जोधपुर: उदयपुर लक्ष्मी विलास होटल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने बुधवार को जोधपुर की CBI मामलात की विशेष अदालत के सामने पेश होकर अपने जमानत मुचलके पेश किए. CBI अदालत के जज पीके शर्मा के समक्ष पूर्व मंत्री शौरी ने खुद का 2 लाख रुपए का मुचलका पेश किया.
शौरी की ओर से जमानती के तौर पर पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह जासोल और उनकी पत्नि चित्रा सिंह ने 1-1 लाख रुपए की जमानत मुचलके पेश किए. गौरतलब है कि उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल के विनिवेशन के मामले में सीबीआई अदालत ने पूर्व मंत्री शौरी सहित 5 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी का वांरट जारी किया था.
7 करोड़ रुपए में होटल की नीलामी
सभी पर आरोप था कि होटल की कीमत करीब 252 करोड़ रुपए थी. लेकिन महज साढ़े 7 करोड़ रुपए में होटल की नीलामी कर दी गई. मामला साल 2002 का बताया जा रहा है. जबकि इस मामले में शिकायत मिलने पर सीबीआई ने साल 2014 में जांच शुरू करने के साथ ही दो बार अपनी ओर से क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी. लेकिन सीबीआई अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए थे. जिसको राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने सीबीआई अदालत के आदेश को बदलते हुए गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील कर दिया था. बुधवार को कोर्ट में पेश होने के बाद पूर्व मंत्री शौरी ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से बेबुनियाद है. केवल एक शिकायत के आधार पर साल 2014 में फिर से मामले की जांच की गई. लेकिन जांच एजेंसी सीबीआई ने स्वयं 2 बार क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है.
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शौरी ने कहा 'अब यह कैसे तय किया जा सकता है कि इसमें राजस्व की हानि हुई है, क्योंकि ऐसे मामलों के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कमेटी बनाई थी. जो ऐसे मामले तय करती थी. उसमें लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह जसोल, स्वयं शौरी और अरुण जेटली जैसे पूर्व मंत्री शामिल थे.
सभी आरोप बेबुनियाद
शौरी का कहना है कि इसका क्या पैमाना है कि इसमें गबन हुआ है, क्योंकि हर बार सीबीआई जांच में भी कीमत को लेकर बार-बार परिवर्तन किया गया था. शौरी के मुताबिक सभी आरोप बेबुनियादी हैं और रही बात जांच की, तो एक बार फिर से जांच होने दीजिए, सच सबके सामने आ जाएगा.