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हाईकोर्ट: सहकारी समितियों में बायोमेट्रिक यंत्र की बाध्यता को हटाने और फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने को लेकर याचिका

राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कार्मिकों की कोविड-19 सुरक्षा को लेकर संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अब याचिका पर जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में सुनवाई होगी.

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Published : May 28, 2021, 12:10 AM IST

Rajasthan Cooperative Society,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कार्मिकों की कोविड-19 सुरक्षा को लेकर मुख्य सचिव, सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने नंदलाल की जनहित याचिका पर मुख्य सचिव, सहकारिता सचिव, रजिस्ट्रार सहकारी विभाग और 29 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को नोटिस जारी करते हुए जुलाई के प्रथम सप्ताह में जवाब तलब किया है.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने पाक विस्थापितों के वैक्सीनेशन और राशन को लेकर मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट

राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष नन्दलाल ने अधिवक्ता अशोक चौधरी के जरिए जनहित याचिका पेश की. याचिका में बताया गया कि राजस्थान में 6722 ग्राम सेवा सहकारी समितियां ग्राम पंचायतों के स्तर पर कार्यरत है और 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक जिला स्तर पर है. ये सहकारी समितियां गांवों में किसानों को फसली ऋण, खाद और बीज उपलब्ध करवाती है.

अधिवक्ता चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में ये कार्मिक अपनी जान की परवाह किए बगैर किसानों को कर्ज और अन्य सुविधाएं दे रहे हैं, लेकिन राजस्थान सरकार इनको बायोमेट्रिक यंत्र उपयोग करने के लिए बाध्य कर रही है. ऋण देते समय बायोमेट्रिक यंत्र किसान और ग्राम सेवा सहकारी समिति के कार्मिक की ओर से उपयोग करना होता है, जिससे कोरोना संक्रमण की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

गांवों में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है. इस संक्रमण की वजह से अब 19 व्यवस्थापकों की मृत्यु हो चुकी है. संघ की ओर से ज्ञापन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि ई-मित्रों पर राजस्थान सरकार ने बायोमेट्रिक यंत्र का उपयोग बंद कर दिया है. केन्द्र सरकार ने भी बायोमेट्रिक यंत्र उपयोग में नहीं लेने के निर्देश दिए हैं.

इस तरह से राजस्थान सरकार सहकारी समिति के कार्मिकों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है. राजस्थान सरकार ने इनको फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में नहीं माना है और ना ही उनको कोई चिकित्सा सुविधा दी गई है. मृत्यु के बाद पेंशन स्कीम भी नहीं दी जा रही है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. साथ ही निर्देश दिए हैं कि राजस्थान सरकार बायोमेट्रिक यंत्र के उपयोग की बाध्यता को बंद करने पर गहन विचार करें. अब याचिका पर जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में सुनवाई होगी.

ग्रीष्म अवकाश के दौरान ग्रीष्कालीन बैंच वीसी के जरिए करेगी सुनवाई

राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर पीठ और जोधपुर मुख्यपीठ में ग्रीष्म अवकाश के दौरान समर वेकेंशन बेंच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई करेगी. रजिस्ट्रार जनरल निर्मल सिंह मेडतवाल ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए जयपुर और जोधपुर मुख्यपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही ग्रीष्म काल में सुनवाई के निर्देश जारी किए हैं.

जयपुर पीठ और जोधपुर उच्च न्यायालय मुख्यपीठ में 31 मई 2021 से 27 जून 2021 तक ग्रीष्म अवकाश रहेगा, लेकिन इस दौरान आपराधिक याचिकाओं पर सुनवाई के लिए ग्रीष्मकालीन बैंचों का गठन किया गया है जो सुनवाई करेगी. लेकिन, वो भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई करेगी.

