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Twitter CEO जैक डोर्से को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, बासनी थाने में दर्ज मुकदमा निरस्त करने के आदेश

ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से को राजस्थान हाइकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. जिसके तहत कोर्ट ने किसी समुदाय विशेष की भावना आहत करने के खिलाफ दायर मुकदमे से डोर्से को बरी कर दिया है.

Twitter CEO जोधपुर न्यूज
ट्विटर के सीईओ के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द करने का निर्देश
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Published : Apr 7, 2020, 7:34 PM IST

जोधपुर. ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से को राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जोधपुर के बासनी थाने में दर्ज FIR 458/2018 को निरस्त करने का आदेश दिया है. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने विविध अपराधिका याचिका पर सुनवाई करते हुए 04 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रखा था. इसके बाद मंगलवार को जैक डोर्से और अन्ना एमएम विटीकैड के खिलाफ दर्ज मुकदमे को निरस्त करने का आदेश कोर्ट द्वारा दिया गया.

ट्विटर के सीईओ के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द करने का निर्देश

मामले के अनुसार महिला विटीकैड के ट्विटर हैंडल से साल 2018 में ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए विवादित फोटो पोस्ट की गई थी. इस पर विप्र संस्था के राजकुमार शर्मा ने जोधपुर के बासनी थाने में रिपोर्ट पेश की लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. ऐसे में परिवादी राजकुमार ने महानगर मजिस्ट्रेट संख्या चार के समक्ष इस्तगासा पेश किया. जिस पर सुनवाई के बाद निचली अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया था. निचली अदालत के आदेश पर जोधपुर के बासनी थाने में जैक डोर्से और महिला के खिलाफ 295-ए, 500, 501, 504, 505 और 120 बी IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

यह भी पढ़ें. तबलीगी जमात मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाई जाए: CM गहलोत

ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और उनके सहयोगी राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी ने एक विविध अपराधिक याचिका पेश की थी. वहीं महिला की ओर से अधिवक्ता निशांत बोडा ने याचिका पेश की थी. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली और अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता महिपाल विश्नोई ने पक्ष रखा और परिवादी की ओर से अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने राजस्थान हाईकोर्ट में पैरवी की.

यह भी पढ़ें. अजमेर दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन की अपील, 'ऐसा कोई काम ना करें जिससे कौम पर उंगली उठे'

जैक डोर्से के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि केवल FIR दर्ज करने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी डोर्से की कहीं पर भी ऐसी कोई मंशा हो, जिससे किसी जाति विशेष की भावना को आहत किया जाए. सभी पक्षों को सुनने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने 04 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने मंगलवार को जस्टिस मेहता ने फैसला सुनाते हुए ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने का आदेश देते हुए उन्हें राहत दी.

वहीं आदेश में यह भी कहा गया कि एफआईआर को देखने से ही प्रतीत होता है कि डोर्से की कही ऐसी मंशा नही थी कि किसी जाति विशेष की भावनाएं आहत हो, इसीलिए मुकदमा निरस्त करने का आदेश दिया गया.

जोधपुर. ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से को राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जोधपुर के बासनी थाने में दर्ज FIR 458/2018 को निरस्त करने का आदेश दिया है. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने विविध अपराधिका याचिका पर सुनवाई करते हुए 04 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रखा था. इसके बाद मंगलवार को जैक डोर्से और अन्ना एमएम विटीकैड के खिलाफ दर्ज मुकदमे को निरस्त करने का आदेश कोर्ट द्वारा दिया गया.

ट्विटर के सीईओ के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द करने का निर्देश

मामले के अनुसार महिला विटीकैड के ट्विटर हैंडल से साल 2018 में ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए विवादित फोटो पोस्ट की गई थी. इस पर विप्र संस्था के राजकुमार शर्मा ने जोधपुर के बासनी थाने में रिपोर्ट पेश की लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. ऐसे में परिवादी राजकुमार ने महानगर मजिस्ट्रेट संख्या चार के समक्ष इस्तगासा पेश किया. जिस पर सुनवाई के बाद निचली अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया था. निचली अदालत के आदेश पर जोधपुर के बासनी थाने में जैक डोर्से और महिला के खिलाफ 295-ए, 500, 501, 504, 505 और 120 बी IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

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ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और उनके सहयोगी राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी ने एक विविध अपराधिक याचिका पेश की थी. वहीं महिला की ओर से अधिवक्ता निशांत बोडा ने याचिका पेश की थी. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली और अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता महिपाल विश्नोई ने पक्ष रखा और परिवादी की ओर से अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने राजस्थान हाईकोर्ट में पैरवी की.

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जैक डोर्से के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि केवल FIR दर्ज करने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी डोर्से की कहीं पर भी ऐसी कोई मंशा हो, जिससे किसी जाति विशेष की भावना को आहत किया जाए. सभी पक्षों को सुनने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने 04 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने मंगलवार को जस्टिस मेहता ने फैसला सुनाते हुए ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने का आदेश देते हुए उन्हें राहत दी.

वहीं आदेश में यह भी कहा गया कि एफआईआर को देखने से ही प्रतीत होता है कि डोर्से की कही ऐसी मंशा नही थी कि किसी जाति विशेष की भावनाएं आहत हो, इसीलिए मुकदमा निरस्त करने का आदेश दिया गया.

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