जोधपुर. जिले के गांवो में घर-घर मातम है. भावी समेत 5 गांवों में 28 दिन में 50 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. अब ग्रामीणों ने भी सरकार और प्रशासन से उम्मीद छोड़ दी है. कोरोना से जंग भगवान भरोसे है.
सीएम अशोक गहलोत के गृहजिले जोधपुर के गांवों भावी, बिजासनी, जेतिवास, पिचीयाक और जेलवा में 50 मौतें हो चुकी हैं. अधिकतर युवाओं की मौत हुई है. ग्रामीणों में दशहत है. आस पास के सभी गांवों में मौत का आंकड़ा सौ से पार चला गया. ऐसे में ग्रामीणों का सरकार - प्रशासन से भरोसा उठ तक उठ गया.
लोगों का कहना है कि यहां प्रशासन सक्रिय नहीं है. इसी का परिणाम है कि यहां कोरोना का संक्रमण तेज गति से फैला. भावी गांव पाली सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी का पैतृक गांव भी है. यहां लोग अब दिन भर हवन कर भगवान से इस महामारी से निजात दिलाने की गुहार कर रहे हैं.
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बिलाड़ा में ऑनलाइन महामृत्युंजय जाप का सीधा प्रसारण भी किया गया. ग्रामीणों का कहना है कि श्मशान में एक चिता ठंडी नहीं होती, उससे पहले ही दूसरी अर्थी आ जाती है. ये दर्दनाक मंजर अकेले भावी गांव का नहीं है. बल्कि जोधपुर जिले के झाक, पीपाड़, बिलाड़ा, रणसीगांव, खेजडलाचिरडाणी, औसियां, भोपालगढ़ जैसे कई गांवों का भी है.
गांवों में दिन की शुरुआत प्रार्थना से होती है और शाम तक किसी न किसी घर में चीख-पुकार उठती है. उधर, पीपाड़ के जिला अस्पताल में भी कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन भामाशाहों के भरोसे है. डिमांड रोज 40 सिलेंडर की है जबकि 20 ही मिल रहे हैं. भामाशाहों ने ही ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर दान किए हैं.
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भावी गांव में करीब 12 हजार की आबादी है. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ आयुर्वेद अस्पताल भी है. लेकिन यहां चिकित्सक नहीं हैं. यह अस्पताल केवल नर्सिंग कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है. सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. अब लोग सरकार प्रशासन से गुहार लगाकर थक गए हैं. भगवान पर भरोसा कायम है.
भावी गांव में एक घर में कोरोना से मुखिया की मौत हो गई. परिवार से बात की तो उनका दर्द फूट पड़ा. मृतक की पत्नी ने कहा कि सरकार पर से तो अब भरोसा उठ गया. अगर अब भी सरकार कुछ करे तो वह आगे का जीवन बसर कर पाएगी. घर में कमाने वाला एक ही सदस्य था. चार छोटी बच्चियों का लालन-पालन अब महिला के कंधों पर आ गया है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि सरकार से गुहार लगाए या वो भी भगवान भरोसे जी ले.