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हर दिशा, दिन के हर पहर का शगुन बताती है काक शकुनावली - Prediction on Crow craw

जोधपुर के प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान की आर्ट गैलेरी में है काक शकुनावली. ऐसा ग्रंथ जो कौओं के संदेश को समझ बूझ कर गढ़ा गया है. शगुन अपशगुन से जुड़े संकेतों को बताता है ये ग्रंथ. क्या हैं वो बातें, वो भ्रांतियां जिसक बारे में इसमें जिक्र है, जानते हैं इस रिपोर्ट में.

Prediction on Crow crawrat
Etv Bharatहर पहर का शगुन बताती काक शकुनावली
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Published : Aug 30, 2022, 1:33 PM IST

जोधपुर. भारतीय जनमानस में परंपरागत शकुन जिसे अब शगुन कहा जाने लगा है का बड़ा महत्व है (Prediction on Crow craw). परिवार में नया काम, घर में बदलाव सहित अन्य प्रमुख कामों को शुरू करने से पहले शगुन देखा जाता है. इनमें काक शकुन भी शामिल है. शगुन अपशगुन को लेकर ही शकुनावली रची गई है. जिसमें दिन के प्रहर, चारों दिशाओं के साथ काक के बोलने के अर्थ निकाले गए हैं. यह शकुनावली जोधपुर के प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में संरक्षित है. 18वीं से 19 वीं शताब्दी के मध्य रचित इस शकुनावली में देवनागरी व राजस्थानी का मिश्रण है. जिसमें शब्दों में मात्राओं कम उपयोग है. संस्थान के वरिष्ठ शोद्य अधिकारी डॉ कमल किशोर सांखला बताते हैं कि इस तरह के कई ग्रंथ यहां संरक्षित है. यह ग्रंथ 45 वर्ष पहले प्राप्त हुआ था. यह 18वीं से 19वीं शाताब्दी के मध्य का है.

दिन प्रहर दिशा का महत्व डॉ सांखला के मुताबिक संस्थान की आर्ट गैलेरी (kak shakunawali in RORI) में कई विषय के साथ साथ ज्योतिष शास्त्र से जुडे कई ग्रंथ है.ं इनमें यह शकुनवाली भी बहुत सुंदर है. काकशकुनावली के चित्रपट में काम के दिशा, स्थान, समय तथा बोली के प्रकार के अनुसार शुभाशुभ शकुन के बारे में फल दर्शाया गया है. चारों दिशाओं व आठों कोण को प्रहरण में विभक्त किया गया है. प्रत्येक प्रहरण में काक के बोलने के शुभ व अशुभ फल बताएं गए हैं. यानी की यह माना जा सकता है कि किसी समय में यह ग्रंथावली लोगों के लिए मार्गदर्शक रही होगी.

शगुन बताती है काक शकुनावली

ये भी पढ़ें-स्पेशल स्टोरी: इस गांव में रोज शाम आती है 'कौओं की बारात'

ऐसे पहचानें कांव कांव का मतलब: कौए की बोली और किस दिशा की ओर मुंह कर उसने कांव कांव किया है इसका आशय समझाती है ये ग्रंथावली. सांखला बताते हैं कि ईशान कोण की तरफ सुबह के पहले पहर में अगर कौआ कांव कांव करता है तो कल्याण का सूचक होता है, यानी की उस जगह पर निवास करने वाले को अच्छा संदेश मिलेगा शुभ सूचना मिलेगी. पूर्व दिशा में अगर सुबह के पहले पहर में बोलता है तो मन की बात सिद्ध होने का संदेश देता है. शुभ के साथ साथ अशुभ फल के बारे में भी बताया गया है. सभी प्रहर व कोण के बारे में वर्णन किया गया है.

गणित समझना जरूरी: फल प्राप्त करने की गणित भी शकुनावली में समझाई गई है. आइए समझने की कोशिश करते हैं. इसके मुताबिक अगर पूर्व दिशा में कौआ बोलता है तो उस दिशा में आप कुछ कदम गिनकर चलें. रूकने के बाद उसमें 31 जोड़ें. यानी की अगर 20 कदम चलने के बाद 31 जोड़ें तो 51 होने के बाद पांच और एक का योग छह होता है. इस संख्या में सात जोड़ते हैं तो कुल योग 13 होगा. संख्या का योग चार होगा. चार अंक से आशय होता है किसी पराए की जानकारी मिलेगी. इसी तरह से एक आने पर लाभ, दो आने पर शोक समाचार, तीन आने संतोष की प्राप्ति, पांच होनी अनहोनी और छह होने पर अग्नि का भय और सात होने पर सुख की बात होती है.

