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चिकित्सक के तबादले पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

राजस्थान उच्च न्यायालय ने मेवाड़ में आगामी विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर राजनीतिक हस्तेक्षप से चिकित्सक डॉ. शिवपाल दान चारण के उदयपुर से राजसमंद किए गए स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है.

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Published : Feb 26, 2021, 10:47 PM IST

doctor transfer stopped, Rajasthan High Court
चिकित्सक के तबादले पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने मेवाड़ में आगामी विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर राजनीतिक हस्तेक्षप से चिकित्सक डॉ. शिवपाल दान चारण के उदयपुर से राजसमंद किए गए स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है. न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने याची की याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक लगाई है.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने याचिका पेश कर बताया कि याची चिकित्सक पद पर अपनी संतोषजनक सेवाएं दे रहे हैं. वर्तमान कोरोना काल में अपनी उत्कृष्ठ सेवाएं दी हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से आगामी होने वाले राजसमंद विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए राज्य सरकार के उप शासन सचिव ने 17 फरवरी 2021 को एक ही आदेश से 22 चिकित्सकों का स्थानांतरण करते हुए 15 चिकित्सकों को उदयपुर से राजसमंद स्थानांतरण कर दिया. जिसमें किसी भी तरह की कोई प्रशासनिक आवश्यकता प्रतीत नहीं होती, बल्कि मात्र वोटों की राजनीति के चलते राजसमंद सीट जीतने के एक मात्र उद्देशिय से आदेश पारित किया है.

पढ़ें- नाबालिग के अपहरणकर्ता को तीन साल की सजा

याची की पत्नी भी उदयपुर में राजकीय चिकित्सक है. याची की माताजी को भी आंखों से नहीं दिखता, ऐसे में उनकी देखभाल के लिए भी याची का उदयपुर रहना जरूरी है. याची का स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से और बिना किसी प्रशासनिक आवश्यकता के, केवल राजनीतिक फायदा लेने के उद्देश्य से किया गया है, जो चलने योग्य नहीं है. याची का स्थानांतरण उदयपुर जिले से बाहर कर दिया गया है, जो राज्य सरकार की पति पत्नी के एक ही स्टेशन पर पदस्थापन के पालिसी के भी विरुद्ध है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि पूर्व न्यायिक दृष्टांत ओमप्रकाश बनाम सरकार में राजनीतिक कारणों से किए गए स्थानांतरण को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय ने निर्धारित किया है कि स्थानांतरण हेतु सक्षम अधिकारी नेताओं के निर्देशों की पालना में स्थानांतरण नहीं कर सकते. याची की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा किए स्थानांतरण में कोई प्रशासनिक आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है. याची के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय ने स्थानांतरण आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने मेवाड़ में आगामी विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर राजनीतिक हस्तेक्षप से चिकित्सक डॉ. शिवपाल दान चारण के उदयपुर से राजसमंद किए गए स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है. न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने याची की याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक लगाई है.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने याचिका पेश कर बताया कि याची चिकित्सक पद पर अपनी संतोषजनक सेवाएं दे रहे हैं. वर्तमान कोरोना काल में अपनी उत्कृष्ठ सेवाएं दी हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से आगामी होने वाले राजसमंद विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए राज्य सरकार के उप शासन सचिव ने 17 फरवरी 2021 को एक ही आदेश से 22 चिकित्सकों का स्थानांतरण करते हुए 15 चिकित्सकों को उदयपुर से राजसमंद स्थानांतरण कर दिया. जिसमें किसी भी तरह की कोई प्रशासनिक आवश्यकता प्रतीत नहीं होती, बल्कि मात्र वोटों की राजनीति के चलते राजसमंद सीट जीतने के एक मात्र उद्देशिय से आदेश पारित किया है.

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याची की पत्नी भी उदयपुर में राजकीय चिकित्सक है. याची की माताजी को भी आंखों से नहीं दिखता, ऐसे में उनकी देखभाल के लिए भी याची का उदयपुर रहना जरूरी है. याची का स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से और बिना किसी प्रशासनिक आवश्यकता के, केवल राजनीतिक फायदा लेने के उद्देश्य से किया गया है, जो चलने योग्य नहीं है. याची का स्थानांतरण उदयपुर जिले से बाहर कर दिया गया है, जो राज्य सरकार की पति पत्नी के एक ही स्टेशन पर पदस्थापन के पालिसी के भी विरुद्ध है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि पूर्व न्यायिक दृष्टांत ओमप्रकाश बनाम सरकार में राजनीतिक कारणों से किए गए स्थानांतरण को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय ने निर्धारित किया है कि स्थानांतरण हेतु सक्षम अधिकारी नेताओं के निर्देशों की पालना में स्थानांतरण नहीं कर सकते. याची की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा किए स्थानांतरण में कोई प्रशासनिक आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है. याची के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय ने स्थानांतरण आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है.

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