बिलाड़ा (जोधपुर). जोधपुर के बिलाड़ा क्षेत्र के कापरड़ा गांव में एक सप्ताह पहले मृत मिले कुरजां प्रवासी पक्षियों की रिपोर्ट भोपाल से आ चुकी है. इन प्रवासी पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से हुई है. अब तक पक्षियों की मौत की वजह रानीखेत बीमारी मानी जा रही थी.
कुरजां पक्षी की लगातार हो रही मौतों पर यह माना जा रहा था कि इनकी मौत रानीखेत बीमारी के चलते हो रही है, यही मानकर इलाज भी किया जा रहा था. लेकिन भोपाल से रिपोर्ट आने के बाद साफ हो गया है कि पश्चिमी राजस्थान में कुरजां पक्षी की मौत रानीखेत से नहीं बल्कि बर्ड फ्लू से हो रही है.
जिला कलेक्टर ने किया अलर्ट
जांच रिपोर्ट आने के बाद जोधपुर जिला कलेक्टर ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट भवन में बैठक की और सभी प्रशासनिक अधिकारियों को बर्ड फ्लू को लेकर अलर्ट रहने के निर्देश दिये हैं.
वन विभाग की बढ़ी मुश्किलें
वन विभाग के अधिकारी अब तक यही मानकर चल रहे थे कि कुरजां पक्षियों की मौत रानीखेत बीमारी से हो रही है, विभाग की ओर से बीमार पक्षियों का इलाज भी इसी तरह किया जा रहा था, अब बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद वन विभाग की चुनौतियां बढ़ गई हैं. विभाग को अब नए सिरे से पक्षियों का इलाज करना होगा और कुरजां को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाना होगा.
कुरजां की सिलसिलेवार मौतों पर उठे सवाल
शीतकालीन प्रवास पर आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां की मौतों ने सवाल खड़े किये हैं. कुरजां के मरने का सिलसिला जारी है. एक सप्ताह के दौरान सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इलाके में 150 से अधिक कुरजां की मौत हुई है. पिछले शनिवार से बिलाड़ा रेंज के कापरड़ा गांव के पास जयपुर-जोधपुर हाईवे से सटे सेज के पास शीतकालीन प्रवास पर आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां की मौत का सिलसिला शुरू हुआ था. शुक्रवार को कापरड़ा से 10 किमी दूर रामासनी गांव के पास मृत कुरजां मिलने के बाद वन विभाग कर्मचारीयों में खलबली मच गई. बिलाड़ा क्षेत्र में लगातार कुरजां मरने से पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं.
इसी इलाके में गल-घोटूं से मरे 50 हिरण
इसी वन क्षेत्र में एक महिने पहले तिलवासनी गांव के खेतों में हिरण भी मृत मिले थे. हिरणों में गल घोंटू संक्रमण फैला जिसके चलते 15 दिन में करीब 50 हिरणों की मौत हो गई. अब इन प्रवासी पक्षीयों में फैल रहे बर्ड फ्लू ने प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. बीते शनिवार से शुरु हुई कुरजां के मौत की खबर ईटीवी भारत पर चलने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी फारुख आफरीदी सोमवार को कापरड़ा पंहुचे थे. आफरीदी ने वन विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिये थे.
पूर्व मंत्री भी कर चुके हैं दौरा
पाली सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री पीपी चौधरी भी घटनास्थल का मुआयना कर चुके हैं. उन्होंने चिकित्सकीय दल के साथ वार्ता कर संक्रमण का उपाय करने के निर्देश दिये थे. कल गुरुवार को यह संक्रमण फैलकर आस-पास के गांवों के पक्षियों को भी चपेट में लेने लगा. आज शुक्रवार तक 150 से ज्यादा कुरजां की मौत हो चुकी है. इसके अलावा कई मेहमान परिंदे घायल हैं. इनके उपचार के लिए अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है.
शनिवार को मृत पक्षियों का विसरा बरेली, कोयम्बटूर, भोपाल की लैब में जांच के लिए भेजा गया था. भोपाल से आई रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. पक्षी विशेषज्ञ डाॅ रेणु कोहली सहायक निदेशक क्षेत्रीय कार्यालय कालेज शिक्षा जोधपुर की मानें तो कापरड़ा सेज, ओलवी, रामासनी, चांदेलाव, रावर गांव के आस-पास लगभग 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हजारों की संख्या में कुरजां ने पड़ाव डाला हुआ है. अगर इन सभी जगह यह संक्रमण फैल गया तो प्रवासी परिन्दों का बहुत नुकसान हो सकता है.
अभी तक मौत का आंकड़ा
बीते शनिवार को 56 कुरजां की मौत के बाद रविवार को 15, सोमवार को 25, मंगलवार को 9, बुधवार को 16, गुरूवार को 21 और आज शुक्रवार को अब तक 9 कुरजां पक्षियों की मौत हो चुकी है.
सांभर से भी सबक नहीं
बता दें कि 2019 के नवंबर-दिसंबर में जयपुर की सांभर झील में 50 हजार से ज्यादा परिन्दों की मौत के बाद भी विभाग ने सबक नहीं लिया. एक ओर वन विभाग के अधिकारी मृत कुरजां के आकड़े छुपा रहे हैं. तो दूसरी ओर कई जगहों पर मृत कुरजां के शवों को अन्य वन्यजीव नोंच रहे हैं. पक्षियों के शवों के सड़ने के भी मामले सामने आए हैं.