जोधपुर. भारतीय जनमानस में परंपरागत शकुन जिसे अब शगुन कहा जाने लगा है का बड़ा महत्व है (Prediction on Crow craw). परिवार में नया काम, घर में बदलाव सहित अन्य प्रमुख कामों को शुरू करने से पहले शगुन देखा जाता है. इनमें काक शकुन भी शामिल है. शगुन अपशगुन को लेकर ही शकुनावली रची गई है. जिसमें दिन के प्रहर, चारों दिशाओं के साथ काक के बोलने के अर्थ निकाले गए हैं. यह शकुनावली जोधपुर के प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में संरक्षित है. 18वीं से 19 वीं शताब्दी के मध्य रचित इस शकुनावली में देवनागरी व राजस्थानी का मिश्रण है. जिसमें शब्दों में मात्राओं कम उपयोग है. संस्थान के वरिष्ठ शोद्य अधिकारी डॉ कमल किशोर सांखला बताते हैं कि इस तरह के कई ग्रंथ यहां संरक्षित है. यह ग्रंथ 45 वर्ष पहले प्राप्त हुआ था. यह 18वीं से 19वीं शाताब्दी के मध्य का है.

दिन प्रहर दिशा का महत्व डॉ सांखला के मुताबिक संस्थान की आर्ट गैलेरी (kak shakunawali in RORI) में कई विषय के साथ साथ ज्योतिष शास्त्र से जुडे कई ग्रंथ है.ं इनमें यह शकुनवाली भी बहुत सुंदर है. काकशकुनावली के चित्रपट में काम के दिशा, स्थान, समय तथा बोली के प्रकार के अनुसार शुभाशुभ शकुन के बारे में फल दर्शाया गया है. चारों दिशाओं व आठों कोण को प्रहरण में विभक्त किया गया है. प्रत्येक प्रहरण में काक के बोलने के शुभ व अशुभ फल बताएं गए हैं. यानी की यह माना जा सकता है कि किसी समय में यह ग्रंथावली लोगों के लिए मार्गदर्शक रही होगी.

शगुन बताती है काक शकुनावली

ये भी पढ़ें-स्पेशल स्टोरी: इस गांव में रोज शाम आती है 'कौओं की बारात'

ऐसे पहचानें कांव कांव का मतलब: कौए की बोली और किस दिशा की ओर मुंह कर उसने कांव कांव किया है इसका आशय समझाती है ये ग्रंथावली. सांखला बताते हैं कि ईशान कोण की तरफ सुबह के पहले पहर में अगर कौआ कांव कांव करता है तो कल्याण का सूचक होता है, यानी की उस जगह पर निवास करने वाले को अच्छा संदेश मिलेगा शुभ सूचना मिलेगी. पूर्व दिशा में अगर सुबह के पहले पहर में बोलता है तो मन की बात सिद्ध होने का संदेश देता है. शुभ के साथ साथ अशुभ फल के बारे में भी बताया गया है. सभी प्रहर व कोण के बारे में वर्णन किया गया है.

गणित समझना जरूरी: फल प्राप्त करने की गणित भी शकुनावली में समझाई गई है. आइए समझने की कोशिश करते हैं. इसके मुताबिक अगर पूर्व दिशा में कौआ बोलता है तो उस दिशा में आप कुछ कदम गिनकर चलें. रूकने के बाद उसमें 31 जोड़ें. यानी की अगर 20 कदम चलने के बाद 31 जोड़ें तो 51 होने के बाद पांच और एक का योग छह होता है. इस संख्या में सात जोड़ते हैं तो कुल योग 13 होगा. संख्या का योग चार होगा. चार अंक से आशय होता है किसी पराए की जानकारी मिलेगी. इसी तरह से एक आने पर लाभ, दो आने पर शोक समाचार, तीन आने संतोष की प्राप्ति, पांच होनी अनहोनी और छह होने पर अग्नि का भय और सात होने पर सुख की बात होती है.

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