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निजीकरण के विरोध में रेलवेकर्मी ने पूछा- रेलवे घाटे में है तो निजी कम्पनियां क्यों करना चाह रही हैं निवेश - रेलवे का निजीकरण

भारतीय रेलवे अब तक 150 से ज्यादा रेलों को निजी हाथों में सौंप चुका है, जबकि देश के 50 बड़े स्टेशनों का संचालन भी निजी हाथों में देने की तैयारी है. इसको लेकर रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन विरोध पर उतर आए हैं.

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निजीकरण के विरोध में रेलवेकर्मी
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Published : Sep 17, 2020, 1:56 PM IST

जोधपुर. भारतीय रेलवे में लगातार निजीकरण की कवायद चल रही है. भारतीय रेलवे अब तक 150 से ज्यादा रेलों को निजी हाथों में सौंप चुका है, जबकि देश के 50 बड़े स्टेशनों का संचालन भी निजी हाथों में देने की तैयारी है. इसको लेकर रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन विरोध पर उतर आए हैं.

निजीकरण के विरोध में रेलवेकर्मी

वहीं कर्मचारियों में इसकी पूरी जानकारी देने के लिए जोधपुर में नॉर्थ-वेस्ट रेलवे एंप्लाइज यूनियन द्वारा एक जन जागरूकता सप्ताह चलाया जा रहा है, जिसमें कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि रेलवे घाटे में नहीं है. अगर रेलवे घाटे में होती तो कोई व्यवसायी इसे क्यों खरीदने आगे आता.

रेलवे को घाटे में बताया जा रहा है. नॉर्थ वेस्ट रेलवे एंप्लाइज यूनियन के सचिव मनोज परिहार का कहना है कि 23 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद रेलवे की माल गाड़ियों ने रेलवे को बहुत कुछ कमा कर दिया है. हमारी कैपेसिटी बढ़ी है. हमारे वर्कर लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन रेलवे को घाटे में बताकर बेचने की तैयारी सरकार कर रही है, जो रेलकर्मी कभी होने नहीं देंगे.

यह भी पढ़ें- चंबल नदी हादसाः स्पीकर ओम बिरला ने हादसे को बताया दुखद, मृतकों के प्रति व्यक्त की संवेदना

प्रिया ने बताया कि नॉर्थ वेस्ट रेलवे एंप्लाइज यूनियन की तरह ही अन्य संगठन भी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं और समय आने पर सभी एक साथ विरोध करेंगे.

जोधपुर. भारतीय रेलवे में लगातार निजीकरण की कवायद चल रही है. भारतीय रेलवे अब तक 150 से ज्यादा रेलों को निजी हाथों में सौंप चुका है, जबकि देश के 50 बड़े स्टेशनों का संचालन भी निजी हाथों में देने की तैयारी है. इसको लेकर रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन विरोध पर उतर आए हैं.

निजीकरण के विरोध में रेलवेकर्मी

वहीं कर्मचारियों में इसकी पूरी जानकारी देने के लिए जोधपुर में नॉर्थ-वेस्ट रेलवे एंप्लाइज यूनियन द्वारा एक जन जागरूकता सप्ताह चलाया जा रहा है, जिसमें कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि रेलवे घाटे में नहीं है. अगर रेलवे घाटे में होती तो कोई व्यवसायी इसे क्यों खरीदने आगे आता.

रेलवे को घाटे में बताया जा रहा है. नॉर्थ वेस्ट रेलवे एंप्लाइज यूनियन के सचिव मनोज परिहार का कहना है कि 23 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद रेलवे की माल गाड़ियों ने रेलवे को बहुत कुछ कमा कर दिया है. हमारी कैपेसिटी बढ़ी है. हमारे वर्कर लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन रेलवे को घाटे में बताकर बेचने की तैयारी सरकार कर रही है, जो रेलकर्मी कभी होने नहीं देंगे.

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प्रिया ने बताया कि नॉर्थ वेस्ट रेलवे एंप्लाइज यूनियन की तरह ही अन्य संगठन भी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं और समय आने पर सभी एक साथ विरोध करेंगे.

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