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Relief for Government : सार्वजनिक व आरक्षित भूमि को छोड़ नियमानुसार नियमन कर सकेगी सरकार, याचिकाओं पर रोक हटी - Relief for Government

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राहत देते हुए सार्वजनिक व आरक्षित भूमि को छोड़ अन्य स्थानों पर नियमन (High Court on regulation of land) की छूट दी है. राज्य सरकार पूर्व में दिए आदेश की अवहेलना किए बगैर ही नियमन कर रही थी. जिसके लिए प्रशासन शहरो के संग अभियान में परिपत्र जारी कर छूट दे रही थी.

High court decision on regulation of public and reserved land
सार्वजनिक व आरक्षित भूमि को छोड़ अन्य स्थानों पर नियमन
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Published : Feb 9, 2022, 10:56 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य स्थानों पर नियमन की छूट देते हुए सरकार की ओर से जारी परिपत्रों को वैध माना है. हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्व में एक जनहित याचिका में दिए गए आदेश की पालना करते हुए राज्य सरकार नियमन कर सकती है, लेकिन जो कच्ची बस्तियां सुविधा क्षेत्र जैसे पार्क, खेल का मैदान, सड़कें, खुली भूमि, सार्वजनिक भूमि, आरक्षित भूमि, वन भूमि, नदी, नाला, तालाब आदि पर बसी हैं, तो उनका नियमन नहीं (No regulation of public land) किया जाएगा.

हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश सुदेश बंसल की खंडपीठ ने इस मामले में रोशन व्यास व भंवर सिंह की ओर से दायर याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई करते हुए 10 दिसम्बर, 2021 को फैसला सुरक्षित रखा था. खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की ओर से प्रशासन शहरो के संग अभियान के लिए जारी 20, 27 और 28 सितम्बर, 2021 को जारी तीनों परिपत्रों की वैधानिकता को उचित माना है.

पढ़ें: Rajasthan High Court: पुराने प्रावधानों के तहत जारी पुनः कर निर्धारण नोटिस किए रद्द

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित व मनोज बोहरा ने इन परिपत्रों को चुनौती देते हुए आरक्षित भूमि पर किए जा रहे नियमन को चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा की सरकार भूमि का नियमन कर सकती है, लेकिन जो मास्टर प्लान में आरक्षित भूमि है, उनको वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर ही नियमन कर सकती है. लेकिन पूर्व में जारी आदेश के विपरित नहीं होगा. वहीं निर्माण को लेकर कहा कि ऐसा कोई भी निर्माण वैधानिक नहीं होगा, जो उपनियम की अनुमेय नहीं हो. सार्वजनिक व आरक्षित भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण या नियमन नहीं किया जा सकता है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य स्थानों पर नियमन की छूट देते हुए सरकार की ओर से जारी परिपत्रों को वैध माना है. हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्व में एक जनहित याचिका में दिए गए आदेश की पालना करते हुए राज्य सरकार नियमन कर सकती है, लेकिन जो कच्ची बस्तियां सुविधा क्षेत्र जैसे पार्क, खेल का मैदान, सड़कें, खुली भूमि, सार्वजनिक भूमि, आरक्षित भूमि, वन भूमि, नदी, नाला, तालाब आदि पर बसी हैं, तो उनका नियमन नहीं (No regulation of public land) किया जाएगा.

हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश सुदेश बंसल की खंडपीठ ने इस मामले में रोशन व्यास व भंवर सिंह की ओर से दायर याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई करते हुए 10 दिसम्बर, 2021 को फैसला सुरक्षित रखा था. खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की ओर से प्रशासन शहरो के संग अभियान के लिए जारी 20, 27 और 28 सितम्बर, 2021 को जारी तीनों परिपत्रों की वैधानिकता को उचित माना है.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित व मनोज बोहरा ने इन परिपत्रों को चुनौती देते हुए आरक्षित भूमि पर किए जा रहे नियमन को चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा की सरकार भूमि का नियमन कर सकती है, लेकिन जो मास्टर प्लान में आरक्षित भूमि है, उनको वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर ही नियमन कर सकती है. लेकिन पूर्व में जारी आदेश के विपरित नहीं होगा. वहीं निर्माण को लेकर कहा कि ऐसा कोई भी निर्माण वैधानिक नहीं होगा, जो उपनियम की अनुमेय नहीं हो. सार्वजनिक व आरक्षित भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण या नियमन नहीं किया जा सकता है.

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