जोधपुर. जोधपुर के लोगों ने इस देश ही दुनिया में भी प्रसिद्धी दिलाई है. मॉनसून सीजन और बरसात की पहली बूंदों संग ही दुकानों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है (Mirchi Vada of Jodhpur). इस सीजन में मिर्ची वड़े की बिक्री दोगुनी हो जाती है. हाल ही में जब जोधपुर तरबतर था तो महज चार दिनों में यानी 27 से 30 जुलाई के बीच 7 से 8 लाख मिर्ची वड़े बिक गए अगर इसे टोटल करें तो करीब सवा से डेढ़ करोड़ की सेल हो गई. खास बात ये है कि लगातार बढ़ती महंगाई का इफेक्ट भी जोधपुराइटस के क्रेज पर ब्रेक नहीं लगा पाया (traditional Rajasthani Snack).
डेढ करोड़ के मिर्ची वड़े खा गया जोधपुर!: जोधपुर में यूं तो नमकीन की दुकानों की तादाद बेतहाशा है लेकिन 250 से 300 ऐसी दुकानें है जहां बड़ी मात्रा में मिर्ची वड़े बनते हैं और हाथों हाथ बिक भी जाते हैं. घंटाघर के पास शाही समोसे के दिपांशु अरोड़ा उत्साहित हो बताते हैं तीन दिन दोगुनी सेल हुई. अब फिर से स्थिति सामान्य हो गई है. नई सड़क स्थित पोकर स्वीट के कल्पेश बताते हैं कि सामान्यत रोजाना 700 मिर्ची वड़े बिकते हैं लेकिन गत दिनों 1400 से 1500 नग प्रतिदिन बिक्री रही. भीषण बारिश के दौरान 7 से आठ लाख मिर्ची वड़े बिक गए. जिससे करीब डेढ़ करोड़ रुपए की सेल हुई. शहर के हर क्षेत्र में एक प्रसिद्ध दुकान मिर्ची वड़े की मिल जाएगी. जहां प्रतिदिन कम से कम 500 मिर्ची वड़े की सेल होती है.
जोधपुर का वरदान: मिर्ची बड़े को जब इसके प्रशंसक जोधपुर का वरदान बताते हैं तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना रचा बसा है ये स्वाद यहां कि मिट्टी में. जो नामी गिरामी दुकानें हैं वो बरसों से सेवाएं दे रही हैं. पोकर स्वीट के कल्पेश के दादा ने शुरुआत की थी और अब वो वड़े मान से तीसरी पीढ़ी की नुमांइदगी कर रहे हैं. 80 के दशक में उनके दादाजी ने काम शुरू किया था फिर पिता ने संभाला और अब इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी इन्होंने संभाली.
कीमतों का भी असर नहीं!: खाद्य सामग्रियों के भावों में आई तेजी के साथ मिर्ची वड़े के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. एक साल में दस रुपए तक बढ़ गए. सरदारपुरा निवासी नितेश बताते हैं कि महंगाई सभी जगह हुई है मिर्ची वड़ा भी महंगा हुआ है लेकिन इसका टेस्ट नहीं बदला है. बड़े मान से कहते हैं अभी लोग खा रहे हैं ओर आगे भी खाते रहेंगे. एक मिर्ची वड़ा अपने आप में सम्पूर्ण नाश्ता है. खरीदार कहते हैं- महंगा होने के बावजूद येअभी अभी अन्य सनेक्स से सस्ता है. एक खाने से ही पेट भर सा जाता है. जोधपुर में वर्तमान में जानी मानी दुकानों पर 20 से 25 रुपए में मिर्ची वड़ा मिल रहा है. जबकि गली मोहल्लों की छोटी दुकानों पर दस से 15 पंद्रह रुपए में आसानी से मिल जाता है. सामान्यत लोग ब्रेड के साथ इसे खाना पसंद करते हैं.
व्रत में भी मिर्ची वड़ा: जोधपुर के लोगों की मिर्ची वडे के प्रति दिवानगी गजब की है. यही कारण है कि व्रत त्योहार के दिन भी लोग खाना नहीं छोड़ते है. बेसन अन्न में आता है इसलिए विशेषकर व्रत के लिए राजगीरा और सिंगाड़े के आटे के साथ मिर्ची वडा बनता है. जलजोग स्थित खत्री नमकीन के वल्लभ अरोड़ा बताते हैं कि हमारे यहां तो पूरे साल बिकता है क्योंकि सप्ताह के हर दिन लोग व्रत रखते हैं. सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग होता है. तलने के लिए कढ़ाई भी अलग रखी जाती है. प्याज का उपयोग भी नहीं होता है.
ब्राह्मण और जैन के लिए बिन प्याज के मिर्ची वड़े: जोधपुर में मिर्ची वड़ा सामान्यत प्याज का मिलता है. लेकिन शहर के ब्राह्मण और जैन समुदाय (जो ज्यादातार प्याज नहीं खाते हैं) के लोगों की खातिर अलग से बिना प्याज लहुसन का मिर्ची वड़ा बनता है. खास बात ये है कि पूरे जोधपुर में इसके साथ खाने के लिए किसी तरह की चटनी का प्रयोग नहीं होता है.
500 तेल कनस्तर, एक टन तक बेसन की खपत: भदवासिया मंडी के व्यापारी भवानी सिंह के अनुसार जोधपुर की बड़ी मिठाई नमकीन की दुकानों पर प्रतिदिन खाद्य तेल के 500 कनस्तर की खपत होती है. इसके अलावा करीब एक टन बेसन भी लगता है. यह सामान मिर्ची वड़े के अलावा अन्य नमकीन निर्माण में काम भी आता है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि जबान संग जोधपुर की अर्थव्यवस्था का भी मिर्ची वड़ा खास ख्याल रखता है (traditional Rajasthani Snack).