जोधपुर. भारतीय सेना और मारवाड़ गौरव परमवीर मेजर शैतान सिंह की 57वीं पुण्यतिथी पर श्रद्धाजंलि समारोह आयोजित किया गया. इस मौके पर पावटा सर्कल पर उनकी मूर्तिस्थल पर थलसेना और वायुसेना के अधिकारियों ने मेजर को पुष्पचक्र अर्पित किए.
भारतीय सेना की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व सैनिक और जोधपुर संभागीय आयुक्त बीएल कोठारी ने भी मेजर को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में जीओसी सब एरिया बिग्रेडियर लुथरा, एयर कमाडोर फिलिप्स जॉर्ज थोमस, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर लक्ष्मण सिंह, मेजर शैतान सिंह के परिवार के सदस्य, चौपासनी स्कूल के विद्यार्थी, सेना के सेवानिवृत अधिकारी और कर्मचारियों ने श्रद्धाजंलि अर्पित की.
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मेजर और उनकी पलटन ने करीब 13 सौ चीनी सैनिकों को उतारा मौत के घाट
बता दें कि 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध चल रहा था. करीब 17 हजार फीट की उंचाई वाले चुशूल सेक्टर के रेजांग्ला में कुमायू बटालियन के साथ मेजर शैतान सिंह अपने 114 सैनिकों के साथ डटे हुए थे. उन्होंने चीनी सेना का जमकर मुकाबला किया. उनकी पलटन ने करीब 13 सौ चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था. वहीं इस युद्ध में मेजर सहित कोई भी सैनिक नहीं बचा था.
सैनिकों के शव बर्फ पिघलने के बाद मिले थे. भारतीय चौकी के सामने ही बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के भी शव मिले थे. भारतीय सेना के पास हथियार भी सीमित मात्रा में थे. मेजर की पलटन के अदम्य शौर्य के चलते चीनी सेना आगे नहीं बढ़ सकी थी.
मेजर शैतान सिंह भाटी की इस बहादुरी और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने पर भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा. परमवीर चक्र भारत में देश में युद्धकाल के दौरान दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान है.