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जोधपुर : ई-मित्र की गलती से नर्स भर्ती से वंचित...राजस्थान हाईकोर्ट ने दी राहत - Jodhpur latest news

सुमन इनाणिया अच्छे नंबरों के बावजूद नर्स भर्ती से वंचित रह गई. ई-मित्र की गलती से आवेदन फार्म में उसके कम अंक भर दिए गए थे. इसलिए उसे भर्ती के अयोग्य करार दे दिया गया. इसके बाद सुमन ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. जहां राजस्थान उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 60 दिन में नियुक्ति देने के आदेश जारी किए हैं.

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राजस्थान उच्च न्यायालय ने दिया आदेश
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Published : Nov 28, 2020, 10:43 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि ई-मित्र द्वारा कम अंक अपलोड करने के कारण नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती में वंचित रही याचिकाकर्ता के दिसंबर के दूसरे सप्ताह में दस्तावेज सत्यापन कर मेरिट के अनुसार शुक्रवार से 60 दिन में नियुक्ति देने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि गलती करना मानवीय है और क्षमा करना ईश्वरीय है.

इसलिए बेरोजगार युवाओं के मामले में सरकार को अनजाने में की गई त्रुटी के मामले में सरकार को क्षमा करने की सह्रदयता दिखानी चाहिए. याचिकाकर्ता सुमन इनाणिया की ओर से उच्च न्यायालय में अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि याचिकाकर्ता ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती के लिए 6035 पोस्ट के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति में आवेदन किया था. याचिकाकर्ता ने अपना आवेदन 25 जून 2018 को ई-मित्र के जरिये अपलोड किया गया.

पढ़ेंः मेयर और सभापति की सीटों पर रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

याचिकाकर्ता ने जीएनएम कोर्स में 1900 में से 1582 अंक प्राप्त किये थे, लेकिन ई-मित्र से केवल 1290 अंक ही अपलोड किये गये. इसके आधार पर चिकित्सा विभाग ने उसे नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती में योग्य होने के बावजूद अयोग्य करार दे दिया. जबकि उसके दस्तावेजों की जांच ही नहीं की गई. अधिवक्ता ने कहा कि ई-मित्र ने कम अंक अपलोड कर दिये. यह केवल मानवीय भूल है जबकि यदि अधिक अंक अपलोड कर दिये जाते तो भी दस्तावेजों के सत्यापन के बाद वास्तविक अंकों के आधार पर ही नियुक्ति दी जाती तो फिर दस्तावेजों का सत्यापन क्यों नहीं किया गया.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि ई-मित्र द्वारा कम अंक अपलोड करने के कारण नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती में वंचित रही याचिकाकर्ता के दिसंबर के दूसरे सप्ताह में दस्तावेज सत्यापन कर मेरिट के अनुसार शुक्रवार से 60 दिन में नियुक्ति देने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि गलती करना मानवीय है और क्षमा करना ईश्वरीय है.

इसलिए बेरोजगार युवाओं के मामले में सरकार को अनजाने में की गई त्रुटी के मामले में सरकार को क्षमा करने की सह्रदयता दिखानी चाहिए. याचिकाकर्ता सुमन इनाणिया की ओर से उच्च न्यायालय में अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि याचिकाकर्ता ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती के लिए 6035 पोस्ट के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति में आवेदन किया था. याचिकाकर्ता ने अपना आवेदन 25 जून 2018 को ई-मित्र के जरिये अपलोड किया गया.

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याचिकाकर्ता ने जीएनएम कोर्स में 1900 में से 1582 अंक प्राप्त किये थे, लेकिन ई-मित्र से केवल 1290 अंक ही अपलोड किये गये. इसके आधार पर चिकित्सा विभाग ने उसे नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती में योग्य होने के बावजूद अयोग्य करार दे दिया. जबकि उसके दस्तावेजों की जांच ही नहीं की गई. अधिवक्ता ने कहा कि ई-मित्र ने कम अंक अपलोड कर दिये. यह केवल मानवीय भूल है जबकि यदि अधिक अंक अपलोड कर दिये जाते तो भी दस्तावेजों के सत्यापन के बाद वास्तविक अंकों के आधार पर ही नियुक्ति दी जाती तो फिर दस्तावेजों का सत्यापन क्यों नहीं किया गया.

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