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हाईकोर्ट ने जोधपुर एम्स में नर्सिंग ऑफिसर वर्ग के 5 पद खाली रखने के दिए निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए जोधपुर एम्स में नर्सिंग ऑफिसर वर्ग के 5 पद खाली रखने के निर्देश दिए हैं. वेकेशन कोर्ट ने अप्रार्थी ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब तलब किया है. याचिका में कहा गया कि एम्स द्वारा 18 मार्च 2020 को जारी नर्सिंग ऑफिसर्स अर्थात स्टाफ नर्स-ग्रेड द्वितीय भर्ती परीक्षा में मेरिट में आ जाने के बावजूद नियुक्ति नहीं दी गई.

High court directs to AIIMS Jodhpur, jodhpur news, हाई कोर्ट ने एम्स जोधपुर को दिया निर्रेश
हाई कोर्ट ने एम्स जोधपुर को दिए निर्देश
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Published : Jun 25, 2020, 3:36 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के वेकेशन जज रामेश्वर व्यास ने बुधवार को अप्रार्थी ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ साइंस द्वारा 18 मार्च 2020 को जारी नर्सिंग ऑफिसर्स अर्थात स्टाफ नर्स-ग्रेड द्वितीय भर्ती से सम्बंधित एक मामले में याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने स्टे एप्लीकेशन जारी करते हुए सात दिन में जवाब तलब करने के निर्देश दिए हैं. वहीं कोर्ट ने अप्रार्थी एम्स जोधपुर को नर्सिंग ऑफिसर्स वर्ग के 5 पद खाली रखने के भी अंतरिम आदेश दिए हैं.

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याचिकाकर्ता लाखन सिंह और अन्य की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता डॉ. नुपुर भाटी ने कहा कि, याचिकाकर्ताओं ने एम्स की ओर से 18 मार्च 2020 को जारी भर्ती सूचना के तहत नर्सिंग ग्रेड द्वितीय की भर्ती के लिए परीक्षा दी थी. याचिकाकर्ताओं के मेरिट में आ जाने के बावजूद यह कहते हुए उनको नियुक्तियां नहीं दी गयी कि, उनको परीक्षा में अस्थायी-प्रोविजनल रूप से इस शर्त पर प्रवेश दिया गया था. वे अपना इंडियन नर्सिंग काउंसिल में पंजियन का प्रमाण पत्र पेश करेंगे. लेकिन ऐसा प्रमाण पत्र पेश नहीं किए जाने के आधार पर याचिकाकर्ताओं को अयोग्य ठहराया गया है.

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अधिवक्ता डॉ. भाटी ने कहा कि, याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान में नर्सिंग कोर्स किया है. उनके पास राजस्थान नर्सिंग काउंसिल का प्रमाण पत्र है. अप्रार्थी एम्स की ओर से राजस्थान, एमपी, ओड़िसा और अन्य राज्यों में स्थित एम्स में भर्ती के लिए जारी ज्ञापन में आवेदनकर्ताओं को आईएनसी/ आरएनसी जैसे पंजीकरण होना आवश्यक कहा गया था. एमपी, भोपाल, रायपुर आदि में वहां के स्थानीय पंजीकरण के आधार पर नियुक्तियां दी गयी है, तो जोधपुर में आईएनसी आवश्यक क्यों है. यहां के स्थानीय आवेदनकर्ता आईएनसी का पंजीकरण कहां से लाएंगे. इस पर कोर्ट ने याचिका के साथ ही स्टे एप्लीकेशन का नोटिस जारी करने के साथ ही नर्सिंग ऑफिसर वर्ग के 5 पद खाली रखने के अंतरिम आदेश जारी करते हुए एक सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवाई नियत की.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के वेकेशन जज रामेश्वर व्यास ने बुधवार को अप्रार्थी ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ साइंस द्वारा 18 मार्च 2020 को जारी नर्सिंग ऑफिसर्स अर्थात स्टाफ नर्स-ग्रेड द्वितीय भर्ती से सम्बंधित एक मामले में याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने स्टे एप्लीकेशन जारी करते हुए सात दिन में जवाब तलब करने के निर्देश दिए हैं. वहीं कोर्ट ने अप्रार्थी एम्स जोधपुर को नर्सिंग ऑफिसर्स वर्ग के 5 पद खाली रखने के भी अंतरिम आदेश दिए हैं.

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याचिकाकर्ता लाखन सिंह और अन्य की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता डॉ. नुपुर भाटी ने कहा कि, याचिकाकर्ताओं ने एम्स की ओर से 18 मार्च 2020 को जारी भर्ती सूचना के तहत नर्सिंग ग्रेड द्वितीय की भर्ती के लिए परीक्षा दी थी. याचिकाकर्ताओं के मेरिट में आ जाने के बावजूद यह कहते हुए उनको नियुक्तियां नहीं दी गयी कि, उनको परीक्षा में अस्थायी-प्रोविजनल रूप से इस शर्त पर प्रवेश दिया गया था. वे अपना इंडियन नर्सिंग काउंसिल में पंजियन का प्रमाण पत्र पेश करेंगे. लेकिन ऐसा प्रमाण पत्र पेश नहीं किए जाने के आधार पर याचिकाकर्ताओं को अयोग्य ठहराया गया है.

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अधिवक्ता डॉ. भाटी ने कहा कि, याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान में नर्सिंग कोर्स किया है. उनके पास राजस्थान नर्सिंग काउंसिल का प्रमाण पत्र है. अप्रार्थी एम्स की ओर से राजस्थान, एमपी, ओड़िसा और अन्य राज्यों में स्थित एम्स में भर्ती के लिए जारी ज्ञापन में आवेदनकर्ताओं को आईएनसी/ आरएनसी जैसे पंजीकरण होना आवश्यक कहा गया था. एमपी, भोपाल, रायपुर आदि में वहां के स्थानीय पंजीकरण के आधार पर नियुक्तियां दी गयी है, तो जोधपुर में आईएनसी आवश्यक क्यों है. यहां के स्थानीय आवेदनकर्ता आईएनसी का पंजीकरण कहां से लाएंगे. इस पर कोर्ट ने याचिका के साथ ही स्टे एप्लीकेशन का नोटिस जारी करने के साथ ही नर्सिंग ऑफिसर वर्ग के 5 पद खाली रखने के अंतरिम आदेश जारी करते हुए एक सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवाई नियत की.

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