जोधपुर. कोरोना काल में हेल्थ सिस्टम को सबसे ज्यादा चुनौतियों से जुझना पड़ रहा है. एक तरफ कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए डॉक्टर्स लगातार मोर्चे पर डटे हुए हैं. वहीं, दूसरी तरफ सामान्य बीमारियों के मरीजों को इस दौरान किसी प्रकार की परेशानी इलाज संबंधी या दवाइयों को लेकर ना आए. इसको लेकर भी मेडिकल के क्षेत्र में कई नवाचार किए गए हैं.
केंद्र सरकार ने नेशनल डिजीटल हेल्थ मिशन 15 अगस्त से शुरू किया है. जोधपुर एम्स में कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में ही स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटलाइज्ड करने की कवायद शुरू हो गई थी. जो अब धीरे-धीरे रंग ला रही है. देशभर में टेलीमेडिसिन का उपयोग किया जा रहा है. वहीं, जोधपुर एम्स ने इसमें भी एक कदम आगे जाकर रिवर्स टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू की है.
क्या है टेलीमेडिसिन?
रिवर्स टेलीमेडिसिन को समझने से पहले हमें ये समझना होगा कि टेलीमेडिसिन क्या है. टेलीमेडिसिन दो शब्दों से मिलकर बना है. टेली एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है दूरी. मेडेरी लैटिन शब्द है जिसका अर्थ होता है ठीक करना. कोरोना काल में सामान्य बीमारियों के मरीजों के सामने कई तरह की समस्याएं आ रही थी. जिसके बाद जोधपुर एम्स ने टेलीमेडिसिन का प्रयोग शुरू किया. जिसमें मरीज अपने घर से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टर से जुड़ता है और उसको अपनी समस्याएं बताता है. डॉक्टर मरीज को क्या बीमारी है इसका पता लगाकर मरीज को उपचार बताता है.
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इससे एक तो मरीज को अस्पताल तक आने की जरूरत नहीं होती. साथ ही कोरोना काल में यह कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए फायदेमंद भी है. अगर दूसरी बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति डॉक्टर को दिखाने अस्पताल आएगा तो उसके संक्रमित होने के चांस बढ़ जाते हैं. अगर इस दौरान डॉक्टर को लगता है कि मरीज को अस्पताल आना चाहिए तो वो मरीज को अस्पताल आकर उपचार कराने की सलाह भी देते हैं.
रिवर्स टेलीमेडिसिन से कैसे होती है पढ़ाई?
रिवर्स टेलीमेडिसिन में घर बैठे मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है. कोरोना काल में क्लासें बंद होने के चलते पीजी व यूजी स्टूडेंट्स अपने घरों पर हैं. ऐसे में रिवर्स टेलीमेडिसिन में मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, जिसका डॉक्टर्स की टीम इलाज कर रही होती है. वहीं, स्टूडेंट अपने घर पर है. स्टूडेंट अस्पताल में भर्ती मरीज से जुड़ता है और उसके लक्षण पता करता है और मरीज से बातचीत के आधार पर क्या बीमारी है इसका डायग्नोसिस तैयार करता है.
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जिसके बाद फैकल्टी स्टूडेंट को बताती है कि उसने कितनी अच्छी डायग्नोसिस तैयार की है. कहां कमी रह गई, ये सब बातें स्टूडेंट को समझाई जाती हैं. जोधपुर एम्स के डॉक्टर्स रिवर्स टेलीमेडिसिन में मरीज के साथ अपने स्टूडेंट्स से जुड़ते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में पीजी स्टूडेंट को अपने प्रोफेसर के सवालों के जवाब भी देने होते हैं. जैसे मरीज की स्थिति क्या है, इसमें उनकी ओपीनियन क्या होगी, जिस तरह से वार्ड में राउंड के दौरान रेजिडेंट डॉक्टर्स अपने प्रोफेसर के सवालों के जवाब देते है. ठीक उसी तरह से रिवर्स टेलीमेडिसिन में वे अपने प्रोफेसर के सवालों के जवाब देते हैं.
एम्स के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एकेडमिक डीन डॉ. कुलदीप सिंह का कहना है कि रिवर्स टेलीमेडिसिन का यह नवाचार काफी सफल हो रहा है. इसमें स्टूडेंट्स हमेशा अस्पताल व अपनी पढ़ाई से जुड़े रहते हैं. कुलदीप सिंह ने बताया कि रिवर्स टेलीमेडिसिन का उपयोग जिला स्तर की अस्पतालों में भी किया जा सकता है. जहां कोई मरीज भर्ती है तो रिवर्स टेलीमेडिसिन के माध्यम से जोधपुर एम्स के डॉक्टर्स उससे जुड़कर और मरीज की डायग्नोसिस तैयार कर इलाज में मदद कर सकते हैं.