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SPECIAL : 1100 साल पुरानी प्रतिमाएं रिवरफ्रंट में दबी...UIT ने धरोहर पर बना दी दीवार

कोटा में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से रिवरफ्रंट का निर्माण हो रहा है. इस दौरान चंबल के किनारे स्थित कई मंदिर इसमें दबने लगे हैं. कुन्हाड़ी इलाके में इसी तरह बिजासन माता मंदिर के नीचे स्थित कई प्राचीन और ऐतिहासिक प्रतिमाओं को भी रिवर फ्रंट में दबाने का मामला सामने आ रहा है.

Kota Chambal Riverfront Case
1100 साल पुरानी प्रतिमाएं दीवार से ढंकी
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Published : Apr 17, 2021, 8:01 PM IST

कोटा. चंबल के किनारे कुन्हाड़ी इलाके में प्राचीन प्रतिमाएं करीब 1100 साल पुरानी हैं. इनमें से अधिकांश को राजा महाराजाओं के समय में ही स्थापित किया गया था. साथ ही कुछ प्रतिमाएं तो ऐसी हैं जो कि संरक्षण योग्य हैं.

रिवर फ्रंट में दबी धरोहर

नगर विकास न्यास कोटा में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से रिवरफ्रंट का निर्माण करवा रहा है. ऐसे में धरोहर के संरक्षण का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है. यहां मौजूद प्राचीन मूर्तियों में भगवान विष्णु के नौ स्वरूप हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियां इन्हें पूजते आ रही है. इसके अलावा भगवान शंकर का एक पूरा प्राचीन मंदिर है. भगवान गणेश की भी प्राचीन मूर्ति है. अब इन्हें रिवरफ्रंट में दबाया जा रहा है.

सरकार सहेजे, ये धरोहर हैं

इन प्राचीन धरोहरों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सहेजने की दरकार है. साथ ही इनका पुरातत्व महत्व भी है. साथ ही इसने स्थानीय लोगों की आस्था और जन भावना जुड़ी है. इलाके के पार्षद नगर विकास न्यास से कई बार मांग भी कर चुके हैं.

Kota Chambal Riverfront Case
प्राचीन प्रतिमाएं रिवर फ्रंट में दबी

इन प्रतिमाओं को उठाकर ऊपर रखने की मांग भी की जा चुकी है. रिवर फ्रंट का निर्माण कर रही एजेंसी ने मंदिर में जाने वाली प्राचीन सीढ़ियों और रास्ते को बंद कर दिया है. अब लोग पूजा करने के लिए भी नीचे नहीं जा पाएंगे. हालांकि यहां पर आरसीसी की दीवारें बनाई जा रही हैं. जल्द ही यहां पर आरसीसी की बड़ी दीवार खड़ी कर दी जाएगी.

पढ़ें- Special: अयोध्या की जमीन पर राम भक्तों की आगवानी करेगा जोधपुर के सेंड स्टोन से बना भव्य द्वार

एनीकट के चलते पानी भर जाएगा

रिवर फ्रंट बनने के बाद चंबल नदी में बैराज से लेकर नयापुरा तक पानी भरा रहेगा. इसके लिए एक छोटा एनीकट बनाया जा रहा है. इसके चलते नदी में साल भर पानी रहेगा. साथ ही नगर पुल के दोनों तरफ आरसीसी की ऊंची दीवारें बनाई जा रही हैं. ऐसे में जब यहां पर पानी भर जाएगा तो स्थानीय लोग नहीं जा पाएंगे और यह प्रतिमाएं भी डूब जाएंगी.

यूआईटी के अधिकारी नहीं दे रहे जवाब

इस संबंध में ईटीवी भारत ने नगर विकास न्यास के सचिव राजेश जोशी और सलाहकार आरडी मीणा से भी बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने कुछ भी जवाब देने से इनकार कर दिया है. इन प्रतिमाओं को ना तो निकाला गया है, ना कहीं और स्थापित करने का प्लान है. बल्कि सरिए की फेंसिंग कर दी गई है.

