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Rajasthan High Court: नाबालिग को गर्भवती करने के आरोपी को जमानत, नहीं हुई DNA की पुष्टि

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्यपीठ ने पुलिस थाना खांडा फलसा थाने के बहुचर्चित नाबालिग लड़की के गर्भवती होने के आरोपी अभियुक्त की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए रिहा करने का आदेश जारी किया है. अधिवक्ता कल्ला ने कहा कि इस मामले में मुख्य बिंदु यह हैं कि आरोपी का डीएनए मिलान जन्मी बच्ची से नहीं हुआ है, इसलिए अभियुक्त बच्ची का बॉयलोजिकल फादर नहीं हैं और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Aug 20, 2021, 4:48 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्यपीठ ने पुलिस थाना खांडा फलसा थाने के बहुचर्चित नाबालिग लड़की के गर्भवती होने के आरोपी अभियुक्त की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए रिहा करने का आदेश जारी किया है.

अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता उमेश कल्ला ने पैरवी करते हुए न्यायालय को बताया की लड़की ने पुलिस बयान में अभियुक्त का नाम बताया है, लेकिन 164 CrPC के बयानों में अभियुक्त का नाम नहीं लिया है. केवल अंकल के नाम को संबोधित किया है. ऐसी परिस्थितियां होती हैं तो शिनाख्त परेड पुलिस की ओर से करवाई जाती है, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया. केवल लड़की के बयानों को आधार मानकर अभियुक्त को गिरफ्तार किया है.

यह भी पढ़ेंः पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने फिर कसा राजस्थान बीजेपी नेताओं पर तंज, कहा- आखिर सत्य की जीत हुई

अधिवक्ता कल्ला ने कहा कि इस मामले में मुख्य बिंदु यह हैं कि आरोपी का डीएनए मिलान जन्मी बच्ची से नहीं हुआ है, इसलिए अभियुक्त बच्ची का बॉयलोजिकल फादर नहीं हैं और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया. न्यायालय को यह भी बताया की पॉक्सो एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है, इसको ढाल की तरह न लेकर तलवार की तरह काम लिया जा रहा है. सम्पूर्ण बहस सुनने के बाद जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने जमानत पर रिहा करने के आदेश पारित कर दिए.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्यपीठ ने पुलिस थाना खांडा फलसा थाने के बहुचर्चित नाबालिग लड़की के गर्भवती होने के आरोपी अभियुक्त की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए रिहा करने का आदेश जारी किया है.

अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता उमेश कल्ला ने पैरवी करते हुए न्यायालय को बताया की लड़की ने पुलिस बयान में अभियुक्त का नाम बताया है, लेकिन 164 CrPC के बयानों में अभियुक्त का नाम नहीं लिया है. केवल अंकल के नाम को संबोधित किया है. ऐसी परिस्थितियां होती हैं तो शिनाख्त परेड पुलिस की ओर से करवाई जाती है, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया. केवल लड़की के बयानों को आधार मानकर अभियुक्त को गिरफ्तार किया है.

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अधिवक्ता कल्ला ने कहा कि इस मामले में मुख्य बिंदु यह हैं कि आरोपी का डीएनए मिलान जन्मी बच्ची से नहीं हुआ है, इसलिए अभियुक्त बच्ची का बॉयलोजिकल फादर नहीं हैं और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया. न्यायालय को यह भी बताया की पॉक्सो एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है, इसको ढाल की तरह न लेकर तलवार की तरह काम लिया जा रहा है. सम्पूर्ण बहस सुनने के बाद जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने जमानत पर रिहा करने के आदेश पारित कर दिए.

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