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कुंभलगढ़ और टॉडगढ़ में संसाधनों की कमी को लेकर हर तीन माह में प्रगति मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करे विभाग : राजस्थान हाईकोर्ट - ETV Bharat Rajasthan News

कुंभलगढ़ और टॉडगढ़ अभयारण्य में संसाधनों की कमी को लेकर (HC on Kumbhalgarh and Todgarh Sanctuaries) दायर की गई समीक्षा याचिका पर गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने विभागों को हर तीन माह में प्रगति मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : May 19, 2022, 8:31 PM IST

जोधपुर. कुंभलगढ़ और टॉडगढ़ अभयारण्य में वाहन एवं अन्य संसाधनों की कमी को लेकर की गई जनहित याचिका में पारित पूर्व के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई समीक्षा याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनिंदर मोहन श्रीवास्तव एवं मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ ने समीक्षा याचिका में सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए. याचिकाकर्ता ऋतुराज सिंह राठौड़ ने बताया कि चुनौती दिए गए (समीक्षाधीन) खंड पीठ के आदेश में लिखा गया था कि सरकार द्वारा अपने हलफनामे में उल्लेखित किया गया है कि कुंभलगढ़ में पर्याप्त संसाधन एवं स्टाफ लगाया गया.

सरकार के इस हलफनामे के तथ्यों पर याचिकाकर्ता ने गंभीरता से (HC on Kumbhalgarh and Todgarh Sanctuaries) विवाद नहीं किया है, इसलिए याचिका में खंडपीठ आगे कुछ आदेश पारित करने को इच्छुक नहीं है. उपरोक्त आदेश को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता ऋतुराज सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा अत्यंत गंभीरता से सरकार के पेश किए गए जवाब एवं हलफनामे पर प्रश्न उठाए थे एवं प्रति उत्तर में खुद हलफनामा पेश कर दर्शाया था कि विभाग द्वारा कुंभलगढ़ में स्टाफ को उपलब्ध कराए गए वाहन एवं अन्य संसाधन पर्याप्त नहीं हैं.

याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि राजस्थान फॉरेस्ट पॉलिसी के प्रावधानों अनुसार प्रतीक रेंज कार्यालय पर वाहन उपलब्ध होने चाहिए, लेकिन रेंज कार्यालय झीलवाड़ा, बीजागुड़ा, देवगढ़ एवं भीम में ना तो चार पहिया वाहन है एवं ना ही दो पहिया वाहन उपलब्ध है. रेंज सादड़ी में 16 लोगों का स्टाफ है, लेकिन मात्र एक दोपहिया वाहन उपलब्ध है. बोखाड़ा में चार पहिया वाहन नहीं है एवं मात्र एक मोटरसाइकिल उपलब्ध है. याचिकाकर्ता ने बताया कि टॉडगढ़ एवं कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य में 115 वन विभाग स्टाफ कार्यरत हैं जिनको मात्र 13 लाठी, 8 बॉडी प्रोटेक्टर जैकेट, 1 सर्च लाइट, 2 हेडलाइट आदि उपलब्ध कराए गए हैं. याचिकाकर्ता ने बताया कि 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 34 ट्रैप कैमरे लगा वन्य जीव गणना की गई. इसके विपरीत लगभग 1000 वर्ग किलोमीटर में फैले कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में मात्र 38 ट्रैक कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं.

पढ़ें : Jodhpur HC Verdict: मां के निधन पर कैदी को नहीं दी आकस्मिक पैरोल, कोर्ट ने कलेक्टर को नसीहत दे छोड़ा

वन विभाग द्वारा आरटीआई के जवाब में खुद स्वीकार किया गया था कि वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना सटीक नहीं मानी जा सकती है. याचिकाकर्ता ने कुछ उदाहरण देकर बताया गया कि संसाधनों की कमी की वजह से गांव सेहवाज में भालू (रेस्क्यू में देरी की वजह से बच्चों पर हमला किया), काली घाटी में सांभर हिरण (रेस्क्यू में देरी की वजह से हिरन मर गया), कोटडी में पैंथर, बागोल में भालू आदि को रेस्क्यू करने के लिए उदयपुर एवं जोधपुर से रेस्क्यू टीमें बुलाई गईं जो कि लगभग आने में 12 घंटे से अधिक का समय ले लेती है. याचिकाकरता ने तेलंगाना वन विभाग का उदाहरण देकर बताया कि वहां पर स्टाफ को नवीनतम खरीद कर 2100 मोटरसाइकिल उपलब्ध कराई गई है, साथ ही साथ टेंडर जारी कर 100 थार जीप स्टाफ को उपलब्ध कराई जाएगी.

