जोधपुर. पाक विस्थापितों को भारत में नागरिकता देने के लिए कानून पारित करने वाली केंद्र सरकार एक ओर तो हिमायती बनने का दावा करती है. वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान में रहने वाले तीन बच्चों को भारत में NEET की परीक्षा देने से भी महरूम कर रही है. भारत में अच्छी शिक्षा पाने का सपना संजोए पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मोहम्मद यूसफ गांव निवासी हकीममल भील के बेटे महेश, बेटी अमिता और पुष्पा ने नीट परीक्षा के लिए फॉर्म भरे थे.
12वीं पास करने के बाद डॉक्टर बनने के लिए तीनों बच्चों ने नीट परीक्षा के लिए NRI कोटे से आवेदन किया था. जिसके लिए जोधपुर में रह रहे उनके रिश्तेदारों ने औपचारिकताएं भी पूरी कर दी थी. 28 अगस्त को परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र अपलोड हुए, तो तीनों को जोधपुर में ही अलग-अलग सेंटर आवंटित कर दिया गया.
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लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान समय में सभी यातायात सेवाएं बंद हैं. सिर्फ वाघा बॉर्डर से ही पैदल आना जाना संभव है. बच्चों ने पिता के साथ इस्लामाबाद दूतावास जाकर वीजा के लिए संपर्क किया. दूतावास के अधिकारियों ने दस्तावेज जमा करने के बाद उन्हें वहीं रुकने का कहा. जहां हकीममल और तीनों बच्चों का कोविड टेस्ट भी करवाया गया, जो नेगेटिव आया.
लेकिन लेकिन शुक्रवार शाम को दूतावास के अधिकारियों ने कह दिया कि वर्तमान स्थिति में उनके लिए वीजा जारी नहीं हो सकता, और ये कहकर दस्तावेज वापस लौटा दिए. हकीममल और उसके बच्चों ने कहा कि हमें वाघा से पैदल भिजवा दें. जिस पर अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार ने वीजा नहीं देने का निर्णय लिया है. इसमें हम कुछ नहीं कर सकते.
इधर, जोधपुर में बच्चों के मामा रायचंद जो खुद पेट की बीमारी से ग्रसित है, वे लगातार प्रयास कर रहे हैं कि बच्चों को परीक्षा के लिए आने की अनुमति मिल जाए. इसके लिए वे हाईकोर्ट भी जाने की तैयारी कर रहे है. रायचंद ने बताया कि 13 सितंबर को परीक्षा है. ऐसे में अभी भी उनके पास समय है. उन्होंने कहा कि हमारा भारत सरकार से निवेदन है कि तीन बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए वीजा जारी करे.
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पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाली संस्था निमिकेत्तम के भागचंद भील का कहना है कि बच्चों को दूतावास ने मना कर दिया है. लेकिन हम प्रयासरत हैं कि सरकार वीजा जारी कर दे. पाक विस्थापित लक्ष्मण का कहना है कि भारत सरकार को बच्चों का साथ देना चाहिए. महेश और उसकी बहनों के लिए परीक्षा के प्रवेश पत्र जारी होने से कई पाक विस्थापित खुश थे. उनका मानना था कि अगर यह सिलसिला शुरू हो जाता है, तो हमारे बच्चे अच्छे से पढ़ सकेंगे.
ईटीवी भारत ने वीडियो कॉल के जरिए पाकिस्तान में रह रहे महेश से बात की. महेश ने अपने परिवार के साथ इस्लामाबाद से घर लौट रहा था. उसने बताया कि वे अभी उम्मीद लगाए हुए हैं कि उन्हें जल्द इस्लामाबाद बुला लिया जाए. महेश के पिता हकीममल ने कहा कि सरकार को हमारी सुननी चाहिए.