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हाईकोर्ट सुनवाई : सरकारी पैसे से धार्मिक शिक्षा कैसे चलाई जा सकती है, उच्च न्यायालय ने जारी किया नोटिस

याचिका में कहा गया है कि सरकारी पैसों से मदरसे संचालित हो रहे हैं. मदरसों को बंद करने, इनको प्राथमिक स्कूल बनाने, इनका अनुदान बंद करने और राजस्थान मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2020 को निरस्त करने की याचिका पेश की गई है.

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Published : Aug 13, 2021, 8:55 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई
राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती (Chief Justice Indrajit Mohanty) और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर (Judge Vineet Kumar Mathur) की खंडपीठ ने सरकारी पैसे से धार्मिक शिक्षा के मदरसे संचालित किये जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की.

मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किये हैं. राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़, केन्द्र सरकार के एएसजी मुकेश राजपुरोहित को नोटिस जारी किये गये हैं.

पढ़ें- राजस्थान उपचुनाव: मदरसा पैराटीचर्स ने गहलोत सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, उपचुनावों में बहिष्कार की दी चेतावनी

वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित को निर्देश दिये हैं कि याचिका की एक कॉपी महाधिवक्ता एमएस सिंघवी (Advocate General MS Singhvi) को भी दी जाये. याचिकाकर्ता मुकेश जैन की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने जनहित याचिका पेश करते हुए बताया कि सरकारी पैसों से मदरसे संचालित हो रहे हैं. मदरसों को बंद करने, इनको प्राथमिक स्कूल बनाने, इनका अनुदान बंद करने और राजस्थान मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2020 (Rajasthan Madrasa Education Board Act 2020) को निरस्त करने की याचिका पेश की.

जिसे न्यायालय ने विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है. मदरसे पर सरकारी खर्च पर भारत सरकार, राज्य सरकार, सीबीएसई, आरबीएसई, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती (Chief Justice Indrajit Mohanty) और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर (Judge Vineet Kumar Mathur) की खंडपीठ ने सरकारी पैसे से धार्मिक शिक्षा के मदरसे संचालित किये जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की.

मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किये हैं. राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़, केन्द्र सरकार के एएसजी मुकेश राजपुरोहित को नोटिस जारी किये गये हैं.

पढ़ें- राजस्थान उपचुनाव: मदरसा पैराटीचर्स ने गहलोत सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, उपचुनावों में बहिष्कार की दी चेतावनी

वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित को निर्देश दिये हैं कि याचिका की एक कॉपी महाधिवक्ता एमएस सिंघवी (Advocate General MS Singhvi) को भी दी जाये. याचिकाकर्ता मुकेश जैन की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने जनहित याचिका पेश करते हुए बताया कि सरकारी पैसों से मदरसे संचालित हो रहे हैं. मदरसों को बंद करने, इनको प्राथमिक स्कूल बनाने, इनका अनुदान बंद करने और राजस्थान मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2020 (Rajasthan Madrasa Education Board Act 2020) को निरस्त करने की याचिका पेश की.

जिसे न्यायालय ने विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है. मदरसे पर सरकारी खर्च पर भारत सरकार, राज्य सरकार, सीबीएसई, आरबीएसई, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है.

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