जोधपुर. पूरी दुनिया में 4 जून को आक्रमण के शिकार हुए मासूम बच्चों का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इस दिन यह चर्चा होती है कि वर्तमान समय में बच्चों के अधिकारों के कानून को लेकर क्या हालात हैं? क्या उनको पूरे अधिकार मिले हैं या नहीं? उन्हें संरक्षण मिल रहा है या नहीं?
बता दें कि राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग भी लगातार बच्चों के अधिकारों से जुड़े कार्य कर रहा है. खास बात यह है कि अब आयोग मासूमों की परेशानी जानने के लिए राज्य में पंचायत स्तर पर भी मॉनिटरिंग शुरू करने वाला है. इसके लिए संबंधित पंचायत के सरपंच और पंचायत समिति स्तर पर प्रधान को शामिल करके कमेटी बनाई जाएगी. क्षेत्र के बच्चे खास कर किशोरियां अपनी परेशानी जो अपने माता-पिता के साथ शेयर नहीं कर सकतीं वह इस कमेटी को बताएंगी और कमेटी आयोग तक उनकी बात को पहुंचाएगी. यह जानकारी राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने दी.
ब्लॉक स्तर पर हो रही जन सुनवाई...
राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि करीब 10 महीने पहले उन्होंने आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था. इसके बाद से लगातार प्रत्येक जिले में ब्लॉक स्तर तक जन सुनवाई की जा रही है, जिसमें आयोग के सदस्य जाते हैं. उन्होंने बताया कि साथ ही स्कूलों में जाकर भी सुनवाई की जा रही है.
संगीता बेनीवाल ने बताया कि हमारा प्रयास है कि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा मंच मिले, जिससे वह अपनी परेशानी हम तक पहुंचा सके. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी आयोग क्रियाशील रहा और घटनाओं की जानकारी मिलने पर कार्रवाई की गई. बेनीवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आयोग की बैठकें जारी रहीं.
लॉकडाउन में भी मिली कई शिकायतें...
राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष बेनीवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान किशोरियों को सेनेटरी नैपकिन नहीं मिलने की परेशानी सामने आई, इसको लेकर उन्हें कई पत्र मिले. साथ ही उन्होंने बताया कि किशोरियों के कपड़ा उपयोग में लेने से संक्रमण की शिकायतें भी मिलीं. आयोग ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए चिकित्सा विभाग और शिक्षा विभाग के मार्फत नैपकिन का वितरण करवाया और उपचार भी उपलब्ध करवाया. आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का कहना है कि साल में 1 दिन बच्चों की पीड़ा जाने के बजाय हम सब का प्रयास होना चाहिए कि हम वर्ष पर्यंत तक उनका ध्यान रखें.