जोधपुर. जिले के मथुरादास माथुर अस्पताल में अप्रैल माह में कोरोना मरीजों के लिए उपयोगी रेमडेसीविर इंजेक्शन प्रकरण की पहली जांच में 23 नर्सेज को संदिग्ध मानते हुए उनके 230 इंजेक्शन खुर्दबुर्द करना मान लिया. जांच रिपोर्ट के अनुसार यह इंजेक्शन काउंटर से उठे लेकिन मरीज तक नहीं पहुंचे. मरीज के कागजातों में एंट्री नहीं हुई.
इसको लेकर रविवार को नर्सेज के एक प्रतिनिधि मंडल ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड और अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी से मुलाकात कर अपनी बात रखी. नर्सेज ने बताया कि हमें तो पता नहीं हमारा नाम संदिग्ध की सूची में आ गया. जबकि कई डॉक्टर अपने परिजनों की भर्ती बताकर इंजेक्शन ले गए. उनकी जांच तक नहीं हुई. अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि यह बहुत प्रारंभिक जांच है.
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जांच कमेटी ने कहा कि हम किसी को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं. इसके लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता है. इसके लिए प्रशासन से भी कहा है एक कमेटी बनाए. जिसमें प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हो और इसकी जांच करें. इस पूरी जांच में सिर्फ और सिर्फ नर्सेज के नाम आने से विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं. क्योंकि अस्पताल में रमेडेसीविर इंजेक्शन डॉक्टर के की ओर से लिखे जाने के बाद सीएमएओ के हस्ताक्षर होते हैं. उसके बाद जारी होते हैं. ऐसे में इन हस्ताक्षर करने वालों और नर्सेज से किसी का पक्ष लिए बिना ही संदिग्ध मानते हुए रिपोर्ट बना दी.
जिससे जाहिर हो रहा है कि कमेटी बडे नामों को बचाने का प्रयास कर रही है. जिससे पूरा मामला नर्सेज के आस पास घूमता रहा. गौरतलब है कि डॉ. अरविंद जैन की अध्यक्षता में हुई जांच में 230 इंजेक्शन का गड़बड़झाला सामने आया. इसमें 13 नर्सिंग कर्मियों की भूमिका संदिग्ध बताई गई है. जिसको लेकर अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है.
जोधपुर में रावणा राजपूत मेडिकल ग्रुप ने मनाई अपनी तीसरी वर्षगांठ
जोधपुर में रविवार को रावणा राजपूत मेडिकल ग्रुप ने अपनी तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर अपनी चिर परिचित सेवा भावना में वृद्धि करने के उद्देश्य से अपने समाज के लिए चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा उपकरण बैंक की स्थापना की. RRMG के सदस्यों की उपस्थिति में इस बैंक का डॉ. एस एस सिसोदिया, सेवा निवृत्त संयुक्त निदेशक, चिकित्सा और स्वास्थ्य, जोधपुर की ओर से फीता काटकर शुभारंभ किया गया.