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भूतेश्वर वन खंड से हटाएं अतिक्रमण, सरिस्का क्षेत्र में बिना अनुमति खनन की मंजूरी देने को लेकर कोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Oct 18, 2022, 9:08 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर के वन विभाग की भूमि में मौजूद भूतेश्वर वन खंड से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए (Order to remove encroachment from forest land) हैं. साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में अनुपालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है. इसके अलावा सरिस्का अभ्यारण्य के 10 किमी के दायरे में बिना अनुमति वाणिज्यिक खनन की मंजूरी देने के मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

High Court orders to remove encroachment in forest land, asked reply in commercial mining in Sariska
भूतेश्वर वन खंड से हटाएं अतिक्रमण, सरिस्का क्षेत्र में बिना अनुमति खनन की मंजूरी देने को लेकर कोर्ट ने मांगा जवाब

जोधपुर/जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर शहर के आसपास वन विभाग की भूमि में स्थित भूतेश्वर वन खंड क्षेत्र में संयुक्त कारवाई करते हुए अतिक्रमण हटाकर अनुपालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए (Encroachment in Bhuteshwar forest in Jodhpur) हैं. वहीं हाईकोर्ट ने सरिस्का अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से अनुमति लिए बिना वाणिज्यिक खनन की मंजूरी देने से जुड़े मामले में संबंधित विभागों के जिम्मेदारों से जवाब देने को कहा है.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष अतिक्रमण मामले की सुनवाई के दौरान जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता और पुलिस कमिश्नर रवि दत्त गौड़ भी मौजूद रहे. याचिकाकर्ता रामजी व्यास की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि आदेश की पालना अभी तक नहीं हुई है. वहीं 10 अक्टूबर को दिए आदेशानुसार दोनों ही अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहे.

पढ़ें: वन भूमि पर पट्टा जारी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी दें-एनजीटी

वरिष्ठ अधिवक्ता व एएजी संदीप शाह ने वन विभाग, एएजी सुनील बेनीवाल ने राजस्व विभाग और एएजी पंकज शर्मा ने पीएचईडी की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि 10 अक्टूबर के आदेश की पालना में सभी विभागों के अधिकारियों की बैठक आयोजित हुई. जिसमें आम सहमति के साथ वन विभाग की पूरी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्णय लिया गया. लगभग 1900 हेक्टेयर भूमि है जिसमें समय-समय पर विभिन्न परिपत्रों को आवंटित किया गया था.

इसमें से लगभग 1000 हेक्टेयर भूमि राजस्व रिकार्ड में दर्ज हो गई है. शेष भूमि के लिए सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि उसे अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए. जिसके लिए प्रथम चरण की कार्ययोजना बनाई गई है. इसकी संभावित तारीख 30 व 31 अक्टूबर 2022 निर्धारित की गई है. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में वन विभाग सहित संबंधित विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, पीएचईडी और जोधपुर डिस्कॉम शामिल होंगे. कोर्ट ने कहा कि 14 नवंबर को अगली सुनवाई पर अतिक्रमण हटाकर अनुपालना रिपोर्ट पेश की जाए तथा दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी है.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने वन भूमि को चिह्नित कर राजस्व रिकॉर्ड में एंट्री करने को कहा, टाइगर रिजर्व को लेकर न्यायमित्र नियुक्त

बिना अनुमति वाणिज्यिक खनन की मंजूरी पर मांगा जवाब: राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर ने सरिस्का अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से अनुमति लिए बिना वाणिज्यिक खनन की मंजूरी देने से जुड़े मामले में (commercial mining surrounding Sariska) राज्य के खान व पेट्रोलियम सचिव, प्रमुख पर्यावरण सचिव, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव व चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश रामस्वरूप जांगिड़ की जनहित याचिका पर दिए.

पढ़ें: Rajasthan High Court: वन भूमि में खनन की अनुमति देने पर मांगा सरकार से जवाब

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 25 अगस्त व 9 सितंबर को आदेश जारी कर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे राष्ट्रीय अभ्यारण्य के 10 किमी के दायरे में एनबीडब्ल्यूएल की अलग से स्वीकृति लिए बिना खानों के संचालन यानी सीटीओ के नवीनीकरण की कार्रवाई करें. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गोवा फाउंडेशन बनाम केन्द्र सरकार के मामले में कहा है कि राष्ट्रीय वन्य जीव अभ्यारण्य के 10 किमी के दायरे में माइनिंग करने के लिए एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति लेना जरूरी है.