इस दौरान ई-फाइलिंग के जरिए याचिकाएं पेश की जाएगी. वहीं, जो मामले पहले से विचाराधीन थे और जिनके अंतरिम आदेश की अवधि पूरी हो रही थी उनको आगे बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं. इसके अलावा पूर्व में जारी कोविड महामारी को देखते हुए उनके अनुसार ही सुनवाई की जाएगी.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कार्मिकों की कोविड-19 सुरक्षा को लेकर मुख्य सचिव, सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने नंदलाल की जनहित याचिका पर मुख्य सचिव, सहकारिता सचिव, रजिस्ट्रार सहकारी विभाग और 29 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को नोटिस जारी करते हुए जुलाई के प्रथम सप्ताह में जवाब तलब किया है.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने पाक विस्थापितों के वैक्सीनेशन और राशन को लेकर मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट

राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष नन्दलाल ने अधिवक्ता अशोक चौधरी के जरिए जनहित याचिका पेश की. याचिका में बताया गया कि राजस्थान में 6722 ग्राम सेवा सहकारी समितियां ग्राम पंचायतों के स्तर पर कार्यरत है और 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक जिला स्तर पर है. ये सहकारी समितियां गांवों में किसानों को फसली ऋण, खाद और बीज उपलब्ध करवाती है.

अधिवक्ता चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में ये कार्मिक अपनी जान की परवाह किए बगैर किसानों को कर्ज और अन्य सुविधाएं दे रहे हैं, लेकिन राजस्थान सरकार इनको बायोमेट्रिक यंत्र उपयोग करने के लिए बाध्य कर रही है. ऋण देते समय बायोमेट्रिक यंत्र किसान और ग्राम सेवा सहकारी समिति के कार्मिक की ओर से उपयोग करना होता है, जिससे कोरोना संक्रमण की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

गांवों में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है. इस संक्रमण की वजह से अब 19 व्यवस्थापकों की मृत्यु हो चुकी है. संघ की ओर से ज्ञापन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि ई-मित्रों पर राजस्थान सरकार ने बायोमेट्रिक यंत्र का उपयोग बंद कर दिया है. केन्द्र सरकार ने भी बायोमेट्रिक यंत्र उपयोग में नहीं लेने के निर्देश दिए हैं.

इस तरह से राजस्थान सरकार सहकारी समिति के कार्मिकों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है. राजस्थान सरकार ने इनको फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में नहीं माना है और ना ही उनको कोई चिकित्सा सुविधा दी गई है. मृत्यु के बाद पेंशन स्कीम भी नहीं दी जा रही है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. साथ ही निर्देश दिए हैं कि राजस्थान सरकार बायोमेट्रिक यंत्र के उपयोग की बाध्यता को बंद करने पर गहन विचार करें. अब याचिका पर जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में सुनवाई होगी.

ग्रीष्म अवकाश के दौरान ग्रीष्कालीन बैंच वीसी के जरिए करेगी सुनवाई

राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर पीठ और जोधपुर मुख्यपीठ में ग्रीष्म अवकाश के दौरान समर वेकेंशन बेंच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई करेगी. रजिस्ट्रार जनरल निर्मल सिंह मेडतवाल ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए जयपुर और जोधपुर मुख्यपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही ग्रीष्म काल में सुनवाई के निर्देश जारी किए हैं.

जयपुर पीठ और जोधपुर उच्च न्यायालय मुख्यपीठ में 31 मई 2021 से 27 जून 2021 तक ग्रीष्म अवकाश रहेगा, लेकिन इस दौरान आपराधिक याचिकाओं पर सुनवाई के लिए ग्रीष्मकालीन बैंचों का गठन किया गया है जो सुनवाई करेगी. लेकिन, वो भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई करेगी.

इस दौरान ई-फाइलिंग के जरिए याचिकाएं पेश की जाएगी. वहीं, जो मामले पहले से विचाराधीन थे और जिनके अंतरिम आदेश की अवधि पूरी हो रही थी उनको आगे बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं. इसके अलावा पूर्व में जारी कोविड महामारी को देखते हुए उनके अनुसार ही सुनवाई की जाएगी.

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