ETV Bharat / city

Rajasthan Day Celebration: ...तो पाकिस्तान का हिस्सा होता जोधपुर, कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने को तैयार थे जिन्ना...जानें पूरा मामला - Jodhpur latest news

राजस्थान का स्थापना दिवस (Rajasthan Formation Day 2022) आज प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन ही जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसलमेर जैसी बड़ी रियासतों का राजस्थान में विलय हुआ था. हालांकि जोधपुर को लेकर कई कहानियां चर्चा में है. इन्हीं में से एक कथानक यह भी है कि जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह भारत नहीं पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे. वे जोधपुर को विशेष दर्जा दिलाना चाहते थे जिसके तहत जिन्ना ने कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार थे. पढ़ें पूरी खबर...

Rajasthan Formation Day 2022
राजस्थान दिवस पर जोधपुर से जुड़ी रोचक बातें
author img

By

Published : Mar 30, 2022, 5:32 PM IST

जोधपुर. राजस्थान का आज जो वृहद रूप नजर आता है कि वह 1 नंवबर 1956 को सिरोही और अजमेर के शामिल होने के बाद हुआ था, लेकिन राजस्थान दिवस 30 मार्च (30 march rajasthan diwas) को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन जोधपुर जैसी बड़ी रियासतों ने इसमें शामिल होने की बात स्वीकार की थी. 30 मार्च 1949 को वहृद राजस्थान का निर्माण हुआ जिसमें जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसमलेर जैसी बड़ी रियासतों ने राजस्थान में विलय होना स्वीकार किया था. जोधपुर रियासत ने राजस्थान में शामिल होने से पहले 11 अगस्त 1947 यानी की आजादी के चार दिन पहले ही भारत में शामिल होना स्वीकार किया था. इसको लेकर जो वाकये हुए थे वे इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

इनमें एक घटना यह भी कि जोधपुर के तत्कालीन महाराज हनवंत सिंह भारत के बजाय पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे. उनकी इस इच्छा ने सरदार पटेल को बड़ी चिंता में डाल दिया था, हालांकि इतिहासकार मानते हैं कि हनवंत सिंह की ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि वे पाकिस्तान में शामिल हों. उनका एक ही उदृदेश्य था कि जोधपुर को विशेष दर्जा मिले. इसलिए उन्होंने भारत से अलग होने की बात कही थी. इतिहासकार प्रो. जहूर मोहम्मद बताते हैं कि महाराजा हनवंत सिंह बहुत चतुर राजनीतिज्ञ थे और जानते थे कि अभी भारत सरकार उनकी बात मान लेगी, बाद में ऐसा होना मुश्किल होगा. इसलिए उन्होंने पूरे प्रयास किए, लेकिन मंशा भारत से अलग होने की नहीं थी. वे पहले ही यह तय कर चुके थे कि वे भारत में ही बने रहेंगे क्योंकि उनके पिता महाराज उम्मेद सिंह यह निर्णय ले चुके थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी जून 1947 में ही मृत्यु हो गई थी.

इतिहासकार प्रो. जहूर मोहम्मद से बातचीत

पढ़ें. राजस्थान स्थापना दिवस विशेष: लौह पुरुष सरदार पटेल का विमान हो गया था खराब, प्रदेश के पहले सीएम के शपथ ग्रहण में लिफ्ट लेकर पहुंचे...

सादे कागज पर हस्ताक्षर करने को तैयार थे जिन्ना
उस समय बीकानेर, जैसलमेर रियासत भोपाल नवाब के संपर्क में थी. नवाब के सलाहकार सर जफरउल्लाह खान ने महाराजा हनवंत सिंह से मुलाकात कर पाकिस्तान में शामिल होने की बात कही थी. साथ ही यह भी कहा कि अगर आप आते हैं तो जिन्ना आपकी सभी शर्तें मानने के लिए तैयार हैं और इसके लिए वे सादे पेपर पर हस्ताक्षकर देने को भी तैयार हैं. इस संबंध में हनवंत सिंह से जिन्ना की दिल्ली में मुलाकात भी हुई थी, लेकिन उसी दिन इंपीरियल होटल में सरदार पटेल के विश्वस्त वीपी मेनन भी महारजा हनवंत सिंह से मिले. उन्हें पता चल गया था कि जैसलमेर के महाराज कुमार और हनवंत सिंह जिन्ना से मिल चुके हैं.

