जोधपुर. अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से उनके भांजे रमेश भाई ने आसाराम को 20 दिन की पेरोल दिए जाने के लिए याचिका पेश की थी, जिस पर सुनवाई के बाद याचिका को निस्तारित कर दिया गया है.
राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस देवेन्द्र कच्छवाह की खंडपीठ के समक्ष याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी, लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने याचिका को लिबर्टी के साथ वापस ले लिया, जिसके चलते हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि गुजरात में मामला अभी भी विचाराधीन है. ऐसे में जब तक वहां आंशिक राहत नहीं मिलती, तब तक के लिए वे पेरोल याचिका वापस लेना चाहते है. इस पर कोर्ट ने लिबर्टी के साथ याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी.
गौरतलब है कि आसाराम को पॉक्सो कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को आजीवन कारावास जीवन के अंतिम समय तक सजा के आदेश दिए थे, जिसके चलते आसाराम जोधपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं. आसाराम की ओर से पूर्व में भी साल 2018 में उनके भांजे रमेश भाई ने पेरोल के लिए आवेदन किया था, जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने 19 दिसम्बर 2018 को पेरोल याचिका निस्तारित करते हुए दोबारा जिला पेरोल कमेटी के समक्ष आवेदन करने के लिए कहा था. आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल में सितम्बर 2013 से ही बंद है, अभी तक एक बार भी ना तो ट्रायल के दौरान और ना ही सजा के बाद उन्हें राहत मिली है.