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परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, काेई कमाने वाला नहीं, रोटी के भी पड़े लाले

कोटा के केशवपुरा में रहने वाले परिवार पर मुसीबतों के पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार में दो ही कमाने वाले थे जिनमें एक की मौत हो गई और दूसरे को पैरालिसिस का अटैक पड़ गया. रही सही जमा पूंजी भी बीमारी का इलाज कराने में चली गई है. ऐसे में अब घर में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वाला भी कोई नहीं बचा. परिवार ने सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

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परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
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Published : Jul 15, 2020, 7:10 PM IST

कोटा. जिले के केशवपुरा स्थित सेक्टर-6 में एक परिवार पर बीमारी आफत बनकर इस तरह टूटी कि सदस्यों को भुखमरी की कगार पर ले आई. पिता और पत्नी की बीमारी का इलाज कराते-कराते युवक की ह्रदयघात से जान चली गई. परिवार को संबल देने के लिए अब कोई नहीं बचा है. ऐसे में परिजनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. परिवार के लोगों का बेहतर इलाज कराने की भी मांग की गई है.

परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

केशवपुरा सेक्टर-6 निवासी ठाकुर महेंद्र सिंह पेशे से ड्राइवर थे, लेकिन पैरालिसिस होने के कारण 2 साल से घर पर ही हैं. परिवार में एक पुत्र वधु, दो पोतियां ओर एक पोता है. पिता के पैरालाइसिस के इलाज में पुत्र प्रेम सिंह ने काफी पैसा खर्च किया. इसके बाद प्रेम की पत्नी कमलेश कंवर भी बीमार हो गईं. निजी चिकित्सालय में उपचार कराया गया जहां ऑपरेशन के बाद से ही कमलेश की जान पर बन आई. उसमें भी काफी पैसा खर्च करना पड़ा लेकिन साल भर से कमलेश बिस्तर पर ही पड़ी है.

यह भी पढ़ें : अलवर: गर्मी ने बढ़ाए सब्जियों के दाम, आम लोग हो रहे परेशान

3 माह से लॉकडाउन की स्थिति के कारण परिवार पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता गया. कर्जदारों का तकादा और आर्थिक बोझ के चलते प्रेम सिंह परेशानियों से जूझता रहा लेकिन 15 दिन पहले हृदयाघात से उसकी मौत हो गई. ऐसे में महेंद्र के परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा, जो कुछ परिवार के सदस्यों ने जोड़ा था वह भी इलाज में लग गया. बीमार बहू, लाचार ससुर, छोटे-छोटे तीन बच्चे अब रोटी के लिए दूसरों की मदद को मोहताज हो गए हैं. रिश्तेदार मोहन सिंह सिसोदिया का कहना है कि सरकार और प्रशासन परिवार को कुछ आर्थिक मदद करे.

यह भी पढ़ें : जोधपुर की वो गौशाला जहां गोबर से बनती हैं लकड़ियां, अब अंतिम संस्कार में भी आएंगी काम

वहीं ठाकुर महेंद्र सिंह का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. घर खर्च चलाना दूभर हो गया है. बीमार बहू का उपचार भी नहीं करा पा रहे हैं. उसने प्रशासन से मांग की है कि सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था करा दी जाए जिससे गरीब को सस्ता और सुलभ इलाज मिल सके.

कोटा. जिले के केशवपुरा स्थित सेक्टर-6 में एक परिवार पर बीमारी आफत बनकर इस तरह टूटी कि सदस्यों को भुखमरी की कगार पर ले आई. पिता और पत्नी की बीमारी का इलाज कराते-कराते युवक की ह्रदयघात से जान चली गई. परिवार को संबल देने के लिए अब कोई नहीं बचा है. ऐसे में परिजनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. परिवार के लोगों का बेहतर इलाज कराने की भी मांग की गई है.

परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

केशवपुरा सेक्टर-6 निवासी ठाकुर महेंद्र सिंह पेशे से ड्राइवर थे, लेकिन पैरालिसिस होने के कारण 2 साल से घर पर ही हैं. परिवार में एक पुत्र वधु, दो पोतियां ओर एक पोता है. पिता के पैरालाइसिस के इलाज में पुत्र प्रेम सिंह ने काफी पैसा खर्च किया. इसके बाद प्रेम की पत्नी कमलेश कंवर भी बीमार हो गईं. निजी चिकित्सालय में उपचार कराया गया जहां ऑपरेशन के बाद से ही कमलेश की जान पर बन आई. उसमें भी काफी पैसा खर्च करना पड़ा लेकिन साल भर से कमलेश बिस्तर पर ही पड़ी है.

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3 माह से लॉकडाउन की स्थिति के कारण परिवार पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता गया. कर्जदारों का तकादा और आर्थिक बोझ के चलते प्रेम सिंह परेशानियों से जूझता रहा लेकिन 15 दिन पहले हृदयाघात से उसकी मौत हो गई. ऐसे में महेंद्र के परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा, जो कुछ परिवार के सदस्यों ने जोड़ा था वह भी इलाज में लग गया. बीमार बहू, लाचार ससुर, छोटे-छोटे तीन बच्चे अब रोटी के लिए दूसरों की मदद को मोहताज हो गए हैं. रिश्तेदार मोहन सिंह सिसोदिया का कहना है कि सरकार और प्रशासन परिवार को कुछ आर्थिक मदद करे.

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वहीं ठाकुर महेंद्र सिंह का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. घर खर्च चलाना दूभर हो गया है. बीमार बहू का उपचार भी नहीं करा पा रहे हैं. उसने प्रशासन से मांग की है कि सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था करा दी जाए जिससे गरीब को सस्ता और सुलभ इलाज मिल सके.

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