जोधपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने लैब टेक्नीशियन/ सहायक रेडियोग्राफर नियमित भर्ती 2020 में राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल द्वारा पंजीयन प्रमाण पत्र के अस्थाई तौर पर निरस्त करने के आदेश की वजह से चयन निरस्त ना हो, इसके लिए दायर याचिकाओं पर प्रारम्भिक सुनवाई की. अधिवक्ता के तर्कों और रिकार्ड को देखकर याचिकाकर्ताओं के चयन को निरस्त करने पर अंतरिम रोक लगा दी है.
याचिकाकर्ता प्रमोद सेन और जितेंद्र सैनी की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका पेश की. उन्होंने बताया कि श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी मध्यप्रदेश से लैब टेक्नीशियन सहायक रेडियोग्राफर कोर्स पास करने के बाद नियमानुसार राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीयन के लिए आवेदन किया लेकिन पंजीयन नहीं करने पर उन्होंने अलग-अलग रिट याचिका पेश की.
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इसी दौरान पैरामेडिकल काउंसिल ने याचिकाकर्ताओं को पंजीयन प्रमाण पत्र जारी कर दिए और कर्मचारी चयन बोर्ड जयपुर में दस्तावेज सत्यापन भी करवा लिया. दस्तावेज सत्यापन के बाद बोर्ड ने अंतिम कट ऑफ जारी करते हुए चयन सूची चिकित्सा विभाग को भेज दी लेकिन अचानक ही बिना किसी ठोस आधार के पैरामेडिकल काउंसिल ने 23 जून 2021 के आदेश के जरिए याचिकाकर्ताओं सहित कुल 413 अभ्यर्थियों के पंजीयन प्रमाण पत्र अस्थाई रूप से तुरंत प्रभाव से विड्रॉ कर लिए, नियम के विरुद्ध है.
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अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल अधिनियम 2008 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि एक बार पूरी प्रक्रिया अपनाकर जारी किया गया पंजीयन प्रमाण पत्र बिना किसी आधार के निरस्त या विड्रॉ नहीं किया जा सकता है. पंजीयन प्रमाण पत्र के अभाव में याचिकाकर्ता नियुक्ति से वंचित हो जाएंगे जबकि उन्होंने मेरिट सूची में कट ऑफ से ज्यादा अंक हासिल किए हैं.
याचिकाकर्ता विज्ञप्ति की शर्तों और 1965 के नियमों के मुताबिक योग्य अभ्यर्थी हैं और मेरिट में स्थान रखते हैं. इसके बावजूद उनको नियमानुसार जारी पंजीयन प्रमाण पत्र के विड्रॉ कर लेने से नियुक्ति और पदस्थापन से वंचित किया जा रहा है. उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए पंजीयन प्रमाण पत्र के अभाव में चयन निरस्त नहीं करने का अंतरिम आदेश जारी किया है. राज्य सरकार, चयन बोर्ड और पैरामेडिकल काउंसिल को नोटिस जारी कर 26 अगस्त तक जवाब तलब किया है.