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Asharam Case: आसाराम को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, तीसरी बार जमानत याचिका खारिज - Jodhpur latest news

राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से आसाराम को राहत नहीं (Asaram not get relief from High Court) मिली है. आसाराम की ओर से जमानत के लिए दायर की गई याचिका तीसरी बार खारिज कर दी गई है. उम्र का हवाला देते हुए आसाराम ने जमानत अर्जी पेश की थी.

Asaram not get relief from High Court
आसाराम को राहत नहीं
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Published : Jul 8, 2022, 8:42 PM IST

जोधपुर. यौन उत्पीड़न के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ (Asaram not get relief from High Court) से झटका लगा है. आसाराम की तीसरी बार सजा स्थगन याचिका को यह कहते हुए खारिज किया गया कि गुजरात में मुकदमा विचाराधीन है. आरोपों की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए जमानत मंजूर नहीं की जा सकती है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ के समक्ष आशाराम की ओर से दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की.

सरकार की ओर से अनिल जोशी एएजी व उनके सहयोगी आरआर छापरवाल और पीड़िता की ओर से अधिवक्ता पीसी सोंलकी ने पक्ष रखा. पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने गुजरात में चल रहे मामले की स्थित मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से एएजी जोशी ने कहा कि गुजरात के मामले में अभी अभियोजन पक्ष की ओर से बयान करवाए जा रहे हैं. वहीं गुजरात मामले में उनको किसी तरह की राहत नहीं मिली है. ऐसे में सजा स्थगन याचिका को मंजूर नहीं किया जाए.

पढ़ें. आसाराम यौन उत्पीड़न मामला: शाहजहांपुर में रेप पीड़ित के परिवार को जान से मारने की धमकी!

आसाराम की ओर से अधिवक्ता ने दिए तर्क
अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि अपीलकर्ता लगभग 83 साल का वृद्ध व्यक्ति है और कई बीमारियों से पीड़ित है. वहीं हाईकोर्ट ने 10 फरवरी 2022 को आदेश पारित करते हुए सीआरपीसी की धारा 391 के तहत गवाह आईपीएस अजयपाल लाम्बा को तलब करना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी है. ऐसे में अपील की सुनवाई और निर्णय की कोई संभावना नहीं है. अपीलकर्ता लम्बे समय से हिरासत में है जिसे करीब 09 साल 07 महीने हो चुके हैं और जमानत का पात्र है. जिस आधार पर आजीवन कारावास की सजा हुई है वह प्रथम दृष्टया अपराध नहीं बना है. साथ ही उन्होंने बार-बार मुकदमे में स्थगन को लेकर भी पक्ष रखा.

पढ़ें. Asaram Case Hearing in HC : सजा स्थगन याचिका पर बहस करने आसाराम के वकील नहीं पहुंचे जोधपुर, सुनवाई स्थगित

सरकार की ओर से दिए ये तर्क
सरकार की ओर से कहा गया कि न तो उम्र और न ही हिरासत की अवधि जमानत का आधार बनते हैं. जहां तक स्थगन की बात है तो वो अपीलकर्ता की ओर से ही लिए गये हैं. ऐसे में अभियोजन पक्ष अपील पर पैरवी को तैयार रहा लेकिन अपीलकर्ता की ओर से ही मामले को लम्बित किया जा रहा है. गुजरात में अभी मामला विचाराधीन है और उस केस में भी हिरासत में है. ऐसे में जमानत याचिका को खारिज किया जाए. हाईकोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद सजा स्थगन के लिए तीसरी बार पेश याचिका को खारिज करते हुए आशाराम की उम्मीद को तोड़ दिया है.

ये था पूरा मामला: गौरतलब है कि अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के आरोप में पॉक्सो अदालत की ओऱ से 25 अप्रेल 2018 को आसाराम को आजीवन कारावास प्राकृतिक मृत्यु तक की सजा के आदेश दिए थे.

जोधपुर. यौन उत्पीड़न के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ (Asaram not get relief from High Court) से झटका लगा है. आसाराम की तीसरी बार सजा स्थगन याचिका को यह कहते हुए खारिज किया गया कि गुजरात में मुकदमा विचाराधीन है. आरोपों की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए जमानत मंजूर नहीं की जा सकती है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ के समक्ष आशाराम की ओर से दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की.

सरकार की ओर से अनिल जोशी एएजी व उनके सहयोगी आरआर छापरवाल और पीड़िता की ओर से अधिवक्ता पीसी सोंलकी ने पक्ष रखा. पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने गुजरात में चल रहे मामले की स्थित मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से एएजी जोशी ने कहा कि गुजरात के मामले में अभी अभियोजन पक्ष की ओर से बयान करवाए जा रहे हैं. वहीं गुजरात मामले में उनको किसी तरह की राहत नहीं मिली है. ऐसे में सजा स्थगन याचिका को मंजूर नहीं किया जाए.

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आसाराम की ओर से अधिवक्ता ने दिए तर्क
अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि अपीलकर्ता लगभग 83 साल का वृद्ध व्यक्ति है और कई बीमारियों से पीड़ित है. वहीं हाईकोर्ट ने 10 फरवरी 2022 को आदेश पारित करते हुए सीआरपीसी की धारा 391 के तहत गवाह आईपीएस अजयपाल लाम्बा को तलब करना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी है. ऐसे में अपील की सुनवाई और निर्णय की कोई संभावना नहीं है. अपीलकर्ता लम्बे समय से हिरासत में है जिसे करीब 09 साल 07 महीने हो चुके हैं और जमानत का पात्र है. जिस आधार पर आजीवन कारावास की सजा हुई है वह प्रथम दृष्टया अपराध नहीं बना है. साथ ही उन्होंने बार-बार मुकदमे में स्थगन को लेकर भी पक्ष रखा.

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सरकार की ओर से दिए ये तर्क
सरकार की ओर से कहा गया कि न तो उम्र और न ही हिरासत की अवधि जमानत का आधार बनते हैं. जहां तक स्थगन की बात है तो वो अपीलकर्ता की ओर से ही लिए गये हैं. ऐसे में अभियोजन पक्ष अपील पर पैरवी को तैयार रहा लेकिन अपीलकर्ता की ओर से ही मामले को लम्बित किया जा रहा है. गुजरात में अभी मामला विचाराधीन है और उस केस में भी हिरासत में है. ऐसे में जमानत याचिका को खारिज किया जाए. हाईकोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद सजा स्थगन के लिए तीसरी बार पेश याचिका को खारिज करते हुए आशाराम की उम्मीद को तोड़ दिया है.

ये था पूरा मामला: गौरतलब है कि अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के आरोप में पॉक्सो अदालत की ओऱ से 25 अप्रेल 2018 को आसाराम को आजीवन कारावास प्राकृतिक मृत्यु तक की सजा के आदेश दिए थे.

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