जोधपुर. दुलर्भ बिमारी मस्कुलर डिस्ट्रोफी के पीडित व्यक्तियों को बुनियादी चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है.
मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ में स्वावलम्बन फाउंडेशन के अध्यक्ष वैभव भंडारी की ओर से पेश जनहित याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य और प्रमिला आचार्य ने जनहित याचिका पेश करते हुए बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रोफी एक दुलर्भ बीमारी है. जिसके पीडित व्यक्ति की उपचार की संभावित लागत करीब 16 करोड रूपये है.
उन्होंने याचिका में अनुरोध किया कि जिला स्तर पर मस्कुलर डिस्ट्रोफी से पीडित व्यक्तियों को सबसे बुनियादी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाए प्रदान की जाये. वहीं पीडित रोगियों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक सिस्टम बनाया जाये और पर्याप्त धन की उपलब्ध करवाया जाये. राज्य के साथ साथ जिला स्तर पर एक अलग नोडल निकाय का निर्माण जो न केवल निगरानी कर सकता है बल्कि बीमारी से पीडित रोगियों के उपचार व पुनर्वास मे भी सहायता कर सकता है.
इस तरह के रोग के रोगियों को जीवन के बुनियादी प्रावधानो जैसे की पौष्टिक भोजन,फिजियोथेरेपी,स्वचालित व्हीलचेयर,नर्स सुविधाए दी जाये. इन सभी अनुरोध के साथ दायर जनहित याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग व सामाजिक न्याय विभाग के साथ राज्य सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.