जोधपुर. कोरोना लगातार फैल रहा है. खासतौर से ऐसे लोग इसका शिकार हो रहे हैं जिन्हें पहले से बीमारियां है. इसके अलावा सामान्य लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. जिन्हें उपचार के दौरन डॉक्टर्स को स्टेरॉयड देने पड़ रहे हैं. इन स्टेरॉयड से मरीज ठीक तो हो जाता है, लेकिन बाद में कोरोना के साइड इफेक्ट भारी पड़ रहे हैं. खासतौर पोस्ट कोविड मरीजों में अब डायबिटीज होने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. या यूं कहें तो ऐसे मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद डायबिटीज की जद में आ गए हैं, जिन्हें अब ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.
शहर के मथुरादास माथुर और निजी अस्पतालों में लगातार ऐसे मरीज सामने आ रहे है. जिनमें कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों को डायबिटीज हो गई है. इसका कारण स्टेरॉयड मान रहे है. क्योंकि कोरोना के प्रभाव में इसके प्रतिकूल असर ज्यादा आ रहे है. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. नवीन किशोरिया का कहना है कि कोविड शरीर में स्ट्रेस पैदा करता है. जिससे जिनके परिवार में पहले से किसी सदस्य को डायबिटीज है या बॉर्डर लाइन पर तो वे डायबिटीज की जद में आ जाते है. ऐसे मरीजों वापस डायबिटीज ठीक होने पर अभी संशय है. एक स्टडी के बाद यह बताया जा सकेगा कि ऐसे मरीजों की डायबिटीज कुछ साल के लिए ठीक हो जाए.
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इसी तरह से वरिष्ठ फिजिशियन अभिषेक तातेड का कहना है कि कोरोना में काम आने वाले स्टेरॉयड की वजह से प्रीडायबिटीक स्टेज वाले डायबिटीक में कनर्वट हो रहे है. इसके अलावा कई मरीजों को लंग्स में फाइब्रोसिस भी हो रहा है. ऐसे मरीजों को आगे के जीवन में बहुत कांशियश रहना होगा अपनी जीवनशैली को बदलना होगा, जिससे वे बचे रहे. गत दिनों कोरोना से ठीक हुए राजेश रामदेव खुद पहले डायबिटीक है. उनका कहना है कि जिन लोगों को डायबिटीज या अन्य कोई बीमारी है तो बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.