Kota Chambal Riverfront Case
1100 साल पुरानी प्रतिमाएं दीवार से ढंकी
Kota Chambal Riverfront Case
प्राचीन प्रतिमाओं को ये कैसी जेल

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे लोग कई बार यहां आए. उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं को यूआईटी में रख दिया जाएगा. लेकिन काम लगातार चल रहा है और प्रतिमाएं दबती जा रही हैं. न तो इन्हें यहां से हटाया जा रहा है और न ही ऐसी परिस्थिति दिखाई दे रही है कि भविष्य में यहां स्थानीय लोग पूजा कर सकें. स्थानीय लोगों ने मंदिर को ऐतिहासिक और आस्था के स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग की है.

कोटा. चंबल के किनारे कुन्हाड़ी इलाके में प्राचीन प्रतिमाएं करीब 1100 साल पुरानी हैं. इनमें से अधिकांश को राजा महाराजाओं के समय में ही स्थापित किया गया था. साथ ही कुछ प्रतिमाएं तो ऐसी हैं जो कि संरक्षण योग्य हैं.

रिवर फ्रंट में दबी धरोहर

नगर विकास न्यास कोटा में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से रिवरफ्रंट का निर्माण करवा रहा है. ऐसे में धरोहर के संरक्षण का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है. यहां मौजूद प्राचीन मूर्तियों में भगवान विष्णु के नौ स्वरूप हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियां इन्हें पूजते आ रही है. इसके अलावा भगवान शंकर का एक पूरा प्राचीन मंदिर है. भगवान गणेश की भी प्राचीन मूर्ति है. अब इन्हें रिवरफ्रंट में दबाया जा रहा है.

सरकार सहेजे, ये धरोहर हैं

इन प्राचीन धरोहरों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सहेजने की दरकार है. साथ ही इनका पुरातत्व महत्व भी है. साथ ही इसने स्थानीय लोगों की आस्था और जन भावना जुड़ी है. इलाके के पार्षद नगर विकास न्यास से कई बार मांग भी कर चुके हैं.

Kota Chambal Riverfront Case
प्राचीन प्रतिमाएं रिवर फ्रंट में दबी

इन प्रतिमाओं को उठाकर ऊपर रखने की मांग भी की जा चुकी है. रिवर फ्रंट का निर्माण कर रही एजेंसी ने मंदिर में जाने वाली प्राचीन सीढ़ियों और रास्ते को बंद कर दिया है. अब लोग पूजा करने के लिए भी नीचे नहीं जा पाएंगे. हालांकि यहां पर आरसीसी की दीवारें बनाई जा रही हैं. जल्द ही यहां पर आरसीसी की बड़ी दीवार खड़ी कर दी जाएगी.

पढ़ें- Special: अयोध्या की जमीन पर राम भक्तों की आगवानी करेगा जोधपुर के सेंड स्टोन से बना भव्य द्वार

एनीकट के चलते पानी भर जाएगा

रिवर फ्रंट बनने के बाद चंबल नदी में बैराज से लेकर नयापुरा तक पानी भरा रहेगा. इसके लिए एक छोटा एनीकट बनाया जा रहा है. इसके चलते नदी में साल भर पानी रहेगा. साथ ही नगर पुल के दोनों तरफ आरसीसी की ऊंची दीवारें बनाई जा रही हैं. ऐसे में जब यहां पर पानी भर जाएगा तो स्थानीय लोग नहीं जा पाएंगे और यह प्रतिमाएं भी डूब जाएंगी.

यूआईटी के अधिकारी नहीं दे रहे जवाब

इस संबंध में ईटीवी भारत ने नगर विकास न्यास के सचिव राजेश जोशी और सलाहकार आरडी मीणा से भी बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने कुछ भी जवाब देने से इनकार कर दिया है. इन प्रतिमाओं को ना तो निकाला गया है, ना कहीं और स्थापित करने का प्लान है. बल्कि सरिए की फेंसिंग कर दी गई है.

Kota Chambal Riverfront Case
1100 साल पुरानी प्रतिमाएं दीवार से ढंकी
Kota Chambal Riverfront Case
प्राचीन प्रतिमाओं को ये कैसी जेल

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे लोग कई बार यहां आए. उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं को यूआईटी में रख दिया जाएगा. लेकिन काम लगातार चल रहा है और प्रतिमाएं दबती जा रही हैं. न तो इन्हें यहां से हटाया जा रहा है और न ही ऐसी परिस्थिति दिखाई दे रही है कि भविष्य में यहां स्थानीय लोग पूजा कर सकें. स्थानीय लोगों ने मंदिर को ऐतिहासिक और आस्था के स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग की है.

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