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स्पेशल स्टोरी : 2009 में लापता हुआ युवक 10 साल बाद जोधपुर में मिला, मृत मान बैठे थे परिजन - जोधपुर चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस

जिस बेटे को ढूंढने के लिए पिता ने लाख जतन किए. तांत्रिक और ज्योतिषियों से लेकर पुलिस तक गुहार लगाई. लेकिन थक हारकर उन्हें निराशा ही मिली. लेकिन दिल पर पत्थर रखते हुए परिजनों ने जिस बेटे को मृत मान लिया था. आज उसी बेटे को पिता ने जब 10 साल बाद अपने सीने से लगाया तो उनकी खुशी के मारे आंखे छलक गई.

missing person found jodhpur, राजस्थान में लापता
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Published : Nov 11, 2019, 10:39 PM IST

जोधपुर. ये कहानी उत्तर प्रदेश गांव अंवराई के मोहन की है. साल 2009 में मोहन जब 8वीं कक्षा में पढ़ता था तब अचानक लापता हो गया था. मोहन के अनुसार एक दिन वह तरकारी लाने के लिए बाजार निकला था. इस दौरान एक कबूतर बाज के उसे झांसे में ले लिया और उसे सीधे बैंगलुरू ले गया. जहां उसे अवैध कार्यों में फंसा दिया. करीब चार साल तक कई यातनाएं सहने के बाद एक दिन मोहन वहां से भाग निकला. यहां से मोहन सूरत और फिर जोधपुर पहुंचा. जहां रोजी रोटी के लिए एक निजी होटल में कैटरिंग का काम करने लगा.

2009 में घर लापता हुआ युवक 10 साल बाद जोधपुर में मिला, परिजनों ने पुलिस का जताया आभार

जोधपुर में काम करने के दौरान मोहन अपने क्षेत्र के कुछ लोगों से मिला तो उसे घर की याद आई. तब उसे अपनी बहन का एक पुराना नंबर भी मिल गया. कई बार कोशिश करने के बाद मोहन की अपनी बहन से बात हुई. इतने साल बाद अचानक मोहन का फोन आने से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अपने बेटे से मिलने परिजन जोधपुर पहुंचे और चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने मोबाइल नंबर के आधार पर डिटेल निकाली और मोहन को ढूंढ निकाला.

पढ़ेंः स्विट्जरलैंड की 'केलर' हिन्दुस्तान आई और यहां की मिट्टी में ही समा गई

पुलिस ने मोहन से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह पिछले 10 सालों से अपने घर पर नहीं गया है. इसके बाद पुलिस ने मोहन के उसके परिजनों से मिलवाया और उनके सुपुर्द कर दिया. मोहन के पिता का कहना है कि लापता होने के बाद उन्होंने बेटे मोहन को ढूंढने की लाख कोशिशें की. जब वो नहीं मिला तो मृत मान लिया गया था.

अचानक से इतने सालों बाद अपने घर के चिराग मोहन के मिल जाने से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है. परिवार के लोग जोधपुर की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस का आभार जता रहे है. एसीपी आनंद सिंह का कहना है कि पीड़ित युवक के परिजन थाने पहुंचे जिस पर पुलिस ने नंबरों के आधार पर लोकेशन का पता किया और 10 साल से लापता युवक मोहन को उसके परिजनों से मिलवाया.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: भरतपुर के बंसी पहाड़पुर से जा रहा राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर, जानिए क्या है खासियत

फिलहाल पुलिस ने औपचारिकता पूरी कर मोहन को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है. अब मोहन एक बार फिर 10 साल बाद अपने गांव जाएगा और अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करेगा.

जोधपुर. ये कहानी उत्तर प्रदेश गांव अंवराई के मोहन की है. साल 2009 में मोहन जब 8वीं कक्षा में पढ़ता था तब अचानक लापता हो गया था. मोहन के अनुसार एक दिन वह तरकारी लाने के लिए बाजार निकला था. इस दौरान एक कबूतर बाज के उसे झांसे में ले लिया और उसे सीधे बैंगलुरू ले गया. जहां उसे अवैध कार्यों में फंसा दिया. करीब चार साल तक कई यातनाएं सहने के बाद एक दिन मोहन वहां से भाग निकला. यहां से मोहन सूरत और फिर जोधपुर पहुंचा. जहां रोजी रोटी के लिए एक निजी होटल में कैटरिंग का काम करने लगा.

2009 में घर लापता हुआ युवक 10 साल बाद जोधपुर में मिला, परिजनों ने पुलिस का जताया आभार

जोधपुर में काम करने के दौरान मोहन अपने क्षेत्र के कुछ लोगों से मिला तो उसे घर की याद आई. तब उसे अपनी बहन का एक पुराना नंबर भी मिल गया. कई बार कोशिश करने के बाद मोहन की अपनी बहन से बात हुई. इतने साल बाद अचानक मोहन का फोन आने से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अपने बेटे से मिलने परिजन जोधपुर पहुंचे और चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने मोबाइल नंबर के आधार पर डिटेल निकाली और मोहन को ढूंढ निकाला.

