जोधपुर. शहर में उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद फुटपाथ और सड़कों पर बन रहे धार्मिक स्थलों को लेकर उच्च न्यायालय ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि आदेशों की परवाह किए बगैर निर्माण आज भी जारी है. न्यायालय को आश्वासन नहीं बल्कि अब एक्शन चाहिए. शहर में अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन दिनों-दिन अतिक्रमण हटने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं.
राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में रवि लोढा की अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पाली रोड पर सड़क पर बन रहे एक धार्मिक स्थल को लेकर नाराजगी जाहिर की. सुनवाई के दौरान नगर निगम उत्तर की ओर से आयुक्त रोहिताश तोमर और नगर निगम दक्षिण आयुक्त अमित यादव विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पेश हुए.
न्यायालय ने जब पूछा कि पाली-जोधपुर रोड पर पीली टंकी के पास सड़क फुटपाथ पर एक धार्मिक स्थल का निर्माण चल रहा हैय इस पर निगम के पास कोई जवाब नहीं था. उच्च न्यायालय ने असंतोष जताते हुए कहा कि साल 2007 और साल 2019 में उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सड़क या फुटपाथ पर किसी भी धर्म का धार्मिक स्थल नहीं बनाया जाएगा और यदि बनाया जाता है तो उसको तोड़ने के निर्देश दिए गए, लेकिन सरकारी एजेंसी ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है.
हर बार न्यायालय के समक्ष केवल शपथ पत्र पेश कर आश्वासन दिया जाता है, जबकि कारवाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है. उच्च न्यायालय के आदेशों पर कारवाई नही होती है. ऐसे में अब तो अवमानना याचिका चल रही है. उसके भी यही हाल है. ऐसे काम नहीं चलेगा अब एक्शन लेने का समय ना कि आश्वासन का है. दोनों आयुक्तों ने न्यायालय को आश्वस्त किया है कि अब आगे ऐसा नहीं होगा. न्यायालय ने इस मामले में 15 दिसम्बर 2020 को अगली सुनवाई पर दोनों आयुक्तों को दोबारा हाजिर रहने के निर्देश जारी किए है.
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल ने पक्ष रखा. वहीं निगम की ओर से अधिवक्ता राजेश पंवार, एनएचएआई की अधिवक्ता अंकुर माथुर और जेडीए की ओर से अधिवक्ता मनोज भंडारी मौजूद रहे. वहीं याचिकाकर्ता रवि लोढा की ओर से अधिवक्ता अशोक छंगानी ने पक्ष रखते हुए बताया कि न्यायालय के आदेशो की पालना नहीं हो रही है. 04 नवम्बर 2019 के आदेश में स्पष्ट रूप से जोधपुर शहर से अतिक्रमणों को हटाने के लिए कहा था, लेकिन अतिक्रमण हटाने की बजाय दिनों-दिन बढ़ते जा रहे है.
वहीं शहर का मास्टर ट्रॉफिक प्लान तीन माह में पूरा करना था, लेकिन एक साल बाद भी अभी तक केवल आश्वासन दिया जा रहा है. वहीं जोधपुर रिंग रोड को लेकर भी सुनवाई के दौरान कहा गया कि एकलपीठ में चल रहे मामले में जल्द सुनवाई के साथ पक्ष रखा जाए. जिससे रिंग रोड का निर्माण पूरा हो सके.
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की बैठक आयोजित
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेटस एसोसिएशन की बैठक शुक्रवार को अध्यक्ष रणजीत जोशी की अध्यक्षता में आयोजित की गई. जिसमें राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की सर्किट बैंच को जोधपुर में स्थाई बैंच के रूप में स्थापित करने की मांग उठी. बैठक में अध्यक्ष जोशी ने जानकारी दी की आयोग कि सर्किट बैंच जोधपुर की बैठक के संबंध में आयोग ने पूर्व में जारी आदेशों की निरन्तरता में अवधि का विस्तार करते हुए अब जोधपुर मुख्यालय पर प्रत्येके माह के द्वितीय और तृतीय सप्ताह जोधपुर मुख्यालय पर आयोजित होगी.
इसको लेकर अधिवक्ताओं ने हर्ष जताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है. एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री गहलोत को एक प्रतिवेदन प्रेषित किया गया और मुख्यमंत्री से मांग की है कि जोधपुर राज्य की न्यायिक राजधानी हैं और राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्यपीठ जोधपुर में स्थापित हैं. साथ ही जोधपुर में लगभग सभी अधिकरण की पीठे स्थापित हैं. जिससे मुवकिलों को सस्ता और सुलभ न्याय प्राप्त होता है.
वर्तमान में जोधपुर में जिला उपभोक्ता मंच की अस्थाई पीठ प्रतिमाह दो सप्ताह हेतु कार्यरत हैं, लेकिन जोधपुर संभाग का न्याय क्षैत्र विस्तृत होने से दो सप्ताह में सभी मामलों का निस्तारण नहीं हो पाता है. जिससे मुवकिलों को शीघ्र न्याय प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती हैं. राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में भी उल्लेखित हैं कि जोधपुर में सभी अधिकरणों की स्थाई पीठ स्थापित की जाए और इस संबंध में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने दिनांक 30.7.2015 के पत्र द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय को सैद्धातिक सहमित प्रदान की थी.
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आदेश की पालना में राज्य सरकार ने दिनांक 17.03.2016 को अधिसूचना जारी कर जोधपुर और उदयपुर हेतु सर्किट बैंच की कार्यअवधि सप्ताह से बढ़ाकर पाक्षिक कर दी गई हैं. जोधपुर में राज्य उपभोक्ता मंच के मामलों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए यह उचित हैं कि राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की स्थाई पीठ जोधपुर में स्थापित होनी चाहिए. जिससे पश्चिम राजस्थान की गरीब जनता को सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान किया जा सके. जोधपुर संभाग जिसमें जोधपुर, बाडमेर, पाली, जालोर, जैंसलमेर आदि जिलें आते हैं और राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की बेंच जो कि दो सप्ताह कार्यरत हैं, उनकों स्थाई पीठ कर दी जाए तो राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के मामलों का भी त्वरित रूप से निस्तारण हो सके.