जोधपुर. कोरोना काल में जनजीवन पूरी तरह प्रभावित रहा. लाॅकडाउन में सरकारी से लेकर निजी दफ्तरों में कामकाज भी बंद रहा था. हालांकि, अनलाॅक के साथ ही हालात सामान्य हुए और दफ्तरों में कामकाज फिर शुरू हुआ. लेकिन, जोधपुर नगर निगम में व्यवस्था अभी पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट पाई है. लाॅकडाउन के दौरान जोधपुर नगर निगम में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम पूरी तरह से ठप हो गया. इस पर भी नगर निगम को दो भागों में बांटे जाने के बाद स्थिति और खराब हो गई. जिसके चलते काम एक ही जगह पर होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पडा.
10 से 15 दिन का लग रहा समय...
निगम में पेंडेंसी के चलते मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र के लिए 10 से 15 दिन का समय लग रहा है. जबकि, कुछ मामलों में आवेदक लंबे समय से यहां चक्कर लगा रहे हैं. प्रतिदिन जन्म और मृत्यु के 100 से 125 आवेदन आते हैं. एक काउंटर होने और सीमित कर्मचारी होने से 50 से 60 प्रमाण पत्र ही जारी होते हैं. अब एक ही भवन में दोनों नगर निगम संचालित होने से दोनों के अलग-अलग काउंटर लगाने का निर्णय हुआ है, जिससे लोगों को राहत मिलेगी. लेकिन, इन दिनों की पेंडेंसी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. महापौर वनिता सेठ के अनुसार, जब उन्होंने कार्यभार संभाला था तो उस समय 3500 प्रमाण बनने बाकी थे, जिन्हें अतिरिक्त कर्मचारी लगाकर पूरा करवाया. लेकिन, यह काम पूरा होने के दौरान फिर पेंडेंसी बढ गई.
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अब तक नहीं मिला जन्म प्रमाण पत्र...
आलम यह है कि उम्मेद अस्पताल में बाडमेर निवासी मालाराम की बेटी का जन्म हुआ था. जिसका प्रमाण नगर निगम से जारी होना है. मालाराम ने फरवरी में आवेदन किया था. मार्च में लॉकडाउन लग गया. मालाराम अब तक 10 बार आ चुका है, लेकिन जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ. इसी तरह जोधपुर निवासी अभिमन्यू अपने परिजन का मृत्यु प्रमाण लेने के लिए चक्कर काट रहा है. उनका कहना है कि बड़ी मुश्किल से शुल्क जमा हुआ, तो 10 दिन बाद प्रमाण पत्र लेने के लिए कहा है.
विभाजन बनी बड़ी परेशानी...
दरअसल, जोधपुर नगर निगम के दो भाग होने से कर्मचारियों की अदला-बदली से कामकाज प्रभावित हुआ, जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड रहा है. महापौर वनीता सेठ का कहना है कि नगर निगम उत्तर में प्रमाण पत्रों की संख्या कम है. जबकि, दक्षिण में बडे़ अस्पताल आते हैं तो बोझ बना हुआ हैं. अस्पताल से प्रमाण पत्र समय पर नहीं लेने पर नगर निगम से ही जारी होता है, जिसके चलते पेंडेंसी बढ जाती है.
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दोनों के अलग काउंटर से मिलेगी राहत...
जोधपुर निगम में तय हुआ है कि दोनों निगम उत्तर और दक्षिण के अलग-अलग काउंटर लगेंगे. यह व्यवस्था लागू होने से प्रमाण पत्र बनाने के कार्य का विभाजन होने से पेंडेसी जल्दी खत्म होगी, जिससे लोगों को राहत मिलेगी. वर्तमान में एक काउंटर पर प्रमाण के आवेदन लिए जाते हैं, जो तैयार होने के बाद अलग-अलग निगम के नाम से जारी होते हैं.
अस्पतालों में भी सुविधा...
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन की सुविधा शहर मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों मे भी है. उम्मेद और मथुरादास माथुर अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजात का प्रमाण पत्र एक माह की अवधि में वहां से जारी होता है, लेकिन इस अवधि में कोई आवेदन नहीं आता है. अस्पताल जन्म की जानकारी निगम को हस्तांतारित कर देता है. इसी तरह अस्पताल में मृत्यु होने पर संबंधित अस्पताल से ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होता है, लेकिन ज्यादातर लोग वहां लेने से चूक जाते है. इसके अलावा घर पर मृत्यु होने की स्थिति में नगर निगम से प्रमाण पत्र जारी होता है.