जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विवि के विधि महाविद्यालय के बीएएलएलबी पंचवर्षीय कोर्स के छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय की ओर से वसूली जा रही फीस को लेकर लगाई गई याचिका पर राज्य सरकार और मोहनलाल सुखाड़िया विवि के रजिस्ट्रार से जवाब-तलब किया है. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विजय विश्नोई की अदालत ने नोटिस जारी करते हुए 19 जनवरी तक जवाब तलब किया है.
याचिकाकर्ता सिद्धार्थ पिल्लई और अन्य की ओर से बताया कि कोरोना काल के दौरान कॉलेज में क्लास रूम शिक्षा मार्च महीने से निलंबित रहने के बावजूद विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों से सामान्य शिक्षा व्यवस्था अनुरूप फीस वसूलने और विद्यार्थियों की ओर से नहीं ली गई सुविधाओं का शुल्क नहीं लेने और केवल डिस्काउंटेड ट्यूशन फीस ही लिया जाए.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सज्जनसिंह राठौड़ ने न्यायालय को बताया कि अकादमिक सत्र 2019-2020 समाप्ति के बाद से ही महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए राज्य में सभी शिक्षा संस्थानों में फिजिकली शिक्षण कार्य स्थगित कर दिए गए. याचिकाकर्ता तब से ही आनलाइन टीचिंग तकनीक से पढ़ाई कर रहे हैं. अगस्त सितंबर में नया अकादमिक सत्र प्रारंभ होने पर विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों से पूरी फीस ली गई जबकि फिजिकल उपस्थिति नहीं होने के कारण वे विश्वविद्यालय और महाविद्यालय की किसी भी अन्य सुविधाओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं.
विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न मदों जैसे साइकिल स्टैंड, लाइब्रेरी, रीडिंग रूम, ई-जरनल, मूट कोर्ट, लीगल एंड कैम्प, एक्सटेंशन लेक्चर, मनोरंजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य मदों में फस वसूली गई और परीक्षा फार्म भरने पर भी ई-सुविधा के नाम से प्रत्येक विद्यार्थी से 250 रुपए वसूले गए.
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याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जिन सुविधाओं और सेवाओं का विद्यार्थियों की ओर से उपयोग नहीं किया गया है उस मद में फीस वसूल करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत विद्यार्थियों के मूल अधिकार का हनन है. विवि की ओर से गैर न्यायसंगत फीस वसूली नहीं की जाए इसको लेकर दायर याचिका की प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए गए हैं.