जोधपुर. इच्छा के विरूद्ध देह व्यापर के लिए मजबूर युवती को राजस्थान हाईकोर्ट ने अनचाहे गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी है. युवती ने गुरूवार राजस्थान हाईकोर्ट में गर्भपात को लेकर याचिका दायर की थी.
याचिका दायर होने के बाद जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने इसे गंभीर और अत्यंत आवश्यक मानते हुए गुरुवार को रातानाडा पुलिस को युवती का मेडिकल बोर्ड से परीक्षण करवाकर, रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. गुरूवार को जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में रिपोर्ट पेश होने पर दोबारा सुनवाई करते हुए युवती के तर्को और मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गर्भपात करवाने की अनुमति प्रदान कर दी.
कोर्ट में पेश रिपोर्ट के अनुसार युवती के गर्भ में 17 सप्ताह 03 दिन यानी करीब चार माह का भ्रूण है. जिसका यदि गर्भपात किया जाता है, तो युवती को किसी प्रकार का खतरा नहीं है. कोर्ट ने रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद उम्मेद अस्पताल में मेडिकल बोर्ड, जिसमें दो स्त्रीरोग विशेषज्ञों को शामिल करते हुए तीन दिन में गर्भपात करने की अनुमति प्रदान कर दी है.
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मामले के अनुसार युवती नागपुर की रहने वाली है. जिसके माता-पिता के निधन के बाद रिश्तेदार ने पाली में जन्नत बानो जो कि एक वेश्यालय चलाती है, उसके हाथों सौंप दिया था. जन्नत बानो युवती की इच्छा के विरूद्ध उससे देह व्यापार करवा रही थी. 31 मार्च 2020 को युवती किसी तरह से वहां से भागकर कोतवाली थाने पहुंची और जन्नत बानो सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया.
युवती ने इसके बाद अपने पेट में पल रहे अनचाहे गर्भ का गर्भपात करवाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका पेश की. जिसमें बताया कि यह अनचाहा गर्भ है, जो कि दुष्कर्म के जरिए ही माना जाए. यह जन्म लेने के बाद भी सम्मान का जीवन यापन नहीं कर पाएगा. ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने सभी तर्कों और रिपोर्ट के बाद गर्भपात करने की अनुमति देने के साथ ही उम्मेद अस्पताल या एसएन मेडिकल कॉलेज को भ्रूण का डीएनए सात साल तक सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं.