जोधपुर. धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों को बिना किसी औपचारिकता के भारत की नागरिकता देने का संशोधन पास हो गया. नागरिक संशोधन लोकसभा में लंबी बहस के बाद सोमवार देर रात पारित हो गया.
हालांकि इस बिल को अभी राज्यसभा में पास होना है, लेकिन पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत में शरणार्थी बनकर आए पाक विस्थापित हिन्दू जो कि बरसों से नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं, वे बेहद खुश हैं. उनकी खुशी का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि जोधपुर शहर की चौकी क्षेत्र जहां सैकड़ों की संख्या में पाक विस्थापित हिंदू रहते हैं, उन्होंने सोमवार की रात लोकसभा में बिल पास होने के बाद पटाखे फोड़कर खुशियां जाहिर की.
उनका कहना था कि भले ही अभी समय लगेगा, लेकिन सरकार ने जिस तरह हमारे हालात देखकर नागरिकता देने के लिए कदम बढ़ाए हैं, उनसे उम्मीद है कि हमें जल्दी नागरिकता मिलेगी. सरकार नागरिकता संशोधन बिल में परिवर्तन कर 6 साल से भारत में रह रहे हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी और बौद्ध धर्म के अनुयाई जो कि धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर आए हैं, उन्हें नागरिकता देना चाहती. इसके लिए किसी तरह के दस्तावेजों की भी आवश्यकता नहीं होगी.
पढ़ेंः जोधपुरः ओसियां में 500 ग्राम अवैध अफीम के साथ एक गिरफ्तार
वर्तमान में भारत में रहने वाले विस्थापितों को नागरिकता के लिए यह बताना होता है कि उनके माता या पिता किसी का भी जन्म भारत में स्वतंत्रता से पहले हुआ हो, इसके अलावा 11 साल और 7 साल से भारत मे रहने पर नागरिकता दी जाती है. इसके लिए भी कई दस्तावेजों की औपचारिकता और भारी भरकम शुल्क जमा करवाना होता है. बिना नागरिकता के बरसों से जोधपुर और पश्चिम राजस्थान के हिस्सों में रहने वाले पाक विस्थापितों को अपने परिवार का पालन पोषण करने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने बताया कि बिना पहचान के काम मिलने में परेशानी होती है, तो वहीं, बच्चों को स्कूलों में दाखिले नहीं मिलते हैं. उच्च शिक्षा की तो बात ही नहीं की जा सकती. लेकिन अब सरकार अगर नागरिकता देती है तो 15 से 18 हजार विस्थापित भी एक आम भारतीय की तरह अपना जीवन यापन कर सकेंगे.