जोधपुर. स्वाइन फ्लू लोगों के लिए परेशानी का सबब नहीं बने इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. खासतौर से निजी जांच के अंदर जो स्वाइन फ्लू के वायरस H1N1 की जांच करते हैं, उनको लेकर विभाग बहुत सतर्क है. क्योंकि निजी जांच केंद्रों में गाइडलाइन के अनुरूप सी-कैटेगरी के मरीजों की जांच के बजाय हल्के- फुल्के लक्षणों पर भी धड़ल्ले से जांच होती है. जिससे संदिग्ध मरीज (ओ-पॉजिटिव) मरीजों की संख्या बढ़ती है.
जिसका परिणामस्वरुप समाज में भय का माहौल पनपता है. इसको लेकर विभाग ने निजी जांच केंद्रों को निर्देश दिए हैं कि पहले तो वे अपने यहां होने वाली जांच की रिपोर्ट एक बार एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर की लैब में भेजकर प्रमाणित कराएं. उसके बाद ही उनकी जांच को मान्यता दी जाएगी. वहीं, केवल स्वाइन फ्लू के सी-कैटेगरी के मरीज की जांच की जाएगी.
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विभाग का कहना है कि बी-कैटेगरी के मरीजों की जांच नहीं कर डॉक्टर सीधे उन्हें उपचार से जुड़े और उन्हें टेमीफ्लू दे, आवश्यकता होने पर ऐसे मरीजों को घर पर रखा जाए. जिससे वे जल्दी ठीक हो जाएं. जोधपुर सीएमएचओ का कहना है कि यह सरकार की गाइडलाइन है, जिसकी पालना करवाने के लिए अभी से ही निर्देश जारी कर दिए गए हैं, क्योंकि जोधपुर के जांच केंद्र ए और बी-केटेगरी के मरीजों की भी जांच करते हैं, जो नहीं होनी चाहिए.
गौरतलब है कि जोधपुर में स्वाइन फ्लू के रोगियों की संख्या हर वर्ष सामने आती है. मेडिकल कॉलेज में सरकारी स्तर पर जांच की जाती है, जबकि निजी डॉक्टर प्राइवेट लैब भेजते हैं जहां ₹3 हजार मरीजों को चुकाने पड़ते हैं. विभाग का मानना है कि ज्यादातर मरीजों को जांच की आवश्यकता नहीं होती है, फिर भी अनावश्यक जांच करवाई जा रही है. इस पर रोक लगाने एवं जांच की प्रमाणिकता सिद्ध करने के लिए जारी गाइडलाइन की पालना निजी जांच केंद्रों को अब करनी ही होगी.