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अपडेट हुए मोटर ड्राइविंग स्कूल, मानक के अनुरूप न होने पर किए जा रहे सीज - Relief from change in rules of motor driving school

मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 में परिवहन विभाग की ओर से किए गए बदलावों ने ड्राइविंग स्कूलों में कई बदलाव लाए हैं. अब ड्राइविंग स्कूलों में आधुनिक उपकरणों के साथ इंडोर ड्राइविंग सिस्टम भी रहता है. 15 साल पुरानी गाड़ियों का प्रयोग भी ड्राइविंग सिखाने के लिए नहीं किया जाता है जिससे हादसे कम होते हैं. परिवहन विभाग भी मोटर ड्राइविंग स्कूलों की समय-समय पर जांच करते हैं और कोई कमी पाए जाने पर कार्रवाई भी करते हैं.

नए मानक के अनुसार हो रहा संचालन, Operating as per the new standard
मोटर ड्राइविंग स्कूलों की बदली व्यवस्था
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Published : Apr 20, 2021, 9:52 PM IST

जोधपुर. 21वीं सदी में आज हर कोई सेल्फ डिपेंड होना चाह रहा है. पुरुष हों या महिलाएं किसी भी काम के लिए दूसरे पर निर्भर नहीं रहना चाह रहे हैं. चाहे वह जॉब को लेकर हो या अन्य काम के लिए. यही वजह है कि पुरुष के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी ड्राइविंग कर रही हैं. यही वजह है कि बीते कुछ सालों में शहर में मोटर ड्राइविंग स्कूलों की संख्या भी बढ़ी है. मोटर ड्राइविंग स्कूल को लेकर सरकार की ओर से हाल ही में बनाए गए नए नियमों के कारण अब स्कूल संचालकों को पूरे नियम कानून के तहत ही ड्राइविंग स्कूल का संचालन करना होगा. मानक के अनुसार न होने पर कुछ को ड्राइविंग स्कूल को परिवहन विभाग ने बंद करवा दिए हैं तो कुछ ने सभी प्रपत्र और उपकरण न होने से खुद ही ड्राइविंग स्कूल बंद कर दिए हैं.

मोटर ड्राइविंग स्कूलों की बदली व्यवस्था

मोटर ट्रेनिंग स्कूल में लाइट मोटर व्हीकल जैसे कार और हेवी मोटर व्हीकल भी सिखाए जाते हैं. मोटर ट्रेनिंग स्कूल पूर्णतया परिवहन विभाग के अंतर्गत आते हैं. ड्राइविंग स्कूल चलाने का लाइसेंस भी परिवहन विभाग की ओर से निश्चित नियम व शर्तों के आधार पर दिया जाता है. जोधपुर शहर में फिलहाल कुल 32 मोटर ड्राइविंग स्कूल चल रहे हैं. जोधपुर के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी के अंतर्गत 3 जिले आते हैं जिनमें जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर भी सम्मिलित है. जिनमें कुल 52 मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं. इनमें से जोधपुर में 32 बाड़मेर में 11 जैसलमेर में एक बालोतरा में पांच और फलौदी में 3 मोटर ड्राइविंग स्कूल मोटर ड्राइविंग रूल्स 2018 के अंतर्गत संचालित हो रहे हैं.

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कुछ समय पहले आरटीओ कार्यालय के आस-पास ही मोटर ड्राइविंग स्कूलों का संचालन होता था लेकिन राज्य सरकार की ओर से बनाए गए नियम में एरिया समेत अन्य कई बदलाव किए गए और उसके आधार पर अब शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं. प्रादेशिक परिवहन अधिकारी रामनारायण बडगूजर ने बताया कि परिवहन विभाग की ओर से निरंतर रूप से सभी मोटर ड्राइविंग स्कूल पर निगरानी रखी जा रही है और समय-समय पर उनकी जांच भी की जाती है. अगर उनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी पाई जाती है तो परिवहन विभाग ड्राइविंग स्कूल का लाइसेंस रद्द कर देता है.

50 में से अब 32 ही बचे ड्राइविंग स्कूल

प्रादेशिक परिवहन अधिकारी का कहना है कि कुछ महीने पहले भी कुछ मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालित करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी जिसमें उनके वाहनों को भी परिवहन विभाग ने सीज किया था. प्रादेशिक परिवहन अधिकारी रामनारायण बडगूजर ने बताया कि नियमों के तहत अब नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत चलने वाले मोटर ड्राइविंग स्कूल में 15 वर्ष से पुराने वाहन नहीं रखे जा सकते. ऐसे में विभाग की विजिलेंस टीम समय-समय पर जोधपुर सहित अन्य जगहों पर चलने वाले मोटर ड्राइविंग स्कूल की जांच भी करती है.

