग्ध मानते हुए नए अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहां पर उसकी 22 अप्रैल को रिपोर्ट नेगेटिव आई.

ऐसे में 22 अप्रैल को ही उसे सीरियस हालत में एमबीएस में शिफ्ट कर दिया था. जहां पर चिकित्सकों ने उसकी गंभीर स्थिति होने के कारण दो बार डायलिसिस करने का प्रयास किया, लेकिन नहीं हो पाई. ऐसे में चिकित्सकों को ऑक्सीजन सैचुरेशन कम होने पर कोविड-19 टेस्ट दोबारा कराया गया.

वहीं उपचार के दौरान 24 अप्रैल को रात 9:30 बजे उसकी मौत हो गई. साथ ही उसके शव को परिजनों को सौंप दिया गया, लेकिन मरीज की मौत के बाद उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इस घटना के बाद एमबीएस अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है. करीब 50 से ज्यादा स्टाफ को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है.

अस्पताल स्टाफ ने नहीं किया था पीपीई किट का उपयोग:

मरीज को सबसे पहले इमरजेंसी मेडिसिन में भर्ती करवाया गया जहां से उसे डायलिसिस के लिए भी ले जाया गया. हालांकि डायलिसिस उसकी नहीं हो पाई. हालात बिगड़ने के बाद उसे एमबीएस के मेडिकल आईसीयू में भी भर्ती रखा गया. जहां पर उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई. इस दौरान अस्पताल के अधिकांश स्टाफ ने पीपीई किट का उपयोग नहीं किया था. ऐसे में अस्पताल के स्टाफ पर भी कोरोना से संक्रमित होने का खतरा मंडराने लगा है.

मरीज के परिजनों को शव सौंप दिया:
अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही बरतते हुए पहले की नेगेटिव रिपोर्ट को देखते हुए मृतक मरीज के परिजनों को शव सौंप दिया. इसके बाद परिजनों ने उसके शव को सुपुर्द ए खाक भी कर दिया. हालांकि जांच रिपोर्ट दोपहर बाद आई जिसमें मरीज के पॉजिटिव होने की बात सामने आई. इसके बाद से ही एमबीएस और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के हाथ-पैर फूल गए. आनन-फानन में मृतक मरीज के परिजनों को भी होम क्वॉरेंटाइन करवाया गया है, वहीं उसके अन्य परिजनों के भी नमूने लिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: कोरोना की जंग जिताने वाले डूंगरपुर के यह 4 हीरो, बताई जीत की प्रमुख वजह....

चिकित्सक, रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय और सुरक्षा गार्ड सभी को होम क्वॉरेंटाइन भेज दिया गया है. इनमें से कुछ लोगों को हॉस्टल में क्वॉरेंटाइन करवाया गया है. वहीं कुछ लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया हैं. जिन लोगों को क्वॉरेंटाइन करवाया गया है उनमें मेडिकल आईसीयू डायलिसिस विभाग इमरजेंसी मेडिसिन में कार्यरत चिकित्सा कर्मी शामिल है. इसमें एक दो चिकित्सक, 8 रेजिडेंट डॉक्टर, 28 नर्सिंग कर्मी, तीन सिक्योरिटी गार्ड और 9 वार्ड बॉय शामिल है.

कोटा. कोटा के एमबीएस अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के मामले में लापरवाही सामने आई है. मरने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने की रिपोर्ट एक मरीज की आई है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने पहले ही उसके परिजनों को शव सौंप दिया था. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार मकबरा इलाके का 32 वर्षीय व्यक्ति क्रॉनिक किडनी की बीमारी से ग्रसित था. उसे कोरोना वायरस संक्रमण का संदिग्ध मानते हुए नए अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहां पर उसकी 22 अप्रैल को रिपोर्ट नेगेटिव आई.

ऐसे में 22 अप्रैल को ही उसे सीरियस हालत में एमबीएस में शिफ्ट कर दिया था. जहां पर चिकित्सकों ने उसकी गंभीर स्थिति होने के कारण दो बार डायलिसिस करने का प्रयास किया, लेकिन नहीं हो पाई. ऐसे में चिकित्सकों को ऑक्सीजन सैचुरेशन कम होने पर कोविड-19 टेस्ट दोबारा कराया गया.

वहीं उपचार के दौरान 24 अप्रैल को रात 9:30 बजे उसकी मौत हो गई. साथ ही उसके शव को परिजनों को सौंप दिया गया, लेकिन मरीज की मौत के बाद उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इस घटना के बाद एमबीएस अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है. करीब 50 से ज्यादा स्टाफ को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है.

अस्पताल स्टाफ ने नहीं किया था पीपीई किट का उपयोग:

मरीज को सबसे पहले इमरजेंसी मेडिसिन में भर्ती करवाया गया जहां से उसे डायलिसिस के लिए भी ले जाया गया. हालांकि डायलिसिस उसकी नहीं हो पाई. हालात बिगड़ने के बाद उसे एमबीएस के मेडिकल आईसीयू में भी भर्ती रखा गया. जहां पर उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई. इस दौरान अस्पताल के अधिकांश स्टाफ ने पीपीई किट का उपयोग नहीं किया था. ऐसे में अस्पताल के स्टाफ पर भी कोरोना से संक्रमित होने का खतरा मंडराने लगा है.

मरीज के परिजनों को शव सौंप दिया:
अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही बरतते हुए पहले की नेगेटिव रिपोर्ट को देखते हुए मृतक मरीज के परिजनों को शव सौंप दिया. इसके बाद परिजनों ने उसके शव को सुपुर्द ए खाक भी कर दिया. हालांकि जांच रिपोर्ट दोपहर बाद आई जिसमें मरीज के पॉजिटिव होने की बात सामने आई. इसके बाद से ही एमबीएस और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के हाथ-पैर फूल गए. आनन-फानन में मृतक मरीज के परिजनों को भी होम क्वॉरेंटाइन करवाया गया है, वहीं उसके अन्य परिजनों के भी नमूने लिए जाएंगे.

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चिकित्सक, रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय और सुरक्षा गार्ड सभी को होम क्वॉरेंटाइन भेज दिया गया है. इनमें से कुछ लोगों को हॉस्टल में क्वॉरेंटाइन करवाया गया है. वहीं कुछ लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया हैं. जिन लोगों को क्वॉरेंटाइन करवाया गया है उनमें मेडिकल आईसीयू डायलिसिस विभाग इमरजेंसी मेडिसिन में कार्यरत चिकित्सा कर्मी शामिल है. इसमें एक दो चिकित्सक, 8 रेजिडेंट डॉक्टर, 28 नर्सिंग कर्मी, तीन सिक्योरिटी गार्ड और 9 वार्ड बॉय शामिल है.

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