Rajasthan Formation Day 2022
Rajasthan Formation Day 2022

पढ़ें. Rajasthan Diwas 2022: PM मोदी, राज्यपाल और सीएम गहलोत सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने दी शुभकामनाएं

गन वाली पेन से किया था करारनामे पर हस्ताक्षर
तत्कालीन समय के पत्रकार लैरी कॉलिंस और लैपियर की लिखी किताब 'फ्रीडम एट मिड नाइट' के हिंदी अनुवाद में पेज नंबर 171 और 172 यह पूरा घटनाक्रम लिखा भी है. इसमें बताया गया है कि कैसे मेनन ने माउंटबेटन को हनवत सिंह से मिलने के लिए तैयार किया. माउंट बेटन ने महाराजा हनवंत सिंह से बात की. उन्हें उनके पिता और सरदार पटेल के संबंधों के बारे में बताया. इस पर महाराज हनवंत सिंह भारत में विलय होने के लिए तैयार हो गए. इस पर माउंट बेटन कमरे से बाहर निकल गए. उस समय कमरे में मेनन और हनवंत सिंह ही थे. हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा ने जो पेन निकाला उसे खोलते वह ही गन बन गई और उन्होंने उसे मेनन पर तान दी गई. इस दौरान माउंटबेटन वापस आ गए और उन्होंने गन छीन ली. पेन रूपी गन बाद में माउंटबेटन अपने साथ ही ले गए थे जिसे उन्होंने एक संग्रालय में दे दी.

Rajasthan Formation Day 2022
Rajasthan Formation Day 2022

पढ़ें. Rajasthan Foundation Day: एकीकरण के 7 साल बाद सूबे में शामिल हुआ माउंट आबू, जानें कैसे?

बाबरा की किताब में हुआ खुलासा
महाराजा हनवंत सिंह के सलाहकार और जोधपुर रियासत के सबसे बड़े अधिकारी ओंकार सिंह बाबरा ने अपनी पुस्तक 'इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट' लिखा है कि मेनन के सामने जो पेन खोला गया था उसकी शक्ल सिर्फ गन की थी, जबकि वह वास्तव में पेन ही था. बाबरा ने अपनी किताब में लिखा है कि मेनन भी महाराजा हनवंतसिंह की विशेष शर्तें मानने को तैयार थे. मेनन की किताब 'इंटीग्रेशन आफ इंडियन स्टेट' के पेज नंबर 80 पर उन्होंने लिखा है कि महाराज ने जो रियायतें बताई थीं उनको लेकर मेनन ने कहा था कि अगर आप सिर्फ हस्ताक्षर से खुश हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं हैं, लेकिन जो आप चाहते हैं वे संभव नहीं है.

Rajasthan Formation Day 2022
Rajasthan Formation Day 2022

तब महाराजा ने कहा कि जिन्ना खाली पेपर पर हस्ताक्षर कर दे रहे हैं. इस पर मेनन ने कहा कि आप धोखा खा जाएंगे. इस पर महाराजा हनवंत सिंह और जैसलमेर के महाराज कुमार तीन दिन के लिए जोधपुर आए. उस समय हिंदू रियासत के मुस्लिम देश में शामिल होने पर भविष्य की परेशानियों पर विस्तार से चर्चा हुई. तीन बाद 11 अगस्त को दिल्ली में महाराजा हनवंत सिंह ने जोधपुर के भारत में विलय पर हस्ताक्षर कर दिए.

जोधपुर. राजस्थान का आज जो वृहद रूप नजर आता है कि वह 1 नंवबर 1956 को सिरोही और अजमेर के शामिल होने के बाद हुआ था, लेकिन राजस्थान दिवस 30 मार्च (30 march rajasthan diwas) को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन जोधपुर जैसी बड़ी रियासतों ने इसमें शामिल होने की बात स्वीकार की थी. 30 मार्च 1949 को वहृद राजस्थान का निर्माण हुआ जिसमें जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसमलेर जैसी बड़ी रियासतों ने राजस्थान में विलय होना स्वीकार किया था. जोधपुर रियासत ने राजस्थान में शामिल होने से पहले 11 अगस्त 1947 यानी की आजादी के चार दिन पहले ही भारत में शामिल होना स्वीकार किया था. इसको लेकर जो वाकये हुए थे वे इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

इनमें एक घटना यह भी कि जोधपुर के तत्कालीन महाराज हनवंत सिंह भारत के बजाय पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे. उनकी इस इच्छा ने सरदार पटेल को बड़ी चिंता में डाल दिया था, हालांकि इतिहासकार मानते हैं कि हनवंत सिंह की ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि वे पाकिस्तान में शामिल हों. उनका एक ही उदृदेश्य था कि जोधपुर को विशेष दर्जा मिले. इसलिए उन्होंने भारत से अलग होने की बात कही थी. इतिहासकार प्रो. जहूर मोहम्मद बताते हैं कि महाराजा हनवंत सिंह बहुत चतुर राजनीतिज्ञ थे और जानते थे कि अभी भारत सरकार उनकी बात मान लेगी, बाद में ऐसा होना मुश्किल होगा. इसलिए उन्होंने पूरे प्रयास किए, लेकिन मंशा भारत से अलग होने की नहीं थी. वे पहले ही यह तय कर चुके थे कि वे भारत में ही बने रहेंगे क्योंकि उनके पिता महाराज उम्मेद सिंह यह निर्णय ले चुके थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी जून 1947 में ही मृत्यु हो गई थी.

