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कोर्ट ने कहा-अनुशासित पुलिस बल में रोजगार के लिए नैतिक मानकों का होना आवश्यक, एकलपीठ के आदेश को किया अपास्त - राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने अहम आदेश पारित करते हुए कहा है कि अनुशासित पुलिस बल में रोजगार के लिए नैतिक मानकों का होना आवश्यक है. कोर्ट ने आपराधिक मामले के तथ्यों को छुपाने (Aspirants hide criminal facts) की वजह से प्रतिवादी याचिकाकर्ता को पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति देने के एकलपीठ के आदेश को अपास्त कर दिया.

High Court order
अनुशासित पुलिस बल में नियुक्ति के लिए नैतिक मानक आवश्यक.
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Published : Sep 16, 2022, 10:14 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 12:06 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने एक अहम आदेश पारित करते हुए कहा कि अनुशासित पुलिस बल में रोजगार के लिए नैतिक मानकों का होना आवश्यक है. साथ ही आपराधिक मामले के तथ्यों को छुपाने की वजह से प्रतिवादी याचिकाकर्ता को पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति देने के एकलपीठ के आदेश को अपास्त कर दिया. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ के समक्ष पुलिस विभाग की ओर से पेश अपील को स्वीकार करते हुए प्रतिवादी महेन्द्रसिंह राठौड़ के पक्ष में पारित एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया.

विभाग की ओर से एएजी मनीष व्यास ने एकलपीठ की ओर से 11 फरवरी, 2019 को पारित आदेश को चुनौती दी थी. प्रतिवादी महेन्द्रसिंह राठौड़ ने जोधपुर में पुलिस कांस्टेबल सामान्य के लिए खेल कोटे से आवेदन किया था. आवेदन में उसने अपने खिलाफ विचाराधीन आपराधिक मामलों को छुपाते हुए आवेदन कर (Aspirants hide criminal facts) दिया. जबकि आवेदन में उनको दर्शाया जाना था. प्रतिवादी ने 22 अक्टूबर, 2018 को एक अभ्यावेदन पेश करते हुए आपराधिक मामलों की जानकारी दी. जिसे विभाग ने खारिज करते हुए पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था.

पढ़ें: Rajasthan High Court : राज्य सरकार ने कहा- पार्षदों को अयोग्य घोषित करने के लिए जारी नहीं करेंगे अधिसूचना

महेन्द्रसिंह ने इसके खिलाफ याचिका पेश की, जिसमें एकलपीठ ने उसके पक्ष में आदेश पारित करते हुए विभाग को यदि अन्यथा योग्य है, तो केवल आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने की वजह से उसकी नियुक्ति को नहीं रोका जा सकता. यदि ट्रायल कोर्ट से आपराधिक मामलो में सजा के आदेश होने पर बाद में सर्विस से हटाया जा सकता है. एकलपीठ के इस आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती देते हुए विभाग के एएजी व्यास ने तर्क दिया कि पुलिस विभाग अनुशासित बल में आता है. ऐसे में आवेदन में ही तथ्यों को छुपाया गया है.

पढ़ें: Assistant Professor Recruitment 2020: समान्य वर्ग से अधिक अंक लाने के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

जबकि कांस्टेबल का कर्त्तव्य कानून व्यवस्था बनाए रखना है. उसका ईमानदार होना आवश्यक है. ऐसे में नियुक्ति का हकदार नहीं हो सकता. हाईकोर्ट खंडपीठ ने विभाग की अपील को स्वीकार करते हुए एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को अपास्त कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि नियोक्ता द्वारा मांगा गया विवरण ईमानदारी से प्रस्तुत नहीं किया गया जबकि अनुशासित पुलिस बल में रोजगार पाने के लिए नैतिक मानक ऐसे व्यक्ति से अपेक्षित है. महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने में गलत कथन या चूक होना गंभीर है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने एक अहम आदेश पारित करते हुए कहा कि अनुशासित पुलिस बल में रोजगार के लिए नैतिक मानकों का होना आवश्यक है. साथ ही आपराधिक मामले के तथ्यों को छुपाने की वजह से प्रतिवादी याचिकाकर्ता को पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति देने के एकलपीठ के आदेश को अपास्त कर दिया. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ के समक्ष पुलिस विभाग की ओर से पेश अपील को स्वीकार करते हुए प्रतिवादी महेन्द्रसिंह राठौड़ के पक्ष में पारित एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया.

विभाग की ओर से एएजी मनीष व्यास ने एकलपीठ की ओर से 11 फरवरी, 2019 को पारित आदेश को चुनौती दी थी. प्रतिवादी महेन्द्रसिंह राठौड़ ने जोधपुर में पुलिस कांस्टेबल सामान्य के लिए खेल कोटे से आवेदन किया था. आवेदन में उसने अपने खिलाफ विचाराधीन आपराधिक मामलों को छुपाते हुए आवेदन कर (Aspirants hide criminal facts) दिया. जबकि आवेदन में उनको दर्शाया जाना था. प्रतिवादी ने 22 अक्टूबर, 2018 को एक अभ्यावेदन पेश करते हुए आपराधिक मामलों की जानकारी दी. जिसे विभाग ने खारिज करते हुए पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था.

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महेन्द्रसिंह ने इसके खिलाफ याचिका पेश की, जिसमें एकलपीठ ने उसके पक्ष में आदेश पारित करते हुए विभाग को यदि अन्यथा योग्य है, तो केवल आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने की वजह से उसकी नियुक्ति को नहीं रोका जा सकता. यदि ट्रायल कोर्ट से आपराधिक मामलो में सजा के आदेश होने पर बाद में सर्विस से हटाया जा सकता है. एकलपीठ के इस आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती देते हुए विभाग के एएजी व्यास ने तर्क दिया कि पुलिस विभाग अनुशासित बल में आता है. ऐसे में आवेदन में ही तथ्यों को छुपाया गया है.

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जबकि कांस्टेबल का कर्त्तव्य कानून व्यवस्था बनाए रखना है. उसका ईमानदार होना आवश्यक है. ऐसे में नियुक्ति का हकदार नहीं हो सकता. हाईकोर्ट खंडपीठ ने विभाग की अपील को स्वीकार करते हुए एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को अपास्त कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि नियोक्ता द्वारा मांगा गया विवरण ईमानदारी से प्रस्तुत नहीं किया गया जबकि अनुशासित पुलिस बल में रोजगार पाने के लिए नैतिक मानक ऐसे व्यक्ति से अपेक्षित है. महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने में गलत कथन या चूक होना गंभीर है.

Last Updated : Sep 17, 2022, 12:06 AM IST
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