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मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 के तहत चार श्रेणी में बांटा गया है

श्रेणी का स्कूल ऐसा स्कूल होगा जो केवल मोटरसाइकिल के प्रशिक्षण के कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है. बी श्रेणी का स्कूल ऐसा स्कूल होगा जो मोटरसाइकिल एवं हल्के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए या केवल हल्के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत किया गया है. सी श्रेणी कई स्कूल ऐसे स्कूलों का जो मोटरसाइकिल हल्के एवं भार वाहन अथवा भारी वाहन के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत किया गया है. वहीं डी श्रेणी का स्कूल ऐसा स्कूल होगा जो अन्य तीनों श्रेणियों के लिए अधिकृत है तथा जिसे विभाग की ओर से लर्नर लाइसेंस जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है.

मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018

मोटर ड्राइविंग स्कूल को लेकर सरकार द्वारा हाल ही में एक नया नियम बनाया गया है जिसमें कई बदलाव किए गए हैं. उनके तहत ड्राइविंग स्कूल के अंदर प्रत्येक वाहन के लिए एक वाहन चालक होना आवश्यक होगा, वाहनों का पंजीयन परिवहन वाहन के रूप में किया जाना अनिवार्य होगा, मोटर ड्राइविंग स्कूल के अंदर सभी वाहनों के वैध दस्तावेज जिनमें फिटनेस परमिट बीमा प्रदूषण इत्यादि के प्रमाण पत्र रखना भी आवश्यक होगा, प्रत्येक हल्के मोटर वाहन से 1 महीने में अधिकतम 30 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा तो वहीं भारी वाहन से एक माह में 20 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा.

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मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 के तहत प्रशिक्षण लेने वाले सभी लोगों के लिए इंडोर ट्रेनिंग की भी व्यवस्था करनी आवश्यक होगी जिसमें ब्लैक बोर्ड आवश्यक संकेतों के साथ एक रोड प्लान बोर्ड ट्रैफिक साइन चार्ट ट्रैफिक पुलिस की ओर से हाथ से दिए जाने वाले सिगनल्स का चार्ट, मोटरयान के सभी कंपोनेंट्स विवरण प्रदर्शित करने वाला सर्विस चार्ट भी रखना अनिवार्य होगा.

ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले संचालक की शैक्षणिक योग्यता भी वर्तमान में मोटर ड्राइविंग स्कूल लगाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. नए नियमों के अनुसार मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले संचालक की न्यूनतम योग्यता 10वीं पास होनी चाहिए और उसकी उम्र 65 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार या राजस्थान प्रावधायिक शिक्षा मंडल जोधपुर द्वारा मान्यता प्राप्त औद्योगिक शिक्षण संस्था से मोटर मैकेनिक में प्रशिक्षण अथवा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 3 वर्षीय डिप्लोमा होना चाहिए.

पूर्व में कोई भी व्यक्ति मोटर ड्राइविंग स्कूल को संचालित कर लेता था. छोटे कार्यालयों में भी इसका संचालन किया जाता था लेकिन मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 के बाद परिवहन विभाग ने इसमें काफी सख्ती कर दी है. साथी नियमों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर उन पर जुर्माना लगाया जाता है. वाहनों को भी जब्त कर लिया जाता है.

जोधपुर. 21वीं सदी में आज हर कोई सेल्फ डिपेंड होना चाह रहा है. पुरुष हों या महिलाएं किसी भी काम के लिए दूसरे पर निर्भर नहीं रहना चाह रहे हैं. चाहे वह जॉब को लेकर हो या अन्य काम के लिए. यही वजह है कि पुरुष के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी ड्राइविंग कर रही हैं. यही वजह है कि बीते कुछ सालों में शहर में मोटर ड्राइविंग स्कूलों की संख्या भी बढ़ी है. मोटर ड्राइविंग स्कूल को लेकर सरकार की ओर से हाल ही में बनाए गए नए नियमों के कारण अब स्कूल संचालकों को पूरे नियम कानून के तहत ही ड्राइविंग स्कूल का संचालन करना होगा. मानक के अनुसार न होने पर कुछ को ड्राइविंग स्कूल को परिवहन विभाग ने बंद करवा दिए हैं तो कुछ ने सभी प्रपत्र और उपकरण न होने से खुद ही ड्राइविंग स्कूल बंद कर दिए हैं.

मोटर ड्राइविंग स्कूलों की बदली व्यवस्था

मोटर ट्रेनिंग स्कूल में लाइट मोटर व्हीकल जैसे कार और हेवी मोटर व्हीकल भी सिखाए जाते हैं. मोटर ट्रेनिंग स्कूल पूर्णतया परिवहन विभाग के अंतर्गत आते हैं. ड्राइविंग स्कूल चलाने का लाइसेंस भी परिवहन विभाग की ओर से निश्चित नियम व शर्तों के आधार पर दिया जाता है. जोधपुर शहर में फिलहाल कुल 32 मोटर ड्राइविंग स्कूल चल रहे हैं. जोधपुर के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी के अंतर्गत 3 जिले आते हैं जिनमें जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर भी सम्मिलित है. जिनमें कुल 52 मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं. इनमें से जोधपुर में 32 बाड़मेर में 11 जैसलमेर में एक बालोतरा में पांच और फलौदी में 3 मोटर ड्राइविंग स्कूल मोटर ड्राइविंग रूल्स 2018 के अंतर्गत संचालित हो रहे हैं.