ऐसे में राज्य सरकार द्वारा बिना एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति लिए अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन कार्य की मंजूरी देना गलत व सुप्रीम कोर्ट आदेशों का उल्लंघन है. इसलिए बिना एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति के खान संचालन करने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जोधपुर/जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर शहर के आसपास वन विभाग की भूमि में स्थित भूतेश्वर वन खंड क्षेत्र में संयुक्त कारवाई करते हुए अतिक्रमण हटाकर अनुपालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए (Encroachment in Bhuteshwar forest in Jodhpur) हैं. वहीं हाईकोर्ट ने सरिस्का अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से अनुमति लिए बिना वाणिज्यिक खनन की मंजूरी देने से जुड़े मामले में संबंधित विभागों के जिम्मेदारों से जवाब देने को कहा है.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष अतिक्रमण मामले की सुनवाई के दौरान जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता और पुलिस कमिश्नर रवि दत्त गौड़ भी मौजूद रहे. याचिकाकर्ता रामजी व्यास की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि आदेश की पालना अभी तक नहीं हुई है. वहीं 10 अक्टूबर को दिए आदेशानुसार दोनों ही अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहे.

पढ़ें: वन भूमि पर पट्टा जारी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी दें-एनजीटी

वरिष्ठ अधिवक्ता व एएजी संदीप शाह ने वन विभाग, एएजी सुनील बेनीवाल ने राजस्व विभाग और एएजी पंकज शर्मा ने पीएचईडी की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि 10 अक्टूबर के आदेश की पालना में सभी विभागों के अधिकारियों की बैठक आयोजित हुई. जिसमें आम सहमति के साथ वन विभाग की पूरी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्णय लिया गया. लगभग 1900 हेक्टेयर भूमि है जिसमें समय-समय पर विभिन्न परिपत्रों को आवंटित किया गया था.

इसमें से लगभग 1000 हेक्टेयर भूमि राजस्व रिकार्ड में दर्ज हो गई है. शेष भूमि के लिए सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि उसे अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए. जिसके लिए प्रथम चरण की कार्ययोजना बनाई गई है. इसकी संभावित तारीख 30 व 31 अक्टूबर 2022 निर्धारित की गई है. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में वन विभाग सहित संबंधित विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, पीएचईडी और जोधपुर डिस्कॉम शामिल होंगे. कोर्ट ने कहा कि 14 नवंबर को अगली सुनवाई पर अतिक्रमण हटाकर अनुपालना रिपोर्ट पेश की जाए तथा दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी है.

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बिना अनुमति वाणिज्यिक खनन की मंजूरी पर मांगा जवाब: राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर ने सरिस्का अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से अनुमति लिए बिना वाणिज्यिक खनन की मंजूरी देने से जुड़े मामले में (commercial mining surrounding Sariska) राज्य के खान व पेट्रोलियम सचिव, प्रमुख पर्यावरण सचिव, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव व चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश रामस्वरूप जांगिड़ की जनहित याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 25 अगस्त व 9 सितंबर को आदेश जारी कर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे राष्ट्रीय अभ्यारण्य के 10 किमी के दायरे में एनबीडब्ल्यूएल की अलग से स्वीकृति लिए बिना खानों के संचालन यानी सीटीओ के नवीनीकरण की कार्रवाई करें. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गोवा फाउंडेशन बनाम केन्द्र सरकार के मामले में कहा है कि राष्ट्रीय वन्य जीव अभ्यारण्य के 10 किमी के दायरे में माइनिंग करने के लिए एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति लेना जरूरी है.

ऐसे में राज्य सरकार द्वारा बिना एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति लिए अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन कार्य की मंजूरी देना गलत व सुप्रीम कोर्ट आदेशों का उल्लंघन है. इसलिए बिना एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति के खान संचालन करने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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