कोटा. दवा कंपनियों और विक्रय प्रतिनिधियों के संगठन फेडरेशन ऑफ मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) का तीन दिवसीय 26वां अखिल भारतीय अधिवेशन आज से कोटा में शुरू हुआ है (FMRAI IN KOTA). एफएमआरआई के अध्यक्ष ने बताया कि, इस सम्मेलन में देश के 600 से अधिक दवा प्रतिनिधि शामिल होने जा रहे हैं. इस दौरान एफएमआरआई के जनरल सेक्रेटरी शांतनु चटर्जी ने मीडिया से ऑनलाइन दवाओं को लेकर चिंता जाहिर की (26th edition of FMRAI).
ऑनलाइन दवाओं पर लगे रोक
एफएमआरएआई के जनरल सेक्रेटरी शांतनु चटर्जी ने मीडिया से कहा कि ऑनलाइन दवाओं के खरीदने-बेचने पर रोक लगनी चाहिए. इसके जरिए शेड्यूल एच की दवाएं भी गलत व फर्जी प्रिसक्रिप्शन से बेची जा रही है. इससे नशे की प्रवृत्ति बन रही है. मेडिकल स्टोर पर तो ड्रग कंट्रोल ऑफिसर जाकर जांच कर लेते हैं, लेकिन यह कंट्रोल सरकारी एजेंसी का ऑनलाइन दवा विक्रेताओं पर नहीं है. ऑनलाइन दवा विक्रेताओं के वेयरहाउस कोलकाता में स्थित है, जहां से दवा की सप्लाई मुंबई में दी जा रही हैं. ऐसे में वहां पर ड्रग कंट्रोलर का किसी भी तरह से कंट्रोल नहीं है.
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पे फॉर प्रिसक्रिप्शन पर लगाई जाए रोक
एफएमआरएआई ने मांग उठाई है कि पे फॉर प्रिसक्रिप्शन पर रोग लगाए जाए. सरकार दवा प्रतिनिधियों के काम करने के लिए कोड ऑफ कंडक्ट तैयार करे, जिसके तहत दवा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाए और इस तरह के कृत्य करने पर उन पर जुर्माना भी लगे. शांतनु चटर्जी ने साफ कहा है कि डॉक्टर किसी तरह का कोई कमीशन नहीं मांगते हैं, लेकिन दवा कंपनियां ही उन्हें प्रलोभन देती है, ताकि वे पर्चे में उनकी कंपनी की दवाई को लिखें.
एफएमआरएआई का कहना है कि वर्तमान में करंट गुड्स मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज के तहत की दवाई बन रही है. ऐसे में सभी दवाइयां नई तकनीक से बन रही है. एक जैसा ही कंटेंट उनमें होता है, लेकिन दवा में ब्रांडेड और नॉर्मल के नाम से काफी अंतर है. इसको भी खत्म किया जाना चाहिए. सरकार को जीएसटी के दायरे से सभी दवाओं और मेडिकल उपकरणों को बाहर रखना चाहिए. वर्तमान में दवाओं पर 12 से 28 फ़ीसदी जीएसटी लगा हुआ है.
राजस्थान की तर्ज पर पूरे देश भर में मिले निशुल्क दवा
एफएमआरएआई के जनरल सेक्रेटरी चटर्जी का कहना है कि पहले एसेंशियल ड्रग्स में 103 दवाओं को शामिल किया था, जिनके दामों की बढ़ोतरी कंपनियां नहीं कर सकती थी. लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस लिस्ट को घटाकर 38 कर दिया है. ऐसे में इसको दोबारा बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि जीवन रक्षक दवाएं लोगों को सही समय पर मिलनी चाहिए और उनकी जेब पर भी अतिरिक्त भार नहीं होना चाहिए.
साथ ही इनका कहना है कि वर्तमान में भारत सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर महज 1.1 फीसद ही खर्चा करती है, इसे बढ़ाकर 5 फीसदी करना चाहिए. साथ ही उन्होंने श्रम कानूनों को भी कायम रखने और राजस्थान के तर्ज पर देशभर के सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवाएं वितरित होने की मांग की है.इसके साथ ही मजदूर विरोधी श्रम कानूनों को लेकर 28 व 29 मार्च को दो दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल को सफल बनाने का भी आह्वान किया गया है.