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पुलिस ने मोहन से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह पिछले 10 सालों से अपने घर पर नहीं गया है. इसके बाद पुलिस ने मोहन के उसके परिजनों से मिलवाया और उनके सुपुर्द कर दिया. मोहन के पिता का कहना है कि लापता होने के बाद उन्होंने बेटे मोहन को ढूंढने की लाख कोशिशें की. जब वो नहीं मिला तो मृत मान लिया गया था.

अचानक से इतने सालों बाद अपने घर के चिराग मोहन के मिल जाने से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है. परिवार के लोग जोधपुर की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस का आभार जता रहे है. एसीपी आनंद सिंह का कहना है कि पीड़ित युवक के परिजन थाने पहुंचे जिस पर पुलिस ने नंबरों के आधार पर लोकेशन का पता किया और 10 साल से लापता युवक मोहन को उसके परिजनों से मिलवाया.

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फिलहाल पुलिस ने औपचारिकता पूरी कर मोहन को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है. अब मोहन एक बार फिर 10 साल बाद अपने गांव जाएगा और अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करेगा.

Intro:खबर में वॉइस ओवर डेस्क से करवाये ओर बाईट के अलावा विसुअल लगभग 5 मिनिट के भेजे है अपने हिसाब से काम मे ले लेवे । जोधपुर उत्तर प्रदेश के अवँराई गाँव जिला सारिपुर से जुलाई 2009 को लापता हुए आठवीं क्लास का छात्र आज करीब 10 साल बाद अपने परिजनों को मिल गया। परिजनों को मिलते हैं परिजनों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली ।मामला उत्तर प्रदेश के अवँराई गांव का है जहां युवक मोहन पांडे बचपन में जुलाई 2009 को शाम के समय घर से सब्जी लेने के लिए गया था। जहां रास्ते में एक कबूतर बाज के झांसे में आकर वह उसके साथ चला गया। पीड़ित युवक ने बताया कि कबूतर बाज युवक के झांसे में आकर युवक उसे बेंगलुरु ले गया । जहां पर युवक द्वारा पीड़ित मोहन से गलत काम करवाया जाता था। करीब 4 साल वहां काम करने के बाद पीड़ित युवक मोहन मौका देखकर वहां से भाग गया और वह भागकर सूरत चला गया जहां उसने अपनी रोजी रोटी कमाने हेतु टेक्सटाइल कंपनी में काम किया। टेक्सटाइल कंपनी में काम करने के बाद वह सूरत में ही कैटरिंग का काम करने लगा और केटरिंग का काम करने वाले लोगों के संपर्क में आने के बाद पीड़ित जोधपुर आ गया और जोधपुर के निजी होटल में केटरिंग का काम करने लगा।


Body:जोधपुर में काम करने के दौरान वह यहां पर कुछ लोगों से मिला और उसे खुद के पास अपनी बहन का कई सालों पुराना नंबर मिल गया और उसने अपने बहन को फोन किया। शुरुआत में उस नंबर पर कॉल नही लगे लेकिन मोहन उसी नंबर पर कुछ कुछ दिनों में कॉल करता रहता था। एक दिन अचानक से नम्बर पर मोहन का कॉल लग गया और उसकी बात अपनी बहन से हुई। बहन को फोन करने के बाद पीड़ित मोहन की बहन के जरिये अपने परिजनों से बात हुई। इतने साल बाद अचानक एकदम मोहन का फोन आने से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।मोहन से बात करने के बाद उसके परिजन जोधपुर पहुंचे और उन्होंने चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने तुरंत रूप से कार्रवाई करते हुए नंबर के आधार पर एक निजी होटल गार्डन में रुके मोहन के पास जाकर पूछताछ की। तो उसने बताया कि वह पिछले 10 सालों से अपने घर पर नहीं गया है और पुलिस द्वारा मोहन के परिजनों से उसकी मुलाकात करवा कर मोहन को सुपुर्द किया गया। मोहन के पिता का कहना है कि वर्ष 2009 में लापता होने के बाद उन्होंने अपने परिवार सहित मोहन को कई सालों तक ढूंढा लेकिन वह नहीं मिला। परिवार वालों ने पीड़ित युवक मोहन को कई वर्ष ढूंढने के बाद नही मिलने पर मृत मान लिया ।लेकिन अचानक से इतने सालों बाद जब उनके घर के चिराग का फोन आया और वह मिला तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मोहन के मिलने के बाद परिवार के लोग जोधपुर की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस का आभार जता रहे है। वही चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस के एसीपी आनंद सिंह का कहना है कि पीड़ित युवक के परिजन थाने पहुंचे जिस पर पुलिस ने नंबरों के आधार पर लोकेशन का पता किया और 10 साल से लापता युवक मोहन को उसके परिजनों से मिलवाया। फिलहाल चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस ने कागजी कार्रवाई व औपचारिकता पूरी कर मोहन को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है अब मोहन एक बार फिर 10 साल से अपने गांव जाएगा और अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करेगा। फिलहाल मोहन ओर उसके परिजनों द्वारा पुलिस में किसी के भी खिलाफ कोई रिपोर्ट नही दी गयी है।


Conclusion:बाईट आनंद सिंह एसीपी जोधपुर बाईट मोहन पीड़ित युवक बाईट महेंद्र पांडे पीड़ित के पिता बाईट अजय पांडे पीड़ित ल चाचा
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