समीक्षा याचिका में माननीय मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह गौर किया कि सरकार के प्रस्तुत जवाब में ही साफ तौर से यह झलक रहा है कि कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ अभयारण्यों के सुचारू रखरखाव हेतु स्टाफ एवं संसाधनों की कमी है. आदर्श स्थिति अनुसार वन विभाग स्टाफ को समस्त संसाधन मुहिया कराए जाने चाहिए. हालांकि, राज्य की आर्थिक स्थिति एक तर्क हो सकता है, लेकिन सरकार के हर प्रयास करना चाहिए कि राज्य की (Rajasthan Forest Policy) फॉरेस्ट नीति के अनुरूप एवं याचिका में दर्शाए अनुसार स्टाफ एवं संसाधनों की कमी की पूर्ति की जाए, ताकि अभयारण्यों का सही से रखरखाव एवं संचालन हो सके.

हाईकोर्ट खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि सरकार जितनी जल्दी हो सके सारे जरूरी कदम उठा यह सुनिश्चित करे कि कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ के जंगलों में स्टाफ, संसाधन, वाहन आदि की कमी नहीं रहे. इस आदेश की एक प्रति सचिव वन विभाग को उपलब्ध कराई जाए ओर सचिव इस संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश संबंधित अधिकारियों को पारित करें. हर तीन माह पश्चात संसाधनों की कमी पूर्ति में क्या प्रगति हुई है, इसका मूल्यांकन किया जाए. एक साल पश्चात राजस्थान वन विभाग एक रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करें कि संसाधन एवं वाहनों की कमी पूर्ति हेतु क्या कदम उठा गए हैं, ताकि याचिकाकर्ता भी उसे रिपोर्ट का अभिगम कर सके. उसके बाद भी याचिकाकर्ता जरूरत अनुसार न्यायालय से वन विभाग को अन्य दिशा-निर्देश जारी करने हेतु दरख्वास्त कर सकता है. उपरोक्त निर्देशों के साथ समीक्षा याचिका निस्तारित की गई.

जोधपुर. कुंभलगढ़ और टॉडगढ़ अभयारण्य में वाहन एवं अन्य संसाधनों की कमी को लेकर की गई जनहित याचिका में पारित पूर्व के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई समीक्षा याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनिंदर मोहन श्रीवास्तव एवं मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ ने समीक्षा याचिका में सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए. याचिकाकर्ता ऋतुराज सिंह राठौड़ ने बताया कि चुनौती दिए गए (समीक्षाधीन) खंड पीठ के आदेश में लिखा गया था कि सरकार द्वारा अपने हलफनामे में उल्लेखित किया गया है कि कुंभलगढ़ में पर्याप्त संसाधन एवं स्टाफ लगाया गया.

सरकार के इस हलफनामे के तथ्यों पर याचिकाकर्ता ने गंभीरता से (HC on Kumbhalgarh and Todgarh Sanctuaries) विवाद नहीं किया है, इसलिए याचिका में खंडपीठ आगे कुछ आदेश पारित करने को इच्छुक नहीं है. उपरोक्त आदेश को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता ऋतुराज सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा अत्यंत गंभीरता से सरकार के पेश किए गए जवाब एवं हलफनामे पर प्रश्न उठाए थे एवं प्रति उत्तर में खुद हलफनामा पेश कर दर्शाया था कि विभाग द्वारा कुंभलगढ़ में स्टाफ को उपलब्ध कराए गए वाहन एवं अन्य संसाधन पर्याप्त नहीं हैं.

याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि राजस्थान फॉरेस्ट पॉलिसी के प्रावधानों अनुसार प्रतीक रेंज कार्यालय पर वाहन उपलब्ध होने चाहिए, लेकिन रेंज कार्यालय झीलवाड़ा, बीजागुड़ा, देवगढ़ एवं भीम में ना तो चार पहिया वाहन है एवं ना ही दो पहिया वाहन उपलब्ध है. रेंज सादड़ी में 16 लोगों का स्टाफ है, लेकिन मात्र एक दोपहिया वाहन उपलब्ध है. बोखाड़ा में चार पहिया वाहन नहीं है एवं मात्र एक मोटरसाइकिल उपलब्ध है. याचिकाकर्ता ने बताया कि टॉडगढ़ एवं कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य में 115 वन विभाग स्टाफ कार्यरत हैं जिनको मात्र 13 लाठी, 8 बॉडी प्रोटेक्टर जैकेट, 1 सर्च लाइट, 2 हेडलाइट आदि उपलब्ध कराए गए हैं. याचिकाकर्ता ने बताया कि 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 34 ट्रैप कैमरे लगा वन्य जीव गणना की गई. इसके विपरीत लगभग 1000 वर्ग किलोमीटर में फैले कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में मात्र 38 ट्रैक कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं.

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वन विभाग द्वारा आरटीआई के जवाब में खुद स्वीकार किया गया था कि वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना सटीक नहीं मानी जा सकती है. याचिकाकर्ता ने कुछ उदाहरण देकर बताया गया कि संसाधनों की कमी की वजह से गांव सेहवाज में भालू (रेस्क्यू में देरी की वजह से बच्चों पर हमला किया), काली घाटी में सांभर हिरण (रेस्क्यू में देरी की वजह से हिरन मर गया), कोटडी में पैंथर, बागोल में भालू आदि को रेस्क्यू करने के लिए उदयपुर एवं जोधपुर से रेस्क्यू टीमें बुलाई गईं जो कि लगभग आने में 12 घंटे से अधिक का समय ले लेती है. याचिकाकरता ने तेलंगाना वन विभाग का उदाहरण देकर बताया कि वहां पर स्टाफ को नवीनतम खरीद कर 2100 मोटरसाइकिल उपलब्ध कराई गई है, साथ ही साथ टेंडर जारी कर 100 थार जीप स्टाफ को उपलब्ध कराई जाएगी.

समीक्षा याचिका में माननीय मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह गौर किया कि सरकार के प्रस्तुत जवाब में ही साफ तौर से यह झलक रहा है कि कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ अभयारण्यों के सुचारू रखरखाव हेतु स्टाफ एवं संसाधनों की कमी है. आदर्श स्थिति अनुसार वन विभाग स्टाफ को समस्त संसाधन मुहिया कराए जाने चाहिए. हालांकि, राज्य की आर्थिक स्थिति एक तर्क हो सकता है, लेकिन सरकार के हर प्रयास करना चाहिए कि राज्य की (Rajasthan Forest Policy) फॉरेस्ट नीति के अनुरूप एवं याचिका में दर्शाए अनुसार स्टाफ एवं संसाधनों की कमी की पूर्ति की जाए, ताकि अभयारण्यों का सही से रखरखाव एवं संचालन हो सके.

हाईकोर्ट खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि सरकार जितनी जल्दी हो सके सारे जरूरी कदम उठा यह सुनिश्चित करे कि कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ के जंगलों में स्टाफ, संसाधन, वाहन आदि की कमी नहीं रहे. इस आदेश की एक प्रति सचिव वन विभाग को उपलब्ध कराई जाए ओर सचिव इस संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश संबंधित अधिकारियों को पारित करें. हर तीन माह पश्चात संसाधनों की कमी पूर्ति में क्या प्रगति हुई है, इसका मूल्यांकन किया जाए. एक साल पश्चात राजस्थान वन विभाग एक रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करें कि संसाधन एवं वाहनों की कमी पूर्ति हेतु क्या कदम उठा गए हैं, ताकि याचिकाकर्ता भी उसे रिपोर्ट का अभिगम कर सके. उसके बाद भी याचिकाकर्ता जरूरत अनुसार न्यायालय से वन विभाग को अन्य दिशा-निर्देश जारी करने हेतु दरख्वास्त कर सकता है. उपरोक्त निर्देशों के साथ समीक्षा याचिका निस्तारित की गई.

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