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गौशालाओं के अनुदान का दूसरे कार्यों में उपयोग के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई, सरकार को नोटिस जारी

प्रदेश की गौशालाओं को फंड रिलीज नहीं करने एवं फंड को अन्य कार्यों में उपयोग में लेने वाले विधेयक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है. जस्टिस संगीत लोढा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष बीकानेर गौशाला सेवा समिति के चेयरमैन ने अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित के जरिए जनहित याचिका पेश की थी.

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राजस्थान हाईकोर्ट में गौशालाओं के लिए अनुदान को लेकर सुनवाई
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Published : Oct 23, 2020, 6:58 PM IST

जोधपुर. प्रदेश की गौशालाओं को फंड रिलीज नहीं करने एवं फंड को अन्य कार्यों में उपयोग में लेने वाले विधेयक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है. जस्टिस संगीत लोढा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष बीकानेर गौशाला सेवा समिति के चेयरमैन ने अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित के जरिए जनहित याचिका पेश की थी.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजपुरोहित ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने जनवरी से मार्च 2020 में 291 करोड़ के बजट में से केवल 91 करोड़ रुपए ही गौशालाओं को आवंटित किए बाकी की राशि लेप्स हो गई. वहीं उसके बाद अभी तक सरकार बजट रिलीज नहीं कर रही है. प्रदेश में कुल 2781 गौशालाओं में करीब 9 लाख गायें हैं.

पढ़ें: शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत मिलावटखोरों पर होगी त्वरित कार्रवाई: मुख्य सचिव

राज्य सरकार ने गौशालाओं को अनुदान देने के लिए राजस्थान स्टैम्प एक्ट द सरचार्ज इम्पोजड अंडर सेक्शन 3-बी में गायों के अनुदान का प्रावधान कर रखा है. सरकार ने 14 मई 2020 को एक आर्डिनेस के जरिये सेक्शन 3-बी में बदलाव किया और 24 अगस्त 2020 को विधानसभा में एक बिल पेश किया. जिसमें सेक्शन 3-बी में प्राप्त सरचार्ज का उपयोग गायों के अलावा आपदा, महामारी व अन्य कार्यों में किए जाने का प्रावधान था. जबकि संविधान में गायों की संरक्षण व संवर्धन आवश्यक है लेकिन राज्य सरकार गायों के अनुदान का अन्य उपयोग कर रही है, जिसको चुनौती दी गई है.

वहीं याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार एक ओर से गौशालाओं को अनुदान बंद कर रही है तो प्रदेश में तहसील स्तर पर मांस की दुकानों को लाइसेंस दे रही है. जो कि अनुचित है. इसको बंद करवाया जाए. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर सरकार से 9 नवम्बर तक जवाब-तलब किया है.

जोधपुर. प्रदेश की गौशालाओं को फंड रिलीज नहीं करने एवं फंड को अन्य कार्यों में उपयोग में लेने वाले विधेयक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है. जस्टिस संगीत लोढा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष बीकानेर गौशाला सेवा समिति के चेयरमैन ने अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित के जरिए जनहित याचिका पेश की थी.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजपुरोहित ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने जनवरी से मार्च 2020 में 291 करोड़ के बजट में से केवल 91 करोड़ रुपए ही गौशालाओं को आवंटित किए बाकी की राशि लेप्स हो गई. वहीं उसके बाद अभी तक सरकार बजट रिलीज नहीं कर रही है. प्रदेश में कुल 2781 गौशालाओं में करीब 9 लाख गायें हैं.

पढ़ें: शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत मिलावटखोरों पर होगी त्वरित कार्रवाई: मुख्य सचिव

राज्य सरकार ने गौशालाओं को अनुदान देने के लिए राजस्थान स्टैम्प एक्ट द सरचार्ज इम्पोजड अंडर सेक्शन 3-बी में गायों के अनुदान का प्रावधान कर रखा है. सरकार ने 14 मई 2020 को एक आर्डिनेस के जरिये सेक्शन 3-बी में बदलाव किया और 24 अगस्त 2020 को विधानसभा में एक बिल पेश किया. जिसमें सेक्शन 3-बी में प्राप्त सरचार्ज का उपयोग गायों के अलावा आपदा, महामारी व अन्य कार्यों में किए जाने का प्रावधान था. जबकि संविधान में गायों की संरक्षण व संवर्धन आवश्यक है लेकिन राज्य सरकार गायों के अनुदान का अन्य उपयोग कर रही है, जिसको चुनौती दी गई है.

वहीं याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार एक ओर से गौशालाओं को अनुदान बंद कर रही है तो प्रदेश में तहसील स्तर पर मांस की दुकानों को लाइसेंस दे रही है. जो कि अनुचित है. इसको बंद करवाया जाए. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर सरकार से 9 नवम्बर तक जवाब-तलब किया है.

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