जोधपुर. प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा में भामाशाह योजना के संचालन को लेकर जांच करवाने की घोषणा का असर सामने आने लगा है. शुक्रवार को जोधपुर के पाल रोड स्थित एक छोटे से कैंसर क्लीनिक पर संयुक्त निदेशक की अगुआई में एनएचएम की टीम ने छापा मारा.
हालांकि छापे की भनक लगने से पहले ही क्लीनिक संचालक और डॉक्टर बंद कर गायब हो गए. टीम ने क्लीनिक के मेडिकल स्टोर संचालक को बुलाकर खुलवाया और तलाश शुरू कर दी. जोधपुर संभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. युद्धवीर सिंह राठौड़ ने बताया कि जयपुर से जारी एक आदेश के आधार पर उनकी अगुवाई में एक जांच कमेटी बनाई गई है, जिसने पारा कैंसर क्लीनिक पर शुक्रवार से जांच शुरू की है. उन्होंने बताया कि इस डे-केयर कैंसर क्लीनिक के संचालक ने डेढ़ साल में 7 हजार मरीजों का उपचार कर भामाशाह योजना के तहत 13 करोड़ रुपए का क्लेम उठाया है. इसमें कई तरह की गड़बड़ियां होने की संभावना है, जिसकी शिकायत होने पर जयपुर से जांच के आदेश प्राप्त हुए हैं.
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उन्होंने बताया कि अभी तक इस क्लिप में उपचार प्राप्त करने वाले कई मरीजों से भी बात की है. इसके अलावा यह भी सामने आया है कि मथुरादास माथुर और एम्स जैसे अस्पतालों से भी यहां मरीजों को रेफर किया गया है, जिससे लगता है की मिलीभगत से क्लीनिक संचालक को फायदा पहुंचाया गया है. इसके अलावा भामाशाह योजना का संचालन करने वाली इंश्योरेंस कंपनी की भी मिलीभगत भी हो सकती है.
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अन्य अस्पतालों के मुकाबले खारिज क्लेम की संख्या नगण्य
संयुक्त निदेशक ने बताया कि भामाशाह योजना का संचालन करने वाली कंपनी अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों के क्लेम के दावों को जिस तरीके से खारिज करती है. उसके अनुपात में क्लीनिक के दावों को बहुत कम खारिज किया गया है. 7 हजार दावों में सिर्फ 90 मामले ही खारिज किए गए हैं, जिससे लगता है कि कहीं न कहीं बड़े स्तर पर मिलीभगत है.