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Special : यहां भलाई की 'भींत' बनी 'शो रूम'...जानिए पूरी खबर

भींत राजस्थानी शब्द है, जिसे हिंदी में दीवार कहा जाता है. पिछले 3 सालों से जोधपुर शहर में 'भलाई री भींत' बहुत चर्चित है. अब यह भलाई का शो रूम बन गई है. आईए जानते हैं भलाई की भींत के बारे में खास बातें...

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यहां जरूरतमंदों को मिलते हैं कपड़े
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Published : Feb 8, 2020, 12:23 PM IST

Updated : Feb 8, 2020, 12:31 PM IST

जोधपुर. 3 साल पहले दुनिया के कई देशों में वाल ऑफ काइंडनेस, हैप्पीनेस सामने आई थी. जिससे प्रेरित होकर जोधपुर नगर निगम ने भी शहर के जरूरतमंदों को कपड़े उपलब्ध करवाने के लिए 'भलाई की भींत' की स्थापना की. यहां शहर के लोग अपने पुराने कपड़े छोड़ जाते हैं.

यहां जरूरतमंदों को मिलते हैं कपड़े

'भलाई की भींत' इन दिनों काफी तारीफ बटोर रही है. शहरवासी भी निगम की इस पहल की सराहना कर रहे हैं और मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

3 साल से मशहूर 'भलाई की भींत' अब 'भलाई का शो रूम' बन चुकी है. इस शो रूम को पहली नजर में अंदर से देखने पर बिल्कुल एहसास नहीं होता है, कि यहां पुराने कपड़े लगाए गए हैं.

शहर के लोग रखते हैं कपड़े

निगम के इंजीनियर सुधीर माथुर की देखरेख में यह शो रूम चल रहा है. जहां पुराने कपड़ों को भी साफ सुथरा और प्रेस करके साइज के हिसाब से काउंटर और अलमारियों में जमाया जाता है. यह सभी कपड़े शहर के लोग यहां लाकर देते हैं.

यह भी पढे़ं : Special : सिर्फ 24 लोगों को ही बीमा क्लेम मिलने से अन्नदाता मायूस, किससे करें फरियाद...

हजारों जरूरतमंदों ने पहने यहां के कपड़े

बीते ढाई से 3 सालों में यहां हजारों की संख्या में लोग अपने लिए कपड़े ले चुके हैं. भलाई की भींत शो रूम को चलाने वाले केयरटेकर वीरेंद्र सिंह का कहना है, कि रोजाना 10 से 15 लोग यहां जरूरत के हिसाब से कपड़े लेने आते हैं. खास बात ये भी है, कि नगर निगम ने यहां चेंजिंग रूम भी बना दिया है. जिससे लोग अपनी पसंद के कपड़े यहां से ले जाते हैं.

कपड़ों के साथ पुराने खिलौने भी जमा करा रहे लोग

कपड़े लेने वालों की संख्या सुबह और शाम को ज्यादा रहती है. निगम ने भी समय का पूरा ध्यान रखा है, जिससे जरूरतमंद को किसी तरह की परेशानी ना हो. अब यहां लोग अपने पुराने खिलौने भी जमा करवाने लगे हैं, जिन्हें कच्ची बस्तियों के बच्चों को बांटा जाता है.

जोधपुर. 3 साल पहले दुनिया के कई देशों में वाल ऑफ काइंडनेस, हैप्पीनेस सामने आई थी. जिससे प्रेरित होकर जोधपुर नगर निगम ने भी शहर के जरूरतमंदों को कपड़े उपलब्ध करवाने के लिए 'भलाई की भींत' की स्थापना की. यहां शहर के लोग अपने पुराने कपड़े छोड़ जाते हैं.

यहां जरूरतमंदों को मिलते हैं कपड़े

'भलाई की भींत' इन दिनों काफी तारीफ बटोर रही है. शहरवासी भी निगम की इस पहल की सराहना कर रहे हैं और मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

3 साल से मशहूर 'भलाई की भींत' अब 'भलाई का शो रूम' बन चुकी है. इस शो रूम को पहली नजर में अंदर से देखने पर बिल्कुल एहसास नहीं होता है, कि यहां पुराने कपड़े लगाए गए हैं.