इतिहासकार प्रो. जहूर मोहम्मद से बातचीत

पढ़ें. राजस्थान स्थापना दिवस विशेष: लौह पुरुष सरदार पटेल का विमान हो गया था खराब, प्रदेश के पहले सीएम के शपथ ग्रहण में लिफ्ट लेकर पहुंचे...

सादे कागज पर हस्ताक्षर करने को तैयार थे जिन्ना
उस समय बीकानेर, जैसलमेर रियासत भोपाल नवाब के संपर्क में थी. नवाब के सलाहकार सर जफरउल्लाह खान ने महाराजा हनवंत सिंह से मुलाकात कर पाकिस्तान में शामिल होने की बात कही थी. साथ ही यह भी कहा कि अगर आप आते हैं तो जिन्ना आपकी सभी शर्तें मानने के लिए तैयार हैं और इसके लिए वे सादे पेपर पर हस्ताक्षकर देने को भी तैयार हैं. इस संबंध में हनवंत सिंह से जिन्ना की दिल्ली में मुलाकात भी हुई थी, लेकिन उसी दिन इंपीरियल होटल में सरदार पटेल के विश्वस्त वीपी मेनन भी महारजा हनवंत सिंह से मिले. उन्हें पता चल गया था कि जैसलमेर के महाराज कुमार और हनवंत सिंह जिन्ना से मिल चुके हैं.

Rajasthan Formation Day 2022
Rajasthan Formation Day 2022

पढ़ें. Rajasthan Diwas 2022: PM मोदी, राज्यपाल और सीएम गहलोत सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने दी शुभकामनाएं

गन वाली पेन से किया था करारनामे पर हस्ताक्षर
तत्कालीन समय के पत्रकार लैरी कॉलिंस और लैपियर की लिखी किताब 'फ्रीडम एट मिड नाइट' के हिंदी अनुवाद में पेज नंबर 171 और 172 यह पूरा घटनाक्रम लिखा भी है. इसमें बताया गया है कि कैसे मेनन ने माउंटबेटन को हनवत सिंह से मिलने के लिए तैयार किया. माउंट बेटन ने महाराजा हनवंत सिंह से बात की. उन्हें उनके पिता और सरदार पटेल के संबंधों के बारे में बताया. इस पर महाराज हनवंत सिंह भारत में विलय होने के लिए तैयार हो गए. इस पर माउंट बेटन कमरे से बाहर निकल गए. उस समय कमरे में मेनन और हनवंत सिंह ही थे. हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा ने जो पेन निकाला उसे खोलते वह ही गन बन गई और उन्होंने उसे मेनन पर तान दी गई. इस दौरान माउंटबेटन वापस आ गए और उन्होंने गन छीन ली. पेन रूपी गन बाद में माउंटबेटन अपने साथ ही ले गए थे जिसे उन्होंने एक संग्रालय में दे दी.

Rajasthan Formation Day 2022
Rajasthan Formation Day 2022

पढ़ें. Rajasthan Foundation Day: एकीकरण के 7 साल बाद सूबे में शामिल हुआ माउंट आबू, जानें कैसे?

बाबरा की किताब में हुआ खुलासा
महाराजा हनवंत सिंह के सलाहकार और जोधपुर रियासत के सबसे बड़े अधिकारी ओंकार सिंह बाबरा ने अपनी पुस्तक 'इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट' लिखा है कि मेनन के सामने जो पेन खोला गया था उसकी शक्ल सिर्फ गन की थी, जबकि वह वास्तव में पेन ही था. बाबरा ने अपनी किताब में लिखा है कि मेनन भी महाराजा हनवंतसिंह की विशेष शर्तें मानने को तैयार थे. मेनन की किताब 'इंटीग्रेशन आफ इंडियन स्टेट' के पेज नंबर 80 पर उन्होंने लिखा है कि महाराज ने जो रियायतें बताई थीं उनको लेकर मेनन ने कहा था कि अगर आप सिर्फ हस्ताक्षर से खुश हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं हैं, लेकिन जो आप चाहते हैं वे संभव नहीं है.

Rajasthan Formation Day 2022
Rajasthan Formation Day 2022

तब महाराजा ने कहा कि जिन्ना खाली पेपर पर हस्ताक्षर कर दे रहे हैं. इस पर मेनन ने कहा कि आप धोखा खा जाएंगे. इस पर महाराजा हनवंत सिंह और जैसलमेर के महाराज कुमार तीन दिन के लिए जोधपुर आए. उस समय हिंदू रियासत के मुस्लिम देश में शामिल होने पर भविष्य की परेशानियों पर विस्तार से चर्चा हुई. तीन बाद 11 अगस्त को दिल्ली में महाराजा हनवंत सिंह ने जोधपुर के भारत में विलय पर हस्ताक्षर कर दिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.