पढ़ें: Special: स्वच्छता मिशन को सफल बना रहा पाली, अगले 30 वर्षों तक शहर रहेगा एकदम साफ-सुथरा, जानें कैसे ?

कुछ समय पहले आरटीओ कार्यालय के आस-पास ही मोटर ड्राइविंग स्कूलों का संचालन होता था लेकिन राज्य सरकार की ओर से बनाए गए नियम में एरिया समेत अन्य कई बदलाव किए गए और उसके आधार पर अब शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं. प्रादेशिक परिवहन अधिकारी रामनारायण बडगूजर ने बताया कि परिवहन विभाग की ओर से निरंतर रूप से सभी मोटर ड्राइविंग स्कूल पर निगरानी रखी जा रही है और समय-समय पर उनकी जांच भी की जाती है. अगर उनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी पाई जाती है तो परिवहन विभाग ड्राइविंग स्कूल का लाइसेंस रद्द कर देता है.

50 में से अब 32 ही बचे ड्राइविंग स्कूल

प्रादेशिक परिवहन अधिकारी का कहना है कि कुछ महीने पहले भी कुछ मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालित करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी जिसमें उनके वाहनों को भी परिवहन विभाग ने सीज किया था. प्रादेशिक परिवहन अधिकारी रामनारायण बडगूजर ने बताया कि नियमों के तहत अब नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत चलने वाले मोटर ड्राइविंग स्कूल में 15 वर्ष से पुराने वाहन नहीं रखे जा सकते. ऐसे में विभाग की विजिलेंस टीम समय-समय पर जोधपुर सहित अन्य जगहों पर चलने वाले मोटर ड्राइविंग स्कूल की जांच भी करती है.

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मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 के तहत चार श्रेणी में बांटा गया है

श्रेणी का स्कूल ऐसा स्कूल होगा जो केवल मोटरसाइकिल के प्रशिक्षण के कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है. बी श्रेणी का स्कूल ऐसा स्कूल होगा जो मोटरसाइकिल एवं हल्के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए या केवल हल्के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत किया गया है. सी श्रेणी कई स्कूल ऐसे स्कूलों का जो मोटरसाइकिल हल्के एवं भार वाहन अथवा भारी वाहन के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत किया गया है. वहीं डी श्रेणी का स्कूल ऐसा स्कूल होगा जो अन्य तीनों श्रेणियों के लिए अधिकृत है तथा जिसे विभाग की ओर से लर्नर लाइसेंस जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है.

मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018

मोटर ड्राइविंग स्कूल को लेकर सरकार द्वारा हाल ही में एक नया नियम बनाया गया है जिसमें कई बदलाव किए गए हैं. उनके तहत ड्राइविंग स्कूल के अंदर प्रत्येक वाहन के लिए एक वाहन चालक होना आवश्यक होगा, वाहनों का पंजीयन परिवहन वाहन के रूप में किया जाना अनिवार्य होगा, मोटर ड्राइविंग स्कूल के अंदर सभी वाहनों के वैध दस्तावेज जिनमें फिटनेस परमिट बीमा प्रदूषण इत्यादि के प्रमाण पत्र रखना भी आवश्यक होगा, प्रत्येक हल्के मोटर वाहन से 1 महीने में अधिकतम 30 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा तो वहीं भारी वाहन से एक माह में 20 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा.

पढ़ें: Special: देशभर में PM स्वनिधि योजना में राजस्थान बेहतर, लेकिन जयपुर के 50 फीसदी स्ट्रीट वेंडर्स को नहीं मिला लाभ

मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 के तहत प्रशिक्षण लेने वाले सभी लोगों के लिए इंडोर ट्रेनिंग की भी व्यवस्था करनी आवश्यक होगी जिसमें ब्लैक बोर्ड आवश्यक संकेतों के साथ एक रोड प्लान बोर्ड ट्रैफिक साइन चार्ट ट्रैफिक पुलिस की ओर से हाथ से दिए जाने वाले सिगनल्स का चार्ट, मोटरयान के सभी कंपोनेंट्स विवरण प्रदर्शित करने वाला सर्विस चार्ट भी रखना अनिवार्य होगा.

ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले संचालक की शैक्षणिक योग्यता भी वर्तमान में मोटर ड्राइविंग स्कूल लगाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. नए नियमों के अनुसार मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले संचालक की न्यूनतम योग्यता 10वीं पास होनी चाहिए और उसकी उम्र 65 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार या राजस्थान प्रावधायिक शिक्षा मंडल जोधपुर द्वारा मान्यता प्राप्त औद्योगिक शिक्षण संस्था से मोटर मैकेनिक में प्रशिक्षण अथवा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 3 वर्षीय डिप्लोमा होना चाहिए.

पूर्व में कोई भी व्यक्ति मोटर ड्राइविंग स्कूल को संचालित कर लेता था. छोटे कार्यालयों में भी इसका संचालन किया जाता था लेकिन मोटर ड्राइविंग स्कूल रूल्स 2018 के बाद परिवहन विभाग ने इसमें काफी सख्ती कर दी है. साथी नियमों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर उन पर जुर्माना लगाया जाता है. वाहनों को भी जब्त कर लिया जाता है.

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