शहर के लोग रखते हैं कपड़े

निगम के इंजीनियर सुधीर माथुर की देखरेख में यह शो रूम चल रहा है. जहां पुराने कपड़ों को भी साफ सुथरा और प्रेस करके साइज के हिसाब से काउंटर और अलमारियों में जमाया जाता है. यह सभी कपड़े शहर के लोग यहां लाकर देते हैं.

यह भी पढे़ं : Special : सिर्फ 24 लोगों को ही बीमा क्लेम मिलने से अन्नदाता मायूस, किससे करें फरियाद...

हजारों जरूरतमंदों ने पहने यहां के कपड़े

बीते ढाई से 3 सालों में यहां हजारों की संख्या में लोग अपने लिए कपड़े ले चुके हैं. भलाई की भींत शो रूम को चलाने वाले केयरटेकर वीरेंद्र सिंह का कहना है, कि रोजाना 10 से 15 लोग यहां जरूरत के हिसाब से कपड़े लेने आते हैं. खास बात ये भी है, कि नगर निगम ने यहां चेंजिंग रूम भी बना दिया है. जिससे लोग अपनी पसंद के कपड़े यहां से ले जाते हैं.

कपड़ों के साथ पुराने खिलौने भी जमा करा रहे लोग

कपड़े लेने वालों की संख्या सुबह और शाम को ज्यादा रहती है. निगम ने भी समय का पूरा ध्यान रखा है, जिससे जरूरतमंद को किसी तरह की परेशानी ना हो. अब यहां लोग अपने पुराने खिलौने भी जमा करवाने लगे हैं, जिन्हें कच्ची बस्तियों के बच्चों को बांटा जाता है.

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Body:जोधपुर। भींत जिसे हिंदी में दीवार कहा जाता है।।करीब 3 वर्ष पहले दुनिया के कई देशों में वाल ऑफ काइंडनेस, हैप्पीनेस के नाम से सामने आई तो जोधपुर नगर निगम ने भी शहर के जरूरतमंदों को कपड़े उपलब्ध करवाने का लिए "भलाई की भींत" की स्थापना की जहां शहर के लोग अपने पुराने कपडे छोड़ सकते है। यह सिलसिला अभी तक बदस्तूर जारी है। और अब भलाई की भी भलाई का शोरूम बन चुकी है इसे पहली नजर में अंदर से देखने पर बिल्कुल एहसास नहीं होता है कि यह कोई पुराने कपड़े यहां लगाए गए हैं निगम के इंजीनियर सुधीर माथुर की देखरेख में यह शोरूम चल रहा है जहां पुराने कपड़ों को भी साफ सुथरा प्रेस करके साइज के हिसाब से काउंटर और अलमारी में जमाया जाता है। यह सभी कपड़े शहर के लोग यहां लाकर देते हैं।। बीते ढाई से 3 सालों में यहां हजारों की संख्या में लोग अपने लिए कपड़े ले चुके हैं और यह सिलसिला अभी जारी है भलाई की भीत शोरूम को चलाने वाले केयरटेकर वीरेंद्र सिंह का कहना है कि प्रतिदिन 10 से 15 लोग यहां जरूरत के हिसाब से कपड़े लेने आते हैं और नगर निगम ने यहां चेंजिंग रूम भी बना दिया है जिससे कि वह पसंद करके कपड़े लेते हैं। कपड़े लेने वालों की संख्या सुबह सुबह रहती जब वे लोग अपने काम पर निकलते है या फिर काम से लौटते समय। निगम ने भी समय का पूरा ध्यान रखा है जिससे कि जरूरतमंद को किसी तरह की परेशानी नही हो। अब यहां लोग अपने पुराने खिलौने भी जमा करवाने लगे है, जिन्हें कच्ची बस्तियों के बच्चों को वितरित किया जाता है।
बाईट 1 वीरेंद्र सिंह, केअर टेकर, भलाई की भींत
बाईट 2 सुधीर माथुर, एक्सईएन नगर निगम एव नोडल ऑफिसर भलाई की भीत



Conclusion:
Last Updated : Feb 8, 2020, 12:31 PM IST
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