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दिव्यांग प्रमाण पत्र रद्द करने पर आयोग हुआ सख्त, डॉक्टर को बुलाकर पूछा- किसने दिया अधिकार? - cancellation of Divyang certificate

जोधपुर मानवाधिकार आयोग की गुरुवार को जोधपुर में पूर्ण पीठ की जनसुनवाई का आयोजन हुआ. कलेक्टर सभागार में आयोजित इस जनसुनवाई में कई विभागों के मामले आए. पीड़ितों ने फरियाद लगाई तो आयोग ने तुरंत निर्देश भी जारी किए. इस दौरान नरपत चंद नामक व्यक्ति द्वारा भी फरियाद लगाई गई कि उसके पुत्र को दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है.

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दिव्यांग प्रमाण पत्र रद्द करने पर आयोग हुआ सख्त
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Published : Mar 4, 2021, 8:28 PM IST

जोधपुर. मथुरा दास माथुर अस्पताल के डॉक्टर दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी नहीं करने का मामले में रोड़ा बने हुए हैं. उन्होंने साल 2003 में जारी प्रमाण पत्र को भी निरस्त कर दिया है. जबकि एम्स और बीकानेर मेडिकल कॉलेज के बोर्ड ने भी बच्चे को दिव्यांग माना है. इस पर जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास बेहद नाराज हुए. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, ऐसा कैसे कर सकते हैं आप लोग?

दिव्यांग प्रमाण पत्र रद्द करने पर आयोग हुआ सख्त

उन्होंने कहा कि पहले प्रमाण पत्र भी तो किसी अथॉरिटी ने ही जारी किया था. कुछ देर तक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गुलजारी लाल मीणा ने जवाब दिए. लेकिन जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास नाराज होते गए, अंतत: उन्होंने यह तक कह दिया कि ऐसे डॉक्टर को हटाइए, क्या कोई दूसरा और सीनियर डॉक्टर नहीं है. फिर उन्होंने कहा कि है कि उस डॉक्टर बुलाया जाए. कुछ देर बाद विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत अग्रवाल आयोग के सामने पेश हुए, उन्हें आयोग के सामने बैठाया गया. उसके बाद जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने पूछा, आपके पास क्या अधिकार है, जो आपने बनाया हुआ प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया. क्या आपके पास कोई ऐसा आदेश है या आपको अथॉरिटी दी गई है?

यह भी पढ़ें: बड़ी खबर: हज पर जाने वाले यात्रियों के लिए Corona Vaccine का टीका लगवाना जरूरी

इस पर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पेशेंट दोबारा प्रमाण पत्र बनवाने आया था तो आयोग अध्यक्ष ने कहा कि अगर वह रिप्लाई करके आया है तो आप लिखते कि पहले बन चुका है. और आप इसके लिए अधिकृत नहीं हैं. लेकिन आपने बना हुआ प्रमाण पत्र निरस्त क्यों किया? करीब 15 मिनट तक डॉ. अग्रवाल आयोग अध्यक्ष के बीच सवाल-जबाव होते रहे. आयोग अध्यक्ष ने कहा कि आपने एम्स का सर्टिफिकेट भी नहीं माना. बीकानेर से आया सर्टिफिकेट भी नहीं माना. अंत में आयोग ने यहा तक कहा कि हम इस मामले में अब आदेश पारित करेंगे.

यह भी पढ़ें: जयपुर में आईपीएल के आयोजन को लेकर आरसीए ने लिखा बीसीसीआई को पत्र

इधर, पीड़ित के पिता जो कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में एडिशनल एसपी हैं. नरपत चंद ने कहा कि डॉक्टरों की मिलीभगत से उनके बेटे के साथ यह अत्याचार हो रहा है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल इसमें मिले हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अब ऑनलाइन दिव्यांग प्रमाणपत्र की आवश्यकता रहती है, वापस आवदेन किया. लेकिन डॉक्टरों ने इसके लिए रुपए मांगे. नहीं देने पर प्रमाण पत्र रद्द कर दिया. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने आयोग को आश्वस्त किया कि वह जल्दी प्रमाण पत्र जारी करवाएंगे और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे.

जोधपुर. मथुरा दास माथुर अस्पताल के डॉक्टर दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी नहीं करने का मामले में रोड़ा बने हुए हैं. उन्होंने साल 2003 में जारी प्रमाण पत्र को भी निरस्त कर दिया है. जबकि एम्स और बीकानेर मेडिकल कॉलेज के बोर्ड ने भी बच्चे को दिव्यांग माना है. इस पर जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास बेहद नाराज हुए. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, ऐसा कैसे कर सकते हैं आप लोग?

दिव्यांग प्रमाण पत्र रद्द करने पर आयोग हुआ सख्त

उन्होंने कहा कि पहले प्रमाण पत्र भी तो किसी अथॉरिटी ने ही जारी किया था. कुछ देर तक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गुलजारी लाल मीणा ने जवाब दिए. लेकिन जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास नाराज होते गए, अंतत: उन्होंने यह तक कह दिया कि ऐसे डॉक्टर को हटाइए, क्या कोई दूसरा और सीनियर डॉक्टर नहीं है. फिर उन्होंने कहा कि है कि उस डॉक्टर बुलाया जाए. कुछ देर बाद विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत अग्रवाल आयोग के सामने पेश हुए, उन्हें आयोग के सामने बैठाया गया. उसके बाद जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने पूछा, आपके पास क्या अधिकार है, जो आपने बनाया हुआ प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया. क्या आपके पास कोई ऐसा आदेश है या आपको अथॉरिटी दी गई है?

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इस पर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पेशेंट दोबारा प्रमाण पत्र बनवाने आया था तो आयोग अध्यक्ष ने कहा कि अगर वह रिप्लाई करके आया है तो आप लिखते कि पहले बन चुका है. और आप इसके लिए अधिकृत नहीं हैं. लेकिन आपने बना हुआ प्रमाण पत्र निरस्त क्यों किया? करीब 15 मिनट तक डॉ. अग्रवाल आयोग अध्यक्ष के बीच सवाल-जबाव होते रहे. आयोग अध्यक्ष ने कहा कि आपने एम्स का सर्टिफिकेट भी नहीं माना. बीकानेर से आया सर्टिफिकेट भी नहीं माना. अंत में आयोग ने यहा तक कहा कि हम इस मामले में अब आदेश पारित करेंगे.

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इधर, पीड़ित के पिता जो कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में एडिशनल एसपी हैं. नरपत चंद ने कहा कि डॉक्टरों की मिलीभगत से उनके बेटे के साथ यह अत्याचार हो रहा है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल इसमें मिले हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अब ऑनलाइन दिव्यांग प्रमाणपत्र की आवश्यकता रहती है, वापस आवदेन किया. लेकिन डॉक्टरों ने इसके लिए रुपए मांगे. नहीं देने पर प्रमाण पत्र रद्द कर दिया. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने आयोग को आश्वस्त किया कि वह जल्दी प्रमाण पत्र जारी करवाएंगे और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे.

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