जोधपुर. प्रदेश सहित देशभर में कोविड-19 महामारी का प्रकोप चल रहा है, बावजूद इसके सरकार भेदभाव बरत रही है. जिसको लेकर अब राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई है. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है.
यूनीवाइजर माइक्रोडेवलपमेंट फाउंडेशन और अन्य की ओर से अधिवक्ता फाल्गुन बुच और प्रतीक गटानी ने याचिका पेश करते हुए आईजीएसटी को चुनौती दी है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता संस्थान की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि देशभर में कोविड-19 महामारी का प्रकोप है. ऐसे में देश में निर्मित उपकरण की कमी के चलते न तो ऑक्सीजन मशीने पर्याप्त है और न ही मेडिसीन. ऐसे में भामाशाहों की ओर से राशि एकत्र कर विदेशों से ऑक्सीजन मशीन सहित अन्य उपकरण और दवाए मंगवाई जा रही है और देश के अस्पतालों में भेट की जा रही है.
विदेशों से आयात करने पर सरकार की ओर से 12 प्रतिशत आईजीएसटी जोड़ा जा रहा है. आईजीएसटी को यदि हटाया जाए, तो इस राशि से और अधिक उपकरणो की खरीद हो सकती है, जो कि देश के अस्पतालों के काम आएंगी. लेकिन सरकार फ्री नहीं कर रही है. सरकार उन मशीनों और उपकरणो को ही फ्री कर रही है, जो विदेश में रहने वाले लोगो एवं संस्थाओं की ओर से डोनेट की जा रही है, जबकि भारतीय नागरिकों और भामाशाहो की ओर से खरीद की जाए, तो आईजीएसटी देना पड़ता है.
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यह भेदभाव आखिर क्यो हो रहा है, जबकि वे उपकरण और दवाएं भारत में ही मरीजों के काम आएंगी. किसी के व्यक्तिगत हित के लिए नहीं है. उच्च न्यायालय ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी करते हुए 24 मई को जवाब तलब किया है. केन्द्र सरकार की ओर से अधिवक्ता राजवेन्द्र सारस्वत ने नोटिस स्वीकार किए है.