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जोधपुर में परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह को दी गई श्रद्धांजलि

जोधपुर में परमवीर मेजर शैतान सिंह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजिल समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में थल सेना और वायु सेना के अधिकारियों ने मेजर को पुष्पचक्र अर्पित कर उनके पराक्रम को नमन किया.

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Published : Nov 18, 2019, 8:46 PM IST

जोधपुर. भारतीय सेना और मारवाड़ गौरव परमवीर मेजर शैतान सिंह की 57वीं पुण्यतिथी पर श्रद्धाजंलि समारोह आयोजित किया गया. इस मौके पर पावटा सर्कल पर उनकी मूर्तिस्थल पर थलसेना और वायुसेना के अधिकारियों ने मेजर को पुष्पचक्र अर्पित किए.

जोधपुर में परमवीर मेजर शैतान सिंह की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित

भारतीय सेना की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व सैनिक और जोधपुर संभागीय आयुक्त बीएल कोठारी ने भी मेजर को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में जीओसी सब एरिया बिग्रेडियर लुथरा, एयर कमाडोर फिलिप्स जॉर्ज थोमस, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर लक्ष्मण सिंह, मेजर शैतान सिंह के परिवार के सदस्य, चौपासनी स्कूल के विद्यार्थी, सेना के सेवानिवृत अधिकारी और कर्मचारियों ने श्रद्धाजंलि अर्पित की.

यह भी पढ़ें. भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और राहुल के खिलाफ दायर याचिका मामले में सुनवाई टली, महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी का आरोप

मेजर और उनकी पलटन ने करीब 13 सौ चीनी सैनिकों को उतारा मौत के घाट

बता दें कि 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध चल रहा था. करीब 17 हजार फीट की उंचाई वाले चुशूल सेक्टर के रेजांग्ला में कुमायू बटालियन के साथ मेजर शैतान सिंह अपने 114 सैनिकों के साथ डटे हुए थे. उन्होंने चीनी सेना का जमकर मुकाबला किया. उनकी पलटन ने करीब 13 सौ चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था. वहीं इस युद्ध में मेजर सहित कोई भी सैनिक नहीं बचा था.

यह भी पढ़ें. जोधपुरः सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट शेयर कर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोपी की याचिका खारिज, हाइकोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार

सैनिकों के शव बर्फ पिघलने के बाद मिले थे. भारतीय चौकी के सामने ही बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के भी शव मिले थे. भारतीय सेना के पास हथियार भी सीमित मात्रा में थे. मेजर की पलटन के अदम्य शौर्य के चलते चीनी सेना आगे नहीं बढ़ सकी थी.

मेजर शैतान सिंह भाटी की इस बहादुरी और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने पर भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा. परमवीर चक्र भारत में देश में युद्धकाल के दौरान दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान है.

जोधपुर. भारतीय सेना और मारवाड़ गौरव परमवीर मेजर शैतान सिंह की 57वीं पुण्यतिथी पर श्रद्धाजंलि समारोह आयोजित किया गया. इस मौके पर पावटा सर्कल पर उनकी मूर्तिस्थल पर थलसेना और वायुसेना के अधिकारियों ने मेजर को पुष्पचक्र अर्पित किए.

जोधपुर में परमवीर मेजर शैतान सिंह की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित

भारतीय सेना की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व सैनिक और जोधपुर संभागीय आयुक्त बीएल कोठारी ने भी मेजर को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में जीओसी सब एरिया बिग्रेडियर लुथरा, एयर कमाडोर फिलिप्स जॉर्ज थोमस, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर लक्ष्मण सिंह, मेजर शैतान सिंह के परिवार के सदस्य, चौपासनी स्कूल के विद्यार्थी, सेना के सेवानिवृत अधिकारी और कर्मचारियों ने श्रद्धाजंलि अर्पित की.

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मेजर और उनकी पलटन ने करीब 13 सौ चीनी सैनिकों को उतारा मौत के घाट

बता दें कि 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध चल रहा था. करीब 17 हजार फीट की उंचाई वाले चुशूल सेक्टर के रेजांग्ला में कुमायू बटालियन के साथ मेजर शैतान सिंह अपने 114 सैनिकों के साथ डटे हुए थे. उन्होंने चीनी सेना का जमकर मुकाबला किया. उनकी पलटन ने करीब 13 सौ चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था. वहीं इस युद्ध में मेजर सहित कोई भी सैनिक नहीं बचा था.

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सैनिकों के शव बर्फ पिघलने के बाद मिले थे. भारतीय चौकी के सामने ही बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के भी शव मिले थे. भारतीय सेना के पास हथियार भी सीमित मात्रा में थे. मेजर की पलटन के अदम्य शौर्य के चलते चीनी सेना आगे नहीं बढ़ सकी थी.

मेजर शैतान सिंह भाटी की इस बहादुरी और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने पर भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा. परमवीर चक्र भारत में देश में युद्धकाल के दौरान दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान है.

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Body:परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतानसिंह को दी श्रद्धांजलि

जोधपुर। भारतीय सेना  एवं मारवाड  गौरव परमवीर मेजर शैतानसिंह की  57  वीं पुण्यतिथी पर पावटा सर्कल पर उनकी मूर्ति स्थल पर  श्रद्धाजंलि समारोह आयोजित किया गया। इस मौके  पर थलसेना व वायुसेना के अधिकारियेां ने मेजर को पुष्पचक्र अर्पित किए। इस  मौके पर भारतीय सेना की ओर से आयोजित कार्यक्रम  में पूर्व सैनिकों व  जोधपुर संभागीय आयुक्त  बीएल   कोठारी  ने भी मेजर को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में जीओसी सब एरिया बिग्रेडियर लुथरा, एयर कमाडोर फिलिप्स जॉर्ज थोमस, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमाण्डर लक्ष्मणसिंह करमसोत से.नि., मेजर शैतानसिंह के परिवार सदस्य,  चौपासनी स्कूल के विद्यार्थियों व सेना के सेवानिवृत अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। 
1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध चल रहा था। करीब  17हजार फीट की उंचाई  वाले  चुशूल सेक्टर के रेजांग्ला में कुमायू बटालियन के साथ मेजर शैतानसिंह अपने 114  सैनिकों के साथ डटे  हुए थे। उन्होंने चीनी  सेना का जमकर मुकाबला  किया। उनकी पलटन ने करीब 1300 चीनी  सैनिकों को मौत के  घाट उतारा  था। इस युद्ध में  मेजर सहित  कोई भी सैनिक नहीं बचा था। सैनिकों  के शव बर्फ पिघलने के  बाद मिले थे। भारतीय चौकी के  सामने  ही बडी संख्या में चीनी सैनिकों के भी  शव मिले थे। भारतीय सेना के बाद हथियार भी सीमिति मात्रा में थे। मेजर की पलटन के अदम्य शौर्य  के चलते  चीनी सेना आगे नहीं बढ सकी थी। मेजर शैतानसिंह   भाटी की इस बहादुरी   और देश  के लिए अपना  सर्वोच्च बलिदान देने पर भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा। परमवीर   चक्र  भारत में  देश में युद्धकाल के दौरान दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। 

बाईट 1 कर्नल वीएस सिंह, पूर्व सैनिक
बाईट 2 कर्नल लक्ष्मण सिंह, पूर्